–कमलेश भारतीय यह कोई नया नारा नहीं या कोई नया मंत्र नहीं । सब जानते हैं कि हंसने से हमारा दिन सुहाना हो जाता है । हंसना या मुस्कुराना बहुत सी दवाइयों से बड़ा फायदा पहुंचाता है । बल्कि किसी दवाई की जरूरत ही नहीं रह जाती । मिली हो या आनंद दोनों फिल्मों का संदेश एक ही है किभाई मेरे भाई , यह ज़िंदगी है हंसने हंसाने के लिए । मैंने कहा फूलों से हंसो और वो खिलखिला कर हंस दिए । आजकल तो लाॅफ्टर चैलेंज के टीवी पर रियलिटी शोज चलते हैं तो पार्कों में लाफ़्टर क्लब । कपिल शर्मा शो में दूसरों पर हंस कर , मज़ाक उड़ा कर हंसाया जाता है । खुद दूसरों को हंसाने वाला कपिल शर्मा भी डिप्रेशन में चला गया था । क्यों ? यह उदासी सब पर आती है । सब ज़िंदगी में अनेक समस्याओं से घिरे हैं । कुछ इनमें डूब जाते हैं और कुछ हिम्मत वाले तैर कर बाहर आ जाते हैं । जो तैर कर बाहर आ जाते हैं वही असली ज़िंदगी जीते हैं बाकी तो बस काटते हैं या गुजारते हैं । इसीलिए कहा जाता है कि सांस लेने और जीने में बड़ा अंतर है । श्री श्री रविशंकर ने कपिल शर्मा के सवाल के जवाब में यही कहा कि सब काम बिगड़े तो भी हिम्मत न हार जाना और इस दुनिया में मुस्कुराने वाला ही सफल है । कपिल शर्मा का सेट जल कर राख हो गया था और उसकी आंख में भी लोगों ने आंसू देखे थे । यानी आम भाषा में कहें कि जोकर भी रोया था । नहीं तो सर्कस में क्या नियम है ? शो मस्ट गो ऑन । यह भी कहते हैं कि मसखरे कभी नहीं रोते । पर कभी कभी शो रुक जाता है और दिखाने वाला रो देता है । राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर भी बहुत कुछ कहती है । कितनी फिल्में हैं जो हमें संदेश देती हैं । ज़िंदगी खुद संदेश देती है । कोरोना ने संदेश दिया है कि परिवार की खुशी में खुश रहो । बाहर कुछ नहीं रखा । अंदर की , आत्मा की यात्रा करो । मुस्कुराओ और दूसरों को मुस्कुराने का अवसर दो । विष्णु प्रभाकर हिसार आए थे हमारे समाचारपत्र दैनिक ट्रिब्यून की कथा कहानी प्रतियोगिता के पुरस्कार बांटने । उन्होंने एक छोटी सी कथा सुनाई थी कि एक बच्चे के पांव में कांटा चुभ गया और वह चुप नहीं हो रहा था । नगर में सर्कस लगी हुई थी । परिवार ने उसे जोकर से मिलवाया । जोकर ने खूब हंसाने की कोशिश की लेकिन बच्चा मुस्कुराया नहीं । फिर जोकर ने पूछा कि इसके रोने का कारण क्या है ? जब कारण पता चला तो जोकर ने एक कांटा मंगवाया और उसके सामने अपने पांव पर चुभोया । फिर तो वह बच्चा वो हंसा कि वो हंसा । यानी दूसरों के दुख को समझकर हम उन्हें मुस्कान दे सकते हैं । कहा भी गया है कि खुशी बांटोगे तो खुशी मिलेगी । यानी जो बांटोगे , बदले में वही मिलेगा । इसलिए सबके लिए फूल बांटिये , कांटे नहीं । Post navigation शब्दों में बयान नहीं कर सकती , जो मुझे बेटियों ने सम्मान दिया : कमलेश मलिक हिंदी पत्रकारिता का विस्तार तो हुआ लेकिन उसके आदर्श कहीं खो गए: डाॅ गोविंद सिह