भाजपा-गठबंधन सरकार ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाओं का इंतजाम करने में बुरी तरह असफल दिल्ली के मुकाबले हरियाणा में ब्लैक फंगस के मरीज बहुत ज्यादा हैं लेकिन फिर भी दिल्ली को ब्लैक फंगस की वाइल हरियाणा से ज्यादा दी जा रही है, स्वास्थ्य मंत्री चुप हैं ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज सरकारी और प्राईवेट अस्पताल में मुफ्त करे सरकार ब्लैक फंगस वाइल आवंटन के लिए स्टेट कमेटी की जगह जिला स्तर पर सिविल सर्जन को अधिकार देने चाहिए चंडीगढ़, 28 मई: कोरोना महामारी और ब्लैक फंगस एक आपदा नहीं बल्कि ‘‘गवर्नमैंट मेड डिजास्टर’’ है क्योंकि पिछले साल इस महामारी के आने के बाद जब दूसरी कोरोना लहर की पहले से आशंका जताई जा चुकी थी तो भी भाजपा सरकार ने लोगों को बचाने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की कोई तैयारी नहीं की। हम सभी ने देखा कैसे अस्पतालों में बेड, वेंटीलेटर, आक्सीजन, और दवाईयों के साथ-साथ डाक्टर्स जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण लोगों की अकाल मृत्यु हुई। अब ब्लैक फंगस बिमारी जिस तरह से प्रदेश में दिन-ब-दिन अपने पैर फैला रही है, प्रदेश की भाजपा-गठबंधन सरकार इस बिमारी की रोकथाम के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाओं का इंतजाम करने में बुरी तरह असफल रही है। ब्लैक फंगस के लिए सरकार द्वारा बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी मरीजों को वाइल का आवंटन करने में दो दिन लगा देती है और जब तक मरीजों तक यह वाइल पहुंचती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने चंडीगढ़ से एक बयान जारी करते हुए कहा कि पहले तो ब्लैक फंगस बिमारी के मरीजों को समय पर वाइल नहीं मिल रही, जिनको सिफारिश करवाने और भागा-दौड़ी करने के बाद अगर मिल भी जाती है तो उन्हें 4-7 वाइल एक समय में चाहिए लेकिन उन्हें 1-2 वाइल ही मिल रही हैं। दिल्ली के मुकाबले हरियाणा में ब्लैक फंगस के मरीज बहुत ज्यादा हैं लेकिन फिर भी दिल्ली को वाइल हरियाणा से ज्यादा दी जा रही हैं। हैरानी की बात है कि केंद्र और हरियाणा में भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी हमारे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एकदम चुप हैं। प्रदेश सरकार को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जरूरी वाइल देश में नहीं मिल रही तो तुरंत प्रभाव से विदेशों से मंगवानी चाहिए। इनेलो नेता ने कहा कि ब्लैक फंगस एक मरीज को इलाज के लिए 60 वाइल की जरूरत होती है और एक वाइल की कीमत 7 हजार रूपए है जोकि लगभग 4 लाख 25 हजार बनती है। अगर उस मरीज का आपरेशन करना पड़ जाए तो यह खर्च और अधिक बढ़ जाता है इसलिए प्रदेश सरकार को ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चाहे सरकारी अस्पताल में हो या प्राइवेट अस्पताल में हो मुफ्त करना चाहिए। दूसरा ब्लैक फंगस वाइल आवंटन के लिए स्टेट कमेटी की जगह जिला स्तर पर सिविल सर्जन को अधिकार देने चाहिए और जिलेवार नोडल अधिकारी की नियुक्ती करनी चाहिए ताकि लोग उनसे मिल कर समय पर दवाई ले सकें। Post navigation कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों पर खड़े किये सवाल सांसद डॉ सुशील गुप्ता ने फ्रंटलाईन वर्कर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता- सहायिकाओं को एक्सग्रेसिया में मिलेंगे 20 लाख रुपए