उमेश जोशी

दस महीने की लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर ही दी। अभी तक किसी ना किसी बहाने से कार्यकारिणी का गठन टाला जा रहा था। धनखड़ के लिए कार्यकारिणी बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य था। किसान आंदोलन के बाद यह काम और टेढ़ा हो गया था। टेढ़ा इसलिए कि किसानों का गुस्सा देखते हुए कोई ‘चौधरी’ बनने को तैयार नहीं था। कार्यकारिणी में आने का मतलब है कि उस पार्टी का ‘चौधरी’ बनना जिस पार्टी से किसान बेहद खफा हैं। जिसको भी कार्यकारिणी ने रखने का प्रस्ताव दिया जाता था वो उत्साहित होने के बजाय बुझ जाता था। उस नेता को यह बात बखूबी समझ आ जाती थी कि कार्यकारिणी में आने के बाद सीधे किसानों के निशाने पर आ जाएँगे। अभी तो उन्मुक्त घूम रहे हैं, बाद में गांवों में घुसना भी मुश्किल हो जाएगा।

धनखड़ की भी मजबूरी थी; कार्यकारिणी का गठन कब तक टालते। अंततः कुछ चौधरी बनने के इच्छुक मिल ही गए और प्रदेश कार्यकारिणी का एलान कर दिया। हालांकि की अभी भी पूरी कार्यकारिणी नहीं है। आधिकारिक सूची के मुताबिक सात प्रदेश उपाध्यक्ष, तीन प्रदेश महामंत्री और सात प्रदेश मंत्री बनाए गए हैं। इनके साथ एक कोषाध्यक्ष है। प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री के पदों पर एक एक स्थान अभी रिक्त है। रिक्त क्यों छोड़ा है इस पर मंथन की ज़रूरत है। लोकतंत्र में प्रचलित परंपराओं के मुताबिक यह कहा जा सकता है कि रूठों को मनाने के लिए खाली स्थान छोड़े जाते हैं। यहाँ भी इसी मकसद से स्थान खाली रखे गए होंगे। 

सूची पर गौर से ध्यान दिया जाए तो कई बातें साफ हो जाती हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश के 22 जिलों में से सात  जिलों को कोई स्थान नहीं मिला। ये जिले हैं-यमुनानगर, रेवाड़ी, नूह, कैथल, जींद, झज्जर, फतेहाबाद और चरखी दादरी। यूँ कह सकते हैं कि एक तिहाई प्रदेश का कार्यकारिणी में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।  

सात प्रदेश उपाध्यक्षों में तीन महिलाएँ सुनीता दुग्गल, कविता जैन और संतोष यादव हैं। प्रदेश मंत्रियों में दो महिलाएँ रेणु भाटिया और सरोज सिहाग हैं। कुल 18 सदस्यों की कार्यकारिणी में पांच महिलाएँ हैं यानी महिलाओं को करीब 39 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया गया है। 

 एक अहम् बात यह है कि 18 सदस्यों की कार्यकारिणी में 12 सदस्यों का व्यवसाय व्यापार है। लोग सही कहते हैं कि बीजेपी व्यापारियों की पार्टी है। हालांकि जिन सदस्यों ने अपना व्यवसाय व्यापार बताया है उनमें से कुछेक ने खेती को भी साथ जोड़ दिया है। यह बात गले नहीं उतरती क्योंकि किसान है तो व्यापारी नहीं है और व्यापारी है तो किसान नहीं है। 

नई कार्यकारिणी में चार सदस्य 60 वर्ष से ऊपर हैं। एक सदस्य मोहन लाल बड़ौली की उम्र नहीं बताई। चार सदस्य 50 से नीचे हैं।

बाकी नौ सदस्य 50 से 60 के बीच हैं। राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के एक व्यक्ति मनीष मित्तल को कार्यकारिणी में जगह मिली है। इसके साथ ही राव साहब को चिढ़ाने के लिए उन दो लोगों को कार्यकारिणी में रख लिया गया जो कभी खासमखास होते थे लेकिन आज धुर विरोधी हैं। राव साहब के विरोधियों को मजबूत करने का अर्थ है दक्षिण हरियाणा में उनका राजनीतिक कद छोटा करना। राव इंद्रजीत इस राजनीति का माकूल जवाब देने की स्थिति में फिलहाल नहीं है इसलिए लाचारी का बोझ ढोने के लिए मजबूर हैं।

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