मानवता के लिये किया गया कार्य आपकी जिंदगी की धरोहर है —- सौम्य शंकर बोस
पंचकूला— हम जीवन मे अपने धर्म , देश , परिवार और अपने मान-सम्मान के लिये बहुत कुछ करते हैं । जिसकी परिभाषा हमे किसी को भी समझाने की जरूरत नहीं । हमारा कार्य ही हमारी मानवता का परिचय देता है ।
यह बात अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन वेस्ट बंगाल के महासचिव सौम्य शंकर बोस ने एक मुलाकात में कही ।
उन्होंने कहा कि मानव अपनी पहचान बनाने के लिये बहुत कुछ करता है जिसको हम अल्फाज़ो में बयां नही कर सकते । सौम्य शंकर बोस ने कहा कि उनका जन्म ऐसे परिवार में हुआ जिस परिवार ने अपना पूरा जीवन मानवता की भलाई ओर सुख दुख में उच्च नीच की दीवार को खत्म कर मानवता के लिए कार्य को अपना धर्म समंझ हमेशा निभाया है ।
उन्होंने बतलाया कि उनके परदादा डॉ गरिन्द्रा शंकर बोस व उनके परिवार द्वारा मिले संस्कार के कारण ही उनके मन में मानवता के सेवा करने का भाव बचपन से ही उनके मन मे बसा हुआ था ।और मात्र सात वर्ष की आयु से ही उन्होंने समाज सेवा के कार्य को करना आरम्भ कर दिया था । उनको स्वामी विवेकानंद जी सोच प्रकृति से प्यार उनके आदर्श ओर उनकी भावना से वो बहुत प्रेरित हुए हैं । क्योंकि प्रकृति ही हमें जीवन मे कई रंग दिखाती है जिसमें हम अपने आप को ढाल कर उन रंगों का आनन्द महसूस करवाती है ।
सौम्य शंकर बोस ने कहा कि बिना गुरु जीवन की कोई परिभाषा नही है । इस मानव युग मे सबसे पहले हमारी माता हमारी गुरु होती है जो हमे जन्म दे इस दुनिया मे लाकर हमें बोलना सिखाती है । फिर गुरु हमारे पिता जो हमे चलना सिखाते हैं और दुनिया में अपने पारिवारिक संस्कारों से हमे अच्छे बुरे का ज्ञान करवाते हैं । अगले गुरु हमारे शिक्षक जो हमें शिक्षित कर हमारे भविष्य को उज्ज्वल बनाते है । फिर गुरु वो जो हमारी शिक्षा को उतीर्ण होने के बाद हमारी शिक्षा व संस्कारो के आधार पर हमे जीविका कमाने के लिये हमें सही कार्य का ज्ञान दे इस संसार में हमें मांन सम्मान , धन , प्रीतिष्ठा आदि से उज्ज्वल जीवन दिलवाते हैं । मतलब की एक मानव जीवन को सफल बनाने के लिये हमारे जीवन मे कितने गुरु का ज्ञान प्राप्त कर हम सम्पूर्ण बनते है । इसलिए जीवन मे गुरु की महत्वता को समंझ हमे हमेशा गुरु का मान सम्मान करना चाहिये ।और जहाँ से भी कोई अच्छा ज्ञान हमे मिलता हो और वो किसी की भलाई के लिए कार्यऋत हो तो हमे वो ज्ञान लेने में कोई संकोच नही करना क्योंकि ज्ञान लेने की न तो कोई सीमा है ना कोई उम्र ।
उन्होंने कहा कि उन्होंने बचपन से ही प्रकृति , पशु पक्षियो व मानवता के आधार पर समाज की भलाई के लिये कई कार्य किये हैं ।कार्यों के करते दौर में 10 वर्ष पूर्व उनकी मुलाकात एक ऐसी महान शख्सियत नेम सिंह प्रेमी जी के साथ हुई जिनके कार्य और मानव प्रेम की परिभाषा का ज्ञान ले वे उनके साथ उनके द्वारा संचालित अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन से जुड़ने व उनके द्वारा दिये गए ज्ञान को ग्रहण करने का मौका मिला । और मेरे कार्यों को देखते हुए उन्होंने मुझे वेस्ट बंगाल के महासचिव पद पर तैनात कर उन्हें समाजिक कार्य करने व मानव अधिकारों को जन जन तक पहुंचा लोगो को जागरूक करने के लिये मेरा होंसले को बुलन्द कर जनता का स्नेह मेरे साथ जोड़ा ।
उन्होंने कहा कि इंसान को अपने संस्कार , गुरु का सम्मान , धर्म , देश से प्यार और प्रकृति व मानवता के आधार पर मानव के लिए कार्य करते रहना चाहिये ये ही सबसे बड़ा मानव धर्म और लोगो का प्यार है जो आपको सम्मान दिलवाता है ।