गुरुग्राम शहर में तो विपक्ष नाम की चिड़िया भी नहीं इसलिए विपक्ष की भूमिका भी सत्तापक्ष ही निभा रहा है इसलिए अलग अलग धड़े बने हुए हैं पार्टी में अपना कद बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा सी करते रहते हैं आमजन की फिक्र तो किसी को है नहीं और शायद जनता के त्रस्त होने का कारण भी यही है , उपलब्धियां गिनाने में इनके मुखिया समेत कोई भी भाजपाई पीछे नहीं रहना चाहता , अब इन्ही की बातें मानें तो मरीज कम हो रहे हैं मगर फिर भी अस्थायी अस्पताल सब हेल्थ सेंटर तथा कोविड केयर सेंटर बनाए जा रहे हैं कॉरपोरेट जगत से जुटाया गया धन लुटाया जा रहा है यानी सीएसआर के पैसों का सीधा दुरुपयोग किया जा रहा है सवाल फिर वही आखिर जनता को इससे क्या हांसिल हुआ ?

यही सीएसआर की रकम अस्थायी की बजाय स्थायी हॉस्पिटलों को बनाने में , व्यवस्था करने में लगाई जाती तो क़ई दशकों तक आमजन के इस्तेमाल में चीजों को लाया जा सकता था जब्कि गुरुग्राम के एकमात्र सामान्य अस्पताल की जर्जर ईमारत कब से अपने पुनरुद्धार के लिए वंचित रह गई है , सेक्टर -9 के जिला प्राथमिक अस्पताल में व्यवस्थाओं पर खर्च कर सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए थी और या फिर जेल कॉम्प्लेक्स की खाली पड़ी जमीन पर भी किसी ट्रामा सेंटर का निर्माण किया जा सकता था जहाँ से सभी क्षेत्रों का सीधा जुड़ाव है मगर नीति और नियत के अभाव का दंश झेल रहे हैं लोग ।

गत वर्ष कोरोना महामारी की पहली लहर के समय कॉरपोरेट का पैसा मास्क और सैनेटाइजेशन पर खर्च कर दिया जो शायद ही उचित लगा हो मगर अब जब्कि आपके पास मौजूद बैडस ही खाली हो रहे हैं तो भी आप श्रेय लूटने के लिए अस्थायी केयर सेक्टर बनाए जा रहे हैं पैसों का दुरुपयोग किया जा ही रहा है परन्तु जब हींग लग रही ना फिटकरी और रंगत भी निखर रही है तो पीछे कोंन रहेगा खैर वो बात अलग है कि कोरोना कमजोर पड़ गया है या जांचें कम कर दी गई हैं यह तो सरकार बता पाएगी या रब लेकिन देखने वाली बात तो यह होगी कि इन सब हेल्थ केयर सेंटरों का बाद में क्या होगा ?

बात सौंदर्यीकरण की करें तो बड़ा जोर दिया गया था उसके प्रचार पर ,बड़े बड़े होर्डिंग्स लगाए गए थे बाजारों पर नित-नई गाइडलाइंस थोपी गई थी कचरा प्रबंधन के लिए बड़े करार किए गए थे , शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रथम स्थान दिलाने के लिए मगर क्या इनका स्वच्छता मिशन कामयाब हो पाया ? हर जगह कूड़े के ढेर लगे हुए देखे जा सकते हैं उसके निष्पादन की व्यवस्थाएं ठीक से हो नहीं पा रही हैं शाशन प्रशासन फेल होकर बैठ गया अब जहाँ पर कूड़ा होगा वहाँ संक्रमण के अंश भी होंगे और लोग भी वहां से गुजरते होंगे तथा रहते भी होंगे उसके समीप ही तो वहां का वातावरण कोरोना को दावत भी देगा तथा शाशन प्रशासन व लोगों के लिए परेशानियों का सबब भी बनेगा ।

सकारात्मकता की बात करते हैं तो कूड़े के उठान करके वहाँ जरूरी दवाओं का छिड़काव किया जाना चाहिए , सैनेटाइजेशन कराना चाहिए , आस-पास रहने वाले लोगों की नियमित जाँच की जानी चाहिए और उनमें दवाओं का वितरण ठीक से कर सभी को वैक्सिनेट करके कोरोना संक्रमण की जड़ों पर आक्रमण करने की जरूरत थी मगर सरकार कर क्या रही है उसकी फैलती शाखाओं से बचने के लिए दूर से हवाई कार्यवाहियों का इत्र छिड़क रही है ।

मानसून आने वाला है दावे बड़े बड़े किए जाते रहे हैं प्रशाशन की ओर से , अबतक इनसे नालों की सफाई की नहीं गई नतीजा क्या होगा वही महाजाम की स्तिथियाँ , भारी जलभराव शहर के साथ साथ मिलेनियम सिटी की साख को भी डूबोयेगा यहां के अयोग्य अधिकारियों की बदौलत जिनके भरोसे खट्टर साहब नीतियों को बना सरकार चला रहे हैं – इसकी बानगी प्रदेशवासियों ने तूफान ताऊते के कारण मौसम आयी तब्दीली से मात्र 100mm बारिश से हुए जलभराव के चलते देखने को मिली और वह भी कहाँ जहां स्वम् मुख्यमंत्री जी आनन फानन में श्रेय लूटने की जल्दबाजी में अपूर्ण कोविड केयर सेंटर का ही उद्घाटन कर गए थे – खूब किरकिरी भी हो रही है मगर करें क्या ?

सकारात्मकता भी वास्तविक मूल्यों आधारित होने पर ही अच्छी लगती है अब जगह जगह गड्ढे खुदे पड़े हैं पानी भर जाता है जिनमे मच्छर पनपते हैं डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया बुखार होगा लोगों में फिर कोरोना का भय उतपन्न होगा फिर वही हॉस्पिटलों में बैडस की कमी जरूरी दवाओं ऑक्सीजन की किल्लत होगी , कालाबाजियो तथा अवसरवादियों की सक्रियता बढ़ जाएगी , एम्बुलेंस वाले मुँह मांगी रकम वसूलेंगे , वहाँ भी जगह न होने पर पार्किंगों में या लाश पर लाश रखकर जलाई जाएगी और शमशानों की चिताएं चेतन हो उठेंगी लकड़ियों की किल्लत के बावजूद सुलगती लाहशें खुद ब खुद जल जाएगी और अस्थियां तक लेने से जनता घबरायेगी , और सरकार मौत के आंकड़े छुपायेगी यह है वास्तविकता और सरकार सारे बाजार बंद कर लोगों को जुर्माने का डर दिखा घरों में कैद रहने पर मजबूर तथा बीपीएल परिवारों को पाँच किलो अतिक्त राशन देने के नाम पर गर्मी के मौसम में बाजरा दे जाएगी यह सरकार की सकारात्मकता होगी ।

श्री अनिल विज साहब ने बयान दिया कि जनसहयोग मीले तो वह लोकडाउन हटाने पर विचार कर सकते हैं तो मंत्री जी जनता अभितलक जनता ही तो आपस में सहयोग करती आ रही है एक दूसरे की वह शिक्षित भी है और समझदार भी तथा परिस्थितियों से वाकिफ हो सतर्क भी है वह तो सरकारी कुनीतियों को मानकर भी मौन हो नियमों का पालन कर रही है ताकि सरकार उनपर कोई आक्षेप न लगा दे माहौल बिगाड़ने का स्तिथियाँ नियंत्रण से बाहर करने का इसलिए बेचारी जनता तो लोकडाउन से तबाह होकर भी घर बैठी है , अब आप बताएं कि सरकारी अव्यवस्थाओं के बारे में आपने कोई बयान जारी किया ?

आपके पास गृह विभाग के अधिकार है तो बताएं जनता जानना चाहती है कि जो खट्टर साहब हिसार के मसूदपुर में कोरोना के संक्रमण को बढ़ावा देने अर्थात सैंकडों की संख्या में भीड़ लेकर अस्थायी कोविड अस्पताल के उद्घाटन के नाम पर धारा 144 का सीधा उलंघन करके आए हैं या ये कहें कि धज्जियां उड़ा कर आए हैं उनके ऊपर कोई कार्यवाही के नाम पर भी दो शब्द आपसे निकले जब्कि प्रदेशवासियों की भारी मांग पर यह कार्यवाही की जानी चाहिए अगर कानून सभी के लिए समान रूप से लागू है देश में तो और यदि आप कार्यवाही करने में असमर्थ हैं तो यह कार्यवाही कोंन करेगा जवाब आपसे जानना चाहती है प्रदेश की जनता और या फिर आप ही जनता से सकात्मकता और सहयोग की अपेक्षाएं रखते हैं ?

गुरुग्राम मारुति कंपनी के सामने आयुध डिपो के प्रतिबंधित क्षेत्र में जहां आपके प्रशाशनिक अधिकारी एक ईंट गरीब लोगों को नहीं रखने देते हैं अपने आशियानें को बनाने के लिए वहीँ आरएसएस की एक शाखा 250 बैडस के अस्थाई कोविड केयर सेंटर को बना रही है सीएसआर की सहायता से या सरकारी सहयोग से जांच का विषय है मगर यहां कैसा भी निर्माण सीएमओ के साथ साथ उच्चतम न्यायालय के आदेशों की भी अवहेलना है अर्थात इन्हें स्वीकृति क्यों जवाब दें गृहमंत्री जी ?

बकौल तरविंदर सैनी (माईकल) समाजसेवी गुरुग्राम – भृम की स्तिथियाँ सरकार फैला रही है जांचे कम करके , संक्रमितों के आंकड़े छिपाकर जब्कि मृतकों की संख्या में कोई गिरावट दर्ज नहीं हो पा रही है वास्तविकता तो यही है और सकारात्मक बात यह होगी कि बूथ स्तर पर जांच हों ,निरंतर चलती रहनी चाहिए , जरूरतमंद लोगों में दवाओं का वितरण हो और वैक्सिनेशन अनिवार्य रूप से लागू हो , मास्क के लिए अपील जारी हो लेकिन चालान काटने जरूरी न हो क्योंकि लोगों में अब हिम्मत शेष नहीं ।

यह तो सकारात्मकता रही और कुछ लोग सर्कारत्मकता चाहते हैं वो संभव नहीं ।

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