दहेज बड़ा अभिशाप, बेकसूर रिश्तेदारों को फंसाना गलत: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज की वहज से हो रही महिलाओं की मौत पर चिंता जताई है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि बेकसूर रिश्तेदारों को फंसाना गलत है. 

दिल्ली –  दहेज की वजह से महिलाओं की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. लेकिन ये भी कहा की आरोपी पति के बेकसूर रिश्तेदारों को न फंसाया जाए. ये मामला था हरियाणा के रहने वाले सतबीर सिंह, उनकी मां और पिता का. इन तीनों को निचली अदालत ने 1997 में और फिर हाईकोर्ट ने 2008 में सात साल की सजा सुनाई थी. इन पर आरोप था कि इन लोगों ने सतबीर सिंह की पत्नी को दहेज के लिए इतना मजबूर किया उसने खुद को आग लगा कर आत्महत्या कर ली.

आज मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. साथ ही उन्होंने अपने फैसले में दहेज हत्या को लेकर चिंता जताई.  जस्टिस रमना ने अपने फैसले में लिखा है कि 1999 से लेकर 2016 तक महिलाओं की हत्या या आत्महत्या के 40 से 50 फीसदी मामले दहेज की वजह से हुए है. 2019 के आंकड़ों को देखें तो 7115 महिलाओं की हत्या या आत्महत्या का कारण दहेज है. यानि दहेज लगातार हमारे समाज में एक बड़ा अभिशाप बना हुआ है.

 दहेज को खत्म करने में लगेगी मेहनत

जस्टिस रमना ने यूनाइटेड नेशन्स की एक स्टडी “Global study on Homicide: Gender-related killing of women and girls”, का हवाला देते हुए कहा है की भारत को दहेज से जुड़े जुर्म को खत्म करने के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत है. लेकिन जस्टिस रमना ने अपने फैसले में ये भी लिखा है कि कई बार ऐसा देखने को मिलता है की आरोपी के बेकसूर रिश्तेदारों को भी फंसा दिया जाता है. ऐसे रिश्तेदार जो पीड़ित के पास रहते भी नहीं और उनका उस जुर्म से कोई वास्ता नहीं होता. ऐसे में निचली अदालतों को बड़ी जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा.

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