कोरोना में जान जोखिम में डालकर काम करने वाले ग्रामीण सफाई कर्मचारी राम भरोसे

भिवानी/मुकेश वत्स  

कोरोना महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने वाले ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने कोरोना बचाव के लिए सुरक्षा उपकरण, कोरोना काल मे 50 लाख बीमा कवरेज, कोरोना मृतक का दाह संस्कार करने के लिए 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि तथा 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 14000 रुपये वेतन का पत्र जारी करने की मांग को लेकर आज प्रदेश भर में अपने कार्य के दौरान काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस मनाते हुए हरियाणा सरकार पर कर्मचारियों को राम भरोसे छोड़ देने का आरोप लगाया।

इस विरोध दिवस में जिला भर के हजारों कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस में भाग लिया। ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा (सीटू) के जिला प्रधान राजबीर सिंह व सीटू जिला प्रधान राममेहर सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार सफाई कर्मियों को कोरोना योद्धा की उपाधि तो दे रही है लेकिन उनकी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नही है। इस कोरोना महामारी में हर व्यक्ति अपने घर में है और सफाई कर्मी गांव की साफ-सफाई, गांव मे बनाये गए कोरोना सेंटरों की देखरेख, गांव को सेनेटाइज करना तथा यहां तक कि कोरोना से मौत होने वाले व्यक्ति के दाह संस्कार तक का काम लिया जा रहा है। लेकिन इनके स्वास्थ्य व जीवन के भविष्य के बारे में कोई चिंता सरकार को नही है। सरकार के इस रुख के कारण सफाई कर्मचारियों में काफी भय का वातावरण बना हुआ है। सरकार की बेरुखी और उपेक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्रामीण सफाई कर्मियों से कोरोना बचाव लिए अब तक मास्क, ग्लब्ज, सेनेटाइजर, पीपीई किट आदि तक नही दिए गए और कोरोना मरीज की मौत होने पर दाह संस्कार करवाकर बेगार तो ले रही रही है। लेकिन इस काम के लिए 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि नही दे रही। जबकि शहरी सफाई कर्मचारियों को इस काम के लिए 2000 रुपये प्रति बॉडी भुगतान कर रही है।

यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार ने वाही-वाही लूटने के लिए 4 अप्रैल को खुद मुख्यमंत्री ने ग्रामीण सफाई कर्मियों के मासिक वेतन में 1500 रुपये बढ़ोतरी, वेतन लेट होने पर 500 रुपये हर्जाना तथा साधारण मौत होने पर 2 लाख व कार्य के दौरान मौत होने पर 5 लाख बीमा कवरेज देने की घोषणा तो कर दी लेकिन उसका नोटिफिकेशन आज तक जारी नही किया।

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