भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। कोरोना महामारी से सारा प्रदेश अस्त-व्यस्त स्थिति में है। जनता में हताशा और निराशा दिखाई देने लगी है। लगभग हर घर के प्यारों को कोरोना ने ग्रसित कर रखा है। ऐसी स्थिति में आज गृह और स्वास्थ मंत्री अनिल विज का ब्यान आया कि ऑक्सीजन प्लांट्स के नियंत्रण और प्रबंधन का कार्य पैरा मिलिट्री फोर्स को सौंप दिया जाना चाहिए।

जनता में इसकी व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है कि ऑक्सीजन वितरण के काम का जिक्र विज साहब ने क्यों नहीं किया? और इस प्रकार का वक्तव्य अपने आपमें यह कहता है कि विज साहब ने मान लिया कि वह अक्षम हैं ऑक्सीजन के प्रबंधन और नियंत्रण में।

सवाल उठता है कि दवाइयों की भी कालाबाजारी हो रही है, रेमडिसिवर इंजैक्शन कालाबाजारी में बेचे जा रहे हैं और कुछ कालाबाजारी करने वाले पकड़े भी जा रहे हैं लेकिन सफलता तो नहीं मिल रही तो यह कार्य भी पैरा मिलिट्री फोर्स को सौंप दिया जाना चाहिए?

जहां तक रेमडिसिवर के अतिरिक्त अन्य दवाइयां हैं, जो कोरोना या अन्य रोगों में भी प्रयोग होती हैं, उनके भी दवा विक्रेता अधिक रेट वसूल रहे हैं। वह भी शासन-प्रशासन से कंट्रोल नहीं हो रहे। उसे भी पैरा मिलिट्री फोर्स को सौंप देना चाहिए?

इसी प्रकार खाद्य पदार्थ एवं बीड़ी-सिगरेट, गुटखा आदि पदार्थों की भी खूब कह सकते हैं कि कालाबाजारी हो रही है। या यूं कहें कि मानवता के दुश्मन जहां मौका मिल रहा है, वहां आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। उनमें एंबुलेंस वाले, श्मशान घाट वाले और कहीं कुछ सरकारी अधिकारी लाभ उठाने में लगे हुए हैं। 

गृहमंत्री होने के नाते आपकी संपूर्ण जिम्मेदारी बनती है कि इन पर लगाम लगाएं लेकिन इतने समय तक आप इन पर लगाम लगाने में असफल सिद्ध हो रहे हैं, ऐसे में इन्हें भी पैरा मिलिट्री फोर्स को दे देना चाहिए।

गृहमंत्री जी जहां-जहां अनियमितताएं हो रही हैं, अस्पतालों में बिना ऑक्सीजन के लोग मर रहे हैं या मर चुके हैं, क्या आपने अब तक उन अस्पताल वालों पर या उन अधिकारियों पर जो वहां नोडल ऑफिसर थे, किसी पर कोई कार्यवाही की?

गृहमंत्री होने के नाते आपको प्रदेश की जनता के बारे में ज्ञान होना चाहिए कि सवा साल से कोरोना की मार, उससे पहले जीएसटी और नोटबंदी की मार ने प्रदेश में उद्योगपति, व्यापारी, कर्मचारी, दैनिक कामगार सभी की आर्थिक स्थिति खराब कर दी है। क्या आपने सोचा कि इस बीमारी से प्रदेशवासी कैसे लड़ रहे होंगे?

बहुत से लोग अपने प्रियजनों का ईलाज कराने के लिए अपने मकान गिरवी रख रहे हैं, कुछ को बेचने की भी नौबत आ रही है। अनेक स्वर्णकारों से ज्ञात हुआ कि आजकल पुराने आभूषण बेचने वालों की संख्या में अत्याधिक वृद्धि हुई है। इसका कारण भी यही लगता है कि जब महिलाओं के प्रियजन बीमारी से तड़प रहे हों, तो उन्हें अपने प्रियजन को बचाने की चिंता अपने आभूषणों से अधिक हो जाती है, इसलिए वह आभूषण बेच देते हैं। इस पर आपने क्या किया?

प्रवासी मजदूरों से आपके प्रदेश के उद्योग चलते हैं, पिछले कोरोना काल में भी और इसमें भी आप प्रवासियों को प्रार्थना कर रहे हैं कि हम उनका पूरा ख्याल रखेंगे, वे यहीं रहें। दूसरी ओर आपके अधिकारी आदेश निकालते हैं कि अस्पतालों में उसको ही भर्ती किया जाएगा, जिसके पास हरियाणा का आधार कार्ड होगा। अब जो प्रवासी यहां हैं, जरूरी तो नहीं कि उनके पास हरियाणा का ही आधार कार्ड हो। उनके पास उनके प्रदेश का भी तो हो सकता है तो क्या वे यहां बिना औषधियों के तड़प-तड़पकर मर जाएं? 

एक ओर तो देश के प्रधानमंत्री एक भारत-एक बोली-एक संविधान का नारा लगाते हैं, वहीं दूसरी ओर देश के ही नागरिकों से जब वह अपने जीवन से लड़ रहे हैं, तो उनसे पूछा जाता है कि तुम कौन-से प्रदेश के हो, तुम्हारा आधार कार्ड कहां का है। मेरे विचार से मानवता के अनुसार और नियमों के अनुसार जिंदगी से संघर्ष करते हुए आदमी से यह तो पूछना ही नहीं चाहिए कि वह किस प्रदेश का है। कौन-सी भाषा बोलता है, उसके पास कोई कागज है या नहीं, तुरंत उसकी जान बचाने का प्रबंध करना चाहिए। यह सरकार की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है।

इस समय किस प्रकार प्रदेश की जनता परेशान है सरकार के कार्यों पर या यूं कहें सरकार से उसका भरोसा उठता जा रहा है। जिस प्रकार मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैंने कोरोना काल में 8 दिनों में 17 जिलों का दौरा कर लिया, दौरा तो कर लिया पर परिणाम क्या निकला? जगह-जगह किसानों ने उनका विरोध किया। उनको हटाने के लिए जिले सारी सुरक्षा एजेंसियां अपने कोरोना से बचाव के कार्य छोड़ वहां लगी रहीं। जहां आप गए, वहां भी असंतोष के बीज बोकर आए। गुरुग्राम की ही बात करें तो अधिकारियों से मिल आए, जनप्रतिनिधियों अर्थात विधायकों से मिलना आपने जरूरी नहीं समझा।

यदि उनके अधिकारी मुख्यमंत्री को सही स्थिति से अवगत कराते तो क्या स्थितियों में सुधार नहीं होता? लेकिन वह तो नजर आया नहीं। गृह मंत्रालय आपके पास होने के कारण यह सारी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी आपकी बनती है और जब आप ऑक्सीजन प्लॉट्स के नियंत्रण और प्रबंधन का काम पैरा मिलिट्री फोर्स को देने की वकालत कर रहे हो तो क्यों न सरकार को समाप्त कर सारे ही कामों के लिए पैरा मिलिट्री फोर्स लगा दो, विज साहब फौज के आदमी व्यवस्था बनाने के लिए होते हैं न कि ऑक्सीजन निर्माण करने के लिए, न वह दवाइयां बना सकते हैं। यदि पैरा मिलिट्री फोर्स के आदमी यह सभी कार्य कर सकते हैं तो अन्य भी कर ही पाएंगे।

अत: मैं तो आपसे यही कहूंगा कि प्रदेश की जनता की ओर से कि इस समय अपने कर्तव्य और मानवता और अधिकार का प्रयोग करते हुए प्रदेश को इस महामारी से बचा लो, भूल जाओ कि आपके किसी कार्य से आपका कोई वरिष्ठ नाराज होगा। प्रदेश की व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं और जिसमें प्रदेश के अधिकारियों की कार्यशैली सबसे अधिक जिम्मेदार है। यदि प्रदेश के अधिकारी भी मानवता और कर्तव्य का ध्यान कर इन स्थितियों को सुलझाने में लगें तो मुझे नहीं लगता कि हरियाणा सक्षम नहीं है इस महामारी से लडऩे में। या तो लड़ जाओ महामारी से और नहीं तो दे दो सारी जिम्मेदारी पैरा मिलिट्री फोर्स को।

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