आओ चले गरीब बनने — प्रीति धारा

पंचकूला —-वक्त जो ना किसी का हुआ ना किसी का होगा उसका काम सिर्फ बदलना है और वो हर पल बदलेगा अब जीवन की बात है कि उस वक्त को हम कैसे बदले उसे जिये या वक्त के सहारे छोड़ दें । आप सभी पाठक इस बात से हैरान होंगे कि सब अमीर बनना चाहते हैं और लेख लिखा जा रहा है आओ चले गरीब बनने

अब वक्त आगया है दोस्तो गरीब बनने का, क्यूं ना हो फायदा बोहुत है बैंक खाते में सरकार पैसे डालेगा, सरकारी आवास मिलेगा, राशन पानी फ्री या काफी सस्ते में मिलेगी, मेडिकल सुविधा भी फ्री में मिलेगा , बचो की पढ़ाई लिखाई के लिए सरकार आगे आयेगी या कुछ अमीर दयालु मोर्चा संभाल लेंगे । अपना नाम चमकाने के चक्कर में या फोटो के चक्कर में उनको भी गरीब लोगो की तलाश रहती है।राजनेताओं का भाषण भी गरीबों के बिना अधूरी हे।अगर गरीब न हो तो वो कैसे बोलेंगे की हमने गरीबों के लिए ये किया हे वो किया हे सरकारी कोसो से गरीबों को सहारा देने के लिए कितने रुपए खर्चे किए है। यह बात वर्ल्ड ह्यूमेन राइट ऑबजर्वर ने एक प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही ।

राजनैतिक दलों की रैलियों के लिए भी बोहत सारे गरीबो को ट्रक में भर भर कर इक्कठे किया जाता है ताकि जनसमुद्र इक्कठा किया जा सके।और तो और अगर गरीब अनुसूचित जाति या अल्प संख्यक हो तो गरीबी में चार चांद लग जायेगा।तो चले ऊपरवाला से दुआ करे की अगले जन्म मोहे अनुसूचित या अल्पसंख्यक के गरीब के घर में जन्म दिलाए।

आप सोचो ज्यादा मन लगाके पढ़ने की जरूरत नही क्यूं की कोटे के तहत हमारी एडमिशन पक्की है फील्ड कोई भी हो।जाति के आधार पर हम कम नंबर या बिना टैलेंट के डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस या आईपीएस बन सकते है तो उच्च कूल में पैदा होके हमे करना क्या हे। उच्च जाती के बोहूत से ऐसे गरीब हे जिनके लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड करना मुस्किल हो जाता है।कर्ज के तले बच्चो की पढ़ाई लिखाई होती है।जिंदगी बीत जाती हे पर दो कमरों का एक मकान बनाना उसके लिए सपना बन कर रह जाता हे। उच्च जाती के होने के कारण वो स्वत ही गरीब रेखा के ऊपर चला जाता है और भूखा होने के बावजूद वो गरीब की श्रेणी में नहीं आता है और सारी उमर कर्ज के नीचे दबके वो प्राण त्याग देता है।

कुछ गरीबों का झुंड सरकारी जगह पर झोपड़ पट्टी बनालेते हे और कुछ राजनेता वोट के लिए इनका खूब इस्तेमाल करते हे । जब इनको जगह खाली करने को बोला जाता है तो कितने समाजसेवी संस्था और विपक्ष के कुछ नेता इनके लिए सरकारी आवास की मांग करते हे। फिर सरकारी जगह खाली करने के बदले इनको पक्का मकान मिल जाता है। यही तो फंडा हे दोस्तो बनाते जाओ झोपड़ पट्टी और लेते जाओ पक्का मकान। आजकल इतने समाजसेवी संथाये खुल गए हे की उनकी गिनती करना मुस्किल है ।सब को समाज के गरीब लोगो की मदद करनी हे। कुछ तो गरीबी को खाना ,कपड़ा या। कुछ समान दान करके उसमे अपनी उम्रभर की कमाई का साधन ढूंढते हे।आज समाज में लाखो संस्थाएं गरीबों के लिए काम कर रही है। सो जब फायदा इतना ही है तो हम पीछे क्यों रहे।तो चलो दोस्तो गरीबों में अपना नाम लिखवाए

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