2017 मे राव इंद्रजीत और सीएम खट्टर ने किया था उद्घाटन.
यहां अस्पताल में आज भी गायब हैं लगने वाली दोनों लिफ्ट.
इसकी जवाबदेही स्वास्थ्य विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग की ही

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   हरियाणा की आर्थिक राजधानी गुरुग्राम और अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बीच खासतौर  से कोरोना महामारी के दौरान पटौदी नागरिक अस्पताल अपने सीमित संसाधनों के बदौलत स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में कसौटी पर 100 प्रतिशत खरा उतरा है । लेकिन फिर भी 10 करोड़ की लागत से बनाए गए इस नागरिक अस्पताल में जहां मूलभूत जरूरतों खास तौर से लिफ्ट का अभाव बना हुआ है । वही आज भी आम आदमी के स्वास्थ्य हित को देखते हुए विभिन्न जांच के उपकरणों की आवश्यकता बनी हुई है।

सीधी और सपाट बात यह है कि पटौदी का नागरिक अस्पताल लिफ्ट के बिना स्वयं ही अपाहिज बना हुआ दिखाई दे रहा है । इसका मुख्य कारण है पटौदी के नागरिक अस्पताल में अलग-अलग दो स्थानों पर लगाई जाने वाली लिफ्ट उद्घाटन के करीब 4 वर्ष के बाद भी पूरी तरह से यहां से गायब हैं । लिफ्ट के मामले में भी कथित रूप से लोचा ही बना हुआ है । लाख टके का सवाल यह है कि जब यह भवन बनकर तैयार हुआ और स्वास्थ्य विभाग को सौंपा गया तो उस समय इस बात की क्या पूरी तरह से जांच की गई या एनओसी प्राप्त कर ली गई अस्पताल परिसर में लिफ्ट लगने सहित काम कर रही हैं ? संभवत ऐसा हुआ ही नहीं, लिफ्ट के बिना परेशानी आम आदमी के साथ साथ यहां आने वाले रोगियों, वृद्ध महिलाओ और पुरुषों, दिव्यांग जनों के साथ साथ अस्पताल में ही कार्यरत कथित रूप से दिव्यांग जनों को भी झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।

इस मामले में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन के द्वारा नियमित रूप से विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों सहित अन्य संबंधित विभागों को पटौदी नागरिक अस्पताल में लिफ्ट लगाए जाने के संदर्भ में पत्राचार के माध्यम से ध्यान दिलाया जा रहा है । लेकिन 10 करोड़ की लागत वाले और औसतन 65 सीढ़ियां चढ़ने और उतरने की कसरत के लिए मजबूर हो रहे बुजुर्ग लोगों, गंभीर रोगियों, दिव्यांग जनों की परेशानी को लगता है सभी संबंधित विभाग के द्वारा बेहद हल्के में मजाक के तौर पर देखा जा रहा है ।

इस संदर्भ में कई प्रबुद्ध लोगों के द्वारा चर्चा के दौरान अपने नाम का खुलासा नहीं किए जाने का अनुरोध के साथ पुरजोर मांग की गई है की सबसे पहले इस बात की जांच होना आवश्यक है कि जब अस्पताल भवन का पूरा भुगतान कर दिया गया और भवन बनाने वाले विभाग के द्वारा स्वास्थ्य विभाग को सौंपा गया तो उस समय अस्पताल परिसर में सबसे जरूरी चीज लिस्ट की अनदेखी क्यों और किसके दबाव में की गई ? जो भुगतान किया गया क्या उसमें लिफ्ट का भी भुगतान शामिल है , यदि ऐसा है तो अविलंब अपराधिक मामला दर्ज किया जाने के साथ ही सरकारी धन के जानबूझकर दुरुपयोग का भी मामला दर्ज किया जाना जरूरी है । सबसे महत्वपूर्ण यह है की जांच में जो भी कोई दोषी हो , अविलंब कार्यवाही भी होनी चाहिए ।

अस्पताल में लगाई जानी है दो लिफ्ट

अस्पताल भवन में प्रवेश करते ही इमरजेंसी वार्ड के निकट ही लिफ्ट लगाने का स्थान मौजूद है । जो कि बीते कुछ दिनों से यहां दीवार टूटने की वजह से लिफ्ट के गायब होने की सारी कहानी बताते हुए पोल पट्टी खोल रहा है । एक अनुमान के मुताबिक ग्राउंड फ्लोर से लेकर ऊपरी तल तक जहां तक लिफ्ट का आवागमन होना है, इसकी ऊंचाई 60 फुट से अधिक ही होनी चाहिए । हैरानी की बात यह है की ऊपरी तल भी पूरी तरह से खुला हुआ है । जहां दीवार टूटी हुई है लिफ्ट वाले स्थान पर वहां भी करीब 10 फुट गहराई का खड्डा अलग ही दिखाई दे रहा है । ऐसे में अस्पताल भवन की छत से जाने अनजाने में लिफ्ट वाले इस बने मौत के कुएं में हादसे से भी इनकार नहीं किया जा सकता है ।

प्लास्टर कर चस्पा किए लिफ्ट के स्टीकर

पटौदी नागरिक अस्पताल में दूसरी लिफ्ट अस्पताल भवन के पिछले हिस्से में निर्माण के समय ही बनकर आरंभ हो जानी चाहिए थी । लेकिन उसकी कहानी भी अस्पताल में प्रवेश करते ही लिफ्ट वाले स्थान जैसी ही है । नागरिक अस्पताल में जहां-जहां भी और जिस फ्लोर तक लिफ्ट का आवागमन होना है , वहां प्रत्येक फ्लोर पर लिफ्ट के स्टीकर चस्पा किए हुए हैं और यह लिफ्ट  के स्टीकर बीते कई वर्षों से अस्पताल भवन में आने जाने वाले लोगों के द्वारा देखें और पढ़े भी जा रहे हैं । हाल ही में पटौदी नागरिक अस्पताल में कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर दूसरे तल पर बनाया गया कोविड-19 टीकाकरण का कार्य पहले तल पर हो रहा है । एक अनुमान के मुताबिक दूसरे तल तक आवागमन के लिए 130 से अधिक सीढ़ियां चढ़ना और उतरना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है । फिर वह चाहे कोई बुजुर्ग हो या फिर दिव्यांगजन हो पहले तल पर और दूसरे तल पर भी डॉक्टर यहां उपचार के लिए आने वाले रोगियों की जांच के लिए बैठते हैं ।

लिफ्ट लगाना और चलाना चुनौती

अब जब पटौदी नागरिक अस्पताल जो कि करीब 10 करोड रुपए की लागत से तैयार किया गया, यहां पर दीवार और पलस्टर करके छिपाए गए लिफ्ट वाले स्थान का पूरी तरह से खुलासा कर दिया गया है। ऐसे में अब सबसे बड़ी चुनौती स्वास्थ्य विभाग और लोक निर्माण विभाग के लिए बन गई है कि यहां पर जल्द से जल्द लिफ्ट लगाई जाए और लिफ्ट लगाने के साथ में लिफ्ट को आम जनमानस सहित गंभीर रोगियों गर्भवती महिलाओं दिव्यांग जनों की सुविधा के लिए जल्द से जल्द आरंभ भी किया जाए । अब देखना यही है की डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के लागू रहते संबंधित विभाग कितनी गंभीरता और तत्परता से पटौदी नागरिक अस्पताल में लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध कराने का कारनामा पूरा कर दिखा सकेंगे।

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