• इनकी आड़ में लचर अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है सरकार
• संयुक्त किसान मोर्चा के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार क्यों नहीं कर रही सरकार
• कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही सरकार

चंडीगढ़, 8 जून। राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार किसान आंदोलन और कोरोना दोनों को ही जानबूझकर खत्म करना नहीं चाहती। ताकि, इनकी आड़ में लचर अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के बातचीत के प्रस्ताव के महीने भर बाद भी सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, यही कारण है कि सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार संयुक्त किसान मोर्चा के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार क्यों नहीं कर रही है। एक तरफ तो सरकार में बैठे हुए लोग कह रहे हैं कि किसान आंदोलन से कोरोना बढ़ा है, दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आये बातचीत के प्रस्ताव को भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। सरकार के रवैये से ऐसा लगता है कि वो चाहती है कि लोग कोरोना से जूझते रहें और देश के किसान अपनी मांगों को लेकर दुःखी मन से अंतहीन आंदोलन करते रहें।

दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से सवाल किया कि वो कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही? पिछले साल के लॉकडाउन के बुरे असर से शहरों और गांवों के गरीब अभी तक जूझ रहे हैं और इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने उन्हें आर्थिक तौर पर बुरी तरह तोड़ दिया है। आर्थिक लिहाज से देखा जाए, तो महामारी में इलाज के बढ़ते खर्च, ऑक्सीजन, दवाईयों की किल्लत कालाबाजारी और डीजल-पेट्रोल की आसमान छूती कीमतों, भारी-भरकम टैक्स वसूली से लगातार बढ़ रही महंगाई जैसे कारणों ने आम गरीबों, किसानों की परेशानियों में जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। इनमें खासतौर से गांव और शहर के गरीब, किसान, युवा, महिलाएं, बुजुर्ग और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों लोग शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की पहली लहर और दूसरी लहर में भी लोगों को सरकारी उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। लोग ब्लैक में ऑक्सीजन और इंजेक्शन नहीं खरीद पाये और उनके मरीज को जान गंवानी पड़ी। लोग अपने कोरोना मरीजों को लेकर सड़क पर दर दर भटकते रहे, उन्हें न बेड मिला, न ऑक्सीजन मिली, न ही दवाईयां मिली। हजारों ऐसे परिवार हैं जिनमें अब कमाने वाला भी कोई नहीं बचा। ग्रामीण इलाकों में कोरोना की दूसरी लहर का असर सबसे अधिक दिखाई दिया है। हर किसी को पता है कि स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है। खासकर ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सिलिंडर, मास्क, दवाई और समय पर सहायता की कमी से असंख्य लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। अब भी समय है सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे में आमूलचूल सुधार करे, ताकि भविष्य में कभी किसी को समय पर इलाज व दवाईयों के अभाव में जान न गंवानी पड़े।

सरकार MPLAD फंड बहाल करे तो इस साल का पूरा फंड सरकारी अस्पतालों, CHC, PHC को देंगे

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भगवान् न करे कि तीसरी लहर आये, लेकिन अगर आयी तो ऐसी तैयारी हो कि फिर किसी की जान जाने की नौबत न आये। महामारी के समय सांसद निधि से जनस्वास्थ्य हित में काफी काम किये जा सकते हैं। अगर भारत सरकार सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि MPLAD को बहाल करती है तो वे इस साल का पूरा फंड हरियाणा के सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, मोबाइल मेडिकल वैन व अन्य बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराने में लगा देंगे। ऐसा करके हम उन लोगों की मदद कर सकेंगे, जिनकी जिंदगी बचाने के लिये तुरंत ऑक्सीजन या अन्य चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में विशेषकर देखा गया है कि ऑक्सीजन की सुविधा न के बराबर है और कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के कारण ही हजारों लोगों की दर्दनाक मौत हुई है। ज्ञात हो कि टीम दीपेंद्र ने अपनी ओर से पूरे प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की सीएचसी व पीएचसी में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचाने की मुहिम चला रखी है। अब तक पूरे प्रदेश में 100 से ज्यादा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर टीम दीपेंद्र के सहयोग से बांटे जा चुके हैं।

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