–कमलेश भारतीय गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के जनसंचार विभाग की पूर्व छात्रा और आजकल इंडिया न्यूज में एंकर सोनल दहिया को हाल ही में मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवाॅर्ड मिला तो ज़ोरदार बधाई के साथ थोड़ी बातचीत करने का मन भी हो आया । महम से प्रारम्भिक पढ़ाई के बाद गुजवि के जनसंचार विभाग में दो वर्ष लगाये और अपने पापा की तरह पत्रकारिता को कर्मक्षेत्र बना लिया । पापा हैं सोनल के,गुजवि के जनसंपर्क उपनिदेशक विजेंद्र दहिया । इंडिया न्यूज में काम करते कितने वर्ष हो गये ?-लगभग चार । इससे पहले शुरूआत की थी तहलका ए वन से । पंचकूला में । आजकल ओखला में । -एक न्यूज एंकर में क्या गुण होना चाहिए?-सर , न्यूज एंकर को एक रेफरी की तरह काम करना चाहिए न कि निर्णायक की भूमिका में आना चाहिए। एंकर किसी भी विषय को पाॅजिटिव मोड़ पर ला सकते हैं । एंकर को निर्णायक नहीं बल्कि रेफरी बनना है । निष्पक्ष बने रहना है । -प्रेरणा किससे?-निश्चित ही पापा से । वही गुरु । -तहलका ए वन के बंद होने पर क्या कहोगी ?-हरियाणवी संस्कृति का एक अच्छा चैनल बंद होने का दुख है । डंके की चोट काम कर रहा था यह चैनल । मनोरंजन और हरियाणवी संस्कृति एक साथ। -ये जो इतने पत्रकारिता संस्थान खुल गये , इन पर क्या कहोगी?-पत्रकारिता में आज नौकरी का संकट है । ऐसे में इतने संस्थानों का खुलना बिजनेस या प्रोपेगंडे की ओर संकेत करता है । -साहित्य से जुड़ी सोनल कहां गयी ?-नहीं सर । कहीं नहीं गयी । आज भी अच्छा साहित्य पढ़ती हूं । मेरी पसंद के लेखक हैं-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, पाश , अमृता प्रीतम , अदम गोंडवी और आपकी किताबें भी खूब पढ़ती हूं , सर । -इनके अतिरिक्त क्या शौक हैं ?-संगीत सुनना , अच्छी कवितायें गुनगुनाना, हरियाणवी लोकगीत मेरी पसंद हैं जो मां से मिले सुनने को । थियेटर भी करना चाहती हूं पर समय नहीं मिलता। -लक्ष्य ?-अपने काम को निष्पक्षता से अंजाम देती रहूं । सत्य की राह पर चलती रहूं , बस इतना सा ख्वाब है ।हमारी शुभकामनाएं सोनल दहिया को । ऐसे ही पुरस्कार/सम्मान लेकर हिसार का गौरव बढ़ाती रहो । Post navigation फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं को दें सम्मान, वैश्विक महामारी में जी जान से जुटे हैं : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज देवदूत से यमदूत बनने तक ,,,,,