कोरोना के साथ सरकार की नीतियां और फैसले बने किसान के लिए मुसीबत- हुड्डा

किसानों से डीएपी की खरीद में हो रही खुली लूट, 1900रु प्रति बैग हो रही वसूली- हुड्डा सरकार ने अब तक नहीं किया गेहूं का भुगतान, किसानों का 7000 करोड़ रुपया बकाया- हुड्डा  . गेहूं की खरीद बंद न करे सरकार, जिन किसानों के गेहूं नहीं बिके वो क्या करेंगे?- हुड्डा

3 मई, चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि कोरोना के साथ सरकार की नीतियां और फैसले भी किसान के लिए मुसीबत बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि डीएपी की खरीद में किसानों के साथ खुली लूट हो रही है। किसानों को पुरानी दर 1200 रुपये प्रति कट्टा की बजाय बढ़े हुए दामों पर डीएपी खाद खरीदनी पड़ रही है। जबकि, सरकार की तरफ ने डीएपी के बढ़े हुए दाम वापस लेने की बात कही थी। लेकिन सरकार के दावे के बावजूद किसानों को अप्रैल महीने में 1600 रुपये और मई में 1900 रुपये प्रति बैग के हिसाब से भुगतान करना पड़ रहा है। सरकार को डीएपी के दाम को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और बढ़े हुए दामों को वापिस लेना चाहिए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार ने अचानक गेहूं की खरीद बंद करके किसान पर एक और मार मारने का काम किया है। सरकार को बताना चाहिए कि जिन किसानों का गेहूं अब तक नहीं बिका है, वो क्या करें? हुड्डा ने कहा कि जिस तरह पिछली बार लॉकडाउन में किसानों को मंडी में आने की छूट दी गई थी। उसी तरह इस बार भी व्यवस्था बनाकर सरकार को मंडी में गेहूं की खरीद जारी रखनी चाहिए। इससे कोरोना गाइडलाइंस की भी पालना हो सकेगी और किसानों को भी दिक्कत पेश नहीं आएगी। इसके अलावा, अन्नदाता को अपना गेहूं बेचकर अगली फसल की तैयारी करनी है। लेकिन सरकार ने अब तक पिछली खरीद का भी पूरा भुगतान नहीं किया। अब भी करीब 7 हजार करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। सरकार को अपने वादे के मुताबिक ब्याज समेत किसानों को पूरा भुगतान करना चाहिए। 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि तमाम अन्य किसानों की तरह आज सब्जी उत्पादक किसानों ने उनको बताया कि उन्हें भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने कहा कि टमाटर समेत अन्य सब्जियां उगाने वाले किसान जब अपनी फसल लेकर मंडी में बेचने के लिए जाते हैं तो उन्हें इतना भी रेट नहीं मिलता कि उनकी लागत पूरी हो जाए। जबकि वही टमाटर आम उपभोक्ता को ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा है। हुड्डा ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वो किसानों को उसकी सब्जी और फसलों का उचित रेट भावांतर के तहत दे। लेकिन लगता है कि सरकार का सारा ध्यान खाद, बीज, पेट्रोल-डीजल और कृषि उपकरणों के दाम बढ़ाकर खेती की लागत में इजाफा करने पर ही लगा है।

You May Have Missed

error: Content is protected !!