नहरी कमांड एरिया का हवाला दे ट्यूबवेल कनेक्शन बंद करना है ‘घोर ज़ुल्म’ खेत व खलिहान को नष्ट करने में जुटी है भाजपा–जजपा सरकार खट्टर-दुष्यंत चौटाला की किसान विरोधी जोड़ी नित नए ‘खेती विरोधी षडयंत्र’ कर अन्नदाता की रोटी छीनने में लगी है। कभी भूमि के उचित मुआवज़ा कानून में संशोधन करके, तो कभी डीज़ल-खाद-कीटनाशक दवाई-खेती उपकरणों की कीमतों में बेइंतहाशा वृद्धि करके और कभी तीन खेती विरोधी काले कानून ज़बरन पारित कर व लाखों किसानों के रास्ते में कीलें-नश्तर-पत्थर-रोड़े बिछाकर। खट्टर सरकार ने किसान की रोजी रोटी पर ताजा वार करते हुए उत्तरी और दक्षिणी हरियाणा में नए ट्यूबवेल देने पर चोर दरवाजे से प्रतिबंध लगा दिया है। 1 मई, 2021 को हरियाणा की बिजली कंपनियों द्वारा ट्यूबवेल कनेक्शन देने की नई नीति जारी की गई(संलग्नक A1)। धरतीपुत्र की रोटी छीनने वाली इस तुगलकी नीति के मुताबिक:- 1. अगर किसान की भूमि नहरी कमांड एरिया में आती है, तो उसे कोई ट्यूबवेल कनेक्शन नहीं दिया जाएगा। कृपया इस नीति का पैरा H 12 देखिए। “No Connection will be released in the common area of canal (definition in this regard as informed by Engineer-in-chief, Irrigation and Water resources Department, Haryana is annexed as Annexure-II) हरियाणा कैनाल एंड ड्रेनेज एक्ट के मुताबिक अगर किसान की भूमि किसी भी रजबाए, मोगे, स्टेट ट्यूबवेल से फ्लो या लिफ्ट सिंचाई के माध्यम से कमांड एरिया में आती है, तो ट्यूबवेल कनेक्शन न देने की यह तुगलकी नीति लागू होगी। इस घोर किसान विरोधी नीति के चलते अंबाला, यमुना नगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद, भिवानी, दादरी, नारनौल महेंद्रगढ़, मेवात, गुड़गांवा इत्यादि में अब ट्यूबवेल कनेक्शन नहीं दिया जा सकेगा। क्योंकि इन जिलों में 80 प्रतिशत-90 प्रतिशत इलाका नहरी सिंचाई के फ्लो या लिफ्ट कमांड एरिया में आता है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तरी हरियाणा – दक्षिणी हरियाणा के किसान भाई होंगे। क्या खट्टर–दुष्यंत चौटाला की जोड़ी यह नहीं जानती कि नहर का पानी तो अधिकतर हरियाणा में 30 दिन में से 7 दिन ही उपलब्ध है। दक्षिणी हरियाणा में तो पानी की बारी 45 दिन के बाद आती है और कभी कभी 60 दिन के बाद। ऐसे में किसान अपनी जमीन कैसे जोत पाएगा। क्या भाजपा-जजपा सरकार यह नहीं जानती कि लगभग 25 प्रतिशत कैनाल कमांड एरिया में नहरी पानी की सप्लाई हो ही नहीं पाती। पर क्योंकि वह इलाका कमांड एरिया घोषित कर दिया गया है, तो वहां ट्यूबवेल कनेक्शन नहीं दिए जाएंगे। ऐसे में मेहनतकश किसान और खेत मजदूर क्या करेगा, क्या बोएगा, क्या खाएगा और कैसे पेट पालेगा? 2. खट्टर सरकार की इसी जुल्मी नीति के आखिर में एक शर्त यह भी लगा दी कि भविष्य में 30BHP से अधिक का ट्यूबवेल कनेक्शन दिया ही नहीं जाएगा। इस पर पूर्णतया प्रतिबंध है। “Henceforth, no new tubewell application beyond 30BHP shall be accepted.” पूरे दक्षिणी हरियाणा में व पूरे अहीरवाल में, खासतौर पर भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, मेवात, गुड़गांवा में तो भूजल स्तर इतना गहरा है कि अधिकांश मोटरें 40-50BHPकी हैं। इस फरमान का मतलब है कि अब दक्षिणी हरियाणा में कभी किसी किसान को ट्यूबवेल कनेक्शन नहीं दिया जाएगा। वोट लेने के समय तो अहीरवाल, गुड़गांवा, दादरी, भिवानी की याद भाजपा-जजपा को खूब आती है। आज भी भाजपा के अधिकांश विधायक और उपमुख्यमंत्री, श्री दुष्यंत चौटाला की माता श्रीमती नैना चौटाला इसी इलाके से विधायक चुनकर आए हैं। पर किसान को राहत देने की बजाय, भाजपा-जजपा सरकार दक्षिणी हरियाणा के किसान को सजा दे रही हैं। यह कदापि मंजूर नहीं किया जा सकता। कांग्रेस पार्टी की ओर से हमारी मांग है कि:- 1. खट्टर सरकार 01 मई, 2021 की तुगलकी नीति को फौरन वापस ले। 2. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर व श्री दुष्यंत चौटाला अपने किसान विरोधी रवैये के लिए प्रदेश के किसानों से माफी मांगें। 3. उत्तरी हरियाणा में भूजल स्तर सुधारने के लिए दादूपुर नलवी रिचार्ज कैनाल का पुनर्निर्माण हो, जिसे खट्टर सरकार ने नाज़ायज़ तौर से खारिज कर दिया। दक्षिणी हरियाणा में भूजल स्तर सुधारने के लिए दूरगामी व निर्णायक कदम उठाए जाएं। Post navigation कोरोना काल में किसानों के साथ नये-नये प्रयोग ना करे सरकार- हुड्डा ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार किसान आंदोलन और कोरोना दोनों को खत्म नहीं करना चाहती-दीपेंद्र हुड्डा