आफ द रिकार्ड–यशवीर कादियान

सरकारी नसीहत

हरियाणा में आईएएस अफसरों की कैडर पोस्ट पर आईपीएस-आईएफएस-आईआरएस अफसरों की तैनाती करने पर केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार से डिटेल में रिपोर्ट देने को कहा है। जवाब तलबी की गई है। राज्य सरकार को ये भी कहा है कि वो आईएएस अफसरों की तैनाती में आल इंडिया सर्विसिज नियमों की पालना करे। दरअसल यंू तो इस तरह के कामों-आईएएस अफसरों के हितों का ध्यान रखने के लिए प्रदेशों में आईएएस एसोसिएशनों का ही गठन हो रखा है। विभिन्न कारणों से ये एसोसिएशन ऐसे मुददों को सरकारों के समक्ष उठाने से कतराती रही हैं।

हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस बारे में कैबिनेट सचिव को एक पत्र भेज कर ये विषय उनके संज्ञान में लाने की गुस्ताखी कर दी। उसके बाद ही प्रदेश सरकार से जवाब तलबी की गई है। अब ये देखना होगा कि प्रदेश सरकार खुद को केंद्र सरकार से मिली गई इस नसीहत को कितनी गंभीरता से लेती भी है या नहीं? क्या गैर आईएएस अफसरों को आईएएस के कैडर पदों से हटाएगी या उनको यंू ही शान से-ठाठ से बनाए रखेगी? अगर गैर आईएएस अफसरों को यंू ही इन पदों पर बरकरार रखा जाता है तो ये मानिए कि सरकारों में ये सब होता रहता है। चलता ही रहता है। वो सरकार ही क्या हुई जो इस तरह की नसीहतों को मान गई? इन नसीहतों से डर गई? ऐसी नसीहतें आती रहती हैं-जाती रहती हैं। आने को तो पता है जाती कहां ये शायद ही किसी ने देखा हो। एक अधिकारी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने ऐसी नसीहतों डस्टबीन में जाते कई दफा देखा है। इनका ये भी कहना है कि आए दिन ऐसे काम ये बड़े चाव से करते रहते हैं। इस हाल पर यही कहा जा सकता है:

मुंह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन
आवाजों के बाजारों में खामोशी पचाने कौन
सदियों सदियों वही तमाशा रस्ता रस्ता लंबी खोज
लेकिन जब मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन
वो मेरी परछाई है या मैं उस का आईना हंू
मेरे ही घर में रहता है मुझ जैसा ही जाने कौन
जाने क्या क्या बोल रहा था सरहद प्यार किताबें खून
कल मेरी नींदों में छुप कर जाग रहा था जाने कौन
किरन किरन अलसाता सूरज पलक पलक खुलती नींद
धीमें धीमें बिखर रहा है जर्रा जर्रा जाने कौन

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