· ज्यादा संक्रमण वाले गांवों को चिन्हित कर डाक्टरों की टीम भेजकर टेस्टिंग कराए प्रशासन. · ग्रामीणों को कोरोना के शिकंजे से बचाने के लिये गांवों में अस्थायी अस्पतालों का प्रबंध करे सरकार. · कोरोना की मार ने ग्रामीण अंचलों में 100 साल बाद दिलायी कार्तिक वाली बीमारी की याद. · सरकार अगर पहले से ही दूसरी लहर की तैयारी करती तो इतने बड़े पैमाने पर लोगों को जान नहीं गंवाना पड़ता. · वैज्ञानिकों और चिकित्सकों की तीसरी लहर की चेतावनी को गंभीरता से लेकर उसका सामना करने के लिये अभी से तैयारी करे सरकार चंडीगढ़, 8 मई। राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर का मुकाबला करने में भी सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। सरकार अगर पहले से ही दूसरी लहर की तैयारी करती तो इतने बड़े पैमाने पर लोगों को जान नहीं गंवाना पड़ता। उन्होंने कहा कि कोरोना टेस्टिंग और चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में गांवों में बड़े पैमाने पर कोरोना से मौतें हो रही हैं। जिनमें से ज्यादातर तो सरकार के रिकार्ड में भी दर्ज नहीं हो रही हैं। कोरोना रोगियों के सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में रात-दिन का अंतर है। दीपेंद्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार एक पल भी देरी किये बिना ग्रामीण अंचल में कोरोना रोगियों की जांच, इलाज, दवाईयों का प्रबंध कराए। प्रशासन ज्यादा संक्रमण वाले गांवों को चिन्हित कर उनमें डाक्टरों की टीम भेजकर व्यापक स्तर पर टेस्टिंग कराए ताकि समय पर कोरोना रोगी की पहचान हो सके और उन्हें उचित उपचार मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि गांव-गांव में विशेष कैंप लगाकर तेज गति से टीकाकरण कराया जाए ताकि, लोगों की जान बच सके। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अभी कोरोना की दूसरी लहर चल रही है और महामारी विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर आने की भी आशंका जताई है। सरकार को वैज्ञानिकों और चिकित्सकों की तीसरी लहर की चेतावनी को गंभीरता से लेकर उसका सामना करने के लिये अभी से तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि कोरी बयानबाजियों से काम नहीं चलेगा। गांवों में हालात भयंकर हैं, लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में जरुरी है कि सरकार ग्रामीणों को कोरोना के शिकंजे से बचाने के लिये गांवों में अस्थायी अस्पतालों का प्रबंध करे। समय रहते चिकित्सा सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को बढ़ाए और गांवों में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं को कोरोना का मुकाबला करने के लिये तैयार करे। उन्होंने कहा कि हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गांवों में घर-घर रोगियों की खाट पड़ी है। कोरोना की मार ने ग्रामीण अंचलों में 100 साल के बाद कार्तिक वाली बीमारी की याद दिला दी है। सरकार की ओर से टेस्टिंग और इलाज के कोई प्रबंध नहीं हैं। ग्रामीणों को इलाज के लिये शहर की तरफ जाना पड़ रहा है। जहां पहले से ही अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाईयों की मारामारी मची हुई है। दीपेन्द्र हुड्डा ने ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों से अपील करी कि जब तक बहुत जरुरी न हो अपने घर से न निकलें। मास्क पहनें, साफ़-सफाई का ख्याल रखें और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पूर्ण पालना करें। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना से इस बड़ी लड़ाई में हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को समझे, पूरी सावधानी बरतें और एक जिम्मेदार नागरिक की तरह कोरोना के फैलाव पर रोक लगाए। Post navigation कोरोना से निपटने में क्या अनिल विज ने मानी हार ? कालाबाज़ारी व मुनाफाखोरी करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए एक कंट्रोल रूम स्थापित किया : विज