धनखड़ का हरियाणा में पानी प्रबंधन करके खेत और घरों को पानी उपलब्ध करवाना है सपना, पार्टी की बैठकों को नेता कहते हैं धनखड़ सर की क्लास

ईश्वर धामु

हरियाणा भाजपा के 11वें प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ संगठन को गति देने के लिए लीक से हट का काम कर रहे हैं। उनकी बदली कार्यशैली का एहसास तभी हो गया था, जब उन्होने जिला स्तर के पदाधिकारियों की घोषणा की थी। उस समय उन्होने ऐसे भाजपाईयों को जिला का दायित्व सौंपा था, जो पार्टी को समय दे सके। उनका यह प्रयोग न केवल सफल रहा, बल्कि अब परिणाम ले कर आ रहा है। बताना होगा कि हरियाणा की राजनीति के मूल्यों में चौधरी देवीलाल के बाद से बदलाव आया। चौधरी देवीलाल चाहे सत्ता में रहे या विपक्ष में उनकी गाड़ी का पहिया कभी थमा नहीं। वें खुद भी निष्क्रियता से नहीं बैठे और उन्होने अपने कार्यकर्ताओं को भी चैन से नहीं बैठने दिया।

अब यह राजनैतिक धारा बन गई कि जो नेता लोगों में बीच में नहीं रहेगा, उसकी राजनीति थम जायेगी। इसी सूत्र को ओम प्रकाश धनखड़ ने पकड़ा। प्रदेश अध्यक्ष बनते ही उन्होने सभी जिला इकाईयों को काम देकर सक्रिय कर दिया। उन्होने भाजपा संगठन के विजन को बदल कर रख दिया। उन्होने कार्यकर्ता को एक मकशद से बांध दिया। राजनीति में जब किसी पार्टी का कार्यकर्ता एक मकशद से बंध जाता है तो पार्टी का आगे बढऩा तय होता है।

प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ ने अपने शिक्षक होने का भी लाभ उठाया। पार्टी की बैठकों में वें एक शिक्षक की तरह ही वें अपने पदाधिकारियों को समझाते हैं। शायद इसीलिए अब पार्टी की बैठकों को धनखड़ सर की क्लास कहा जाने लगा है। ऐसा भी नहीं कि धनखड़ से पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे नेताओं में कदावर नेता रहे हैं। पार्टी में स्वर्गीय डाक्टर मंगल सेन के कद का सर्वमान्य नेता नहीं हुआ, जिसका विपक्षी भी सम्मान करते थे। दिवंगत डाक्टर कमला वर्मा ने भी पार्टी को एक नई दिशा देने का काम किया था। दादा राम बिलास शर्मा ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में पार्टी को सत्ता तक पहुंचाया। उनको राजनीति का इनसाइक्लोपिडिया कहा जाता है। रतन लाल कटारिया, कृष्णपाल गुज्जर, एमएल मनचंदा, रमेश जोशी, ओम प्रकाश ग्रोवर, प्रोफेसर गणेशीलाल, सुभाष बराला ने अपने अपने प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में परिस्थितियों के अनुसार विपक्ष में रह कर और सत्ता में आकर सहजता से भूमिका निभाई। पार्टी में सभी को पद जाने के बाद भी अध्यक्ष जी के नाम से आदर सहित पुकारा जाता है। परन्तु वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को एनके पदाधिकारी धनखड़ सर के नाम से बुलाते हैं। यही परिवर्तन की पहली निशानी है। अपनी बात को वें सहजता से समझाने के लिए वें कहानी का सहारा लेते हैं तो कभी पूव्र प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी तो कभी महान कथाकार कमेलश्वर जी नजर आते हैं। उन्होने पार्टी में अपने आपको जाट चेहरा स्थापित कर लिया है। चर्चाकारों का कहना है कि पार्टी जब भी हरियाणा में जाट चेहरे को आगे लायेगी तो वें केवज ओम प्रकाश धनखड़ होंगे। हालांकि उनके प्रारम्भिक काल में बरोदा का उप चुनाव पार्टी के प्रत्याशी योगेश्वर दत्त हार गए थे पर धनखड़ इस हार का अपने खाते में दर्ज न करवाने में सफल रहे।

विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी उनके दिल में किसानों के प्रति दर्द कम नहीं हुआ है। आज भी वें हरियाणा में खेत और पीने के पानी के प्रति चिंतित दिखाई देते हैं। पानी प्रबंधन में वें इजराइल को आईकोन मानते हैं। वें कहते हैं कि अगर हरियाणा में पानी प्रबंधन किया जाए तो पानी की कमी नहीं रहेगी। लगा कि जब भी उनको मौका मिलेगा तो वें हरियाणा में पानी की कमी को अवश्य देर करेंगे।

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