आज के भारत की राजनीति में इस 2 मई का एक विशेष महत्व है । 2 मई, दीदी आई या गई ?
गुड़गांव – विपक्ष के साथ-साथ खुद भाजपा में भी 2 मई के परिणामों का बेसब्री से इंतजार है क्योंकि ममता बनर्जी विपक्ष की एक शक्तिशाली आवाज है ।
आज की तारीख में मोदी के विपक्ष में अगर कोई एकमात्र शक्तिशाली आवाज है तो वह ममता बनर्जी की है और यही कारण है कि मोदी जी ने अपनी तमाम ताकत अपनी तमाम शक्ति साम दाम दंड भेद सब कुछ बंगाल चुनाव में लगा दिए थे।
गुड़गांव भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता भी आज या तो शांत बैठे हैं या छुपे बैठे हैं क्योंकि हकीकत यह है कि कोरोना वायरस की स्थिति में उन भाजपा नेताओं के पास करने को कुछ भी नहीं है वो भी लाचार और हताश हैं ।
ऐसे आकलन लगाए जा रहे हैं कि अगर ममता बनर्जी एक बार पुनः वापसी करती है तो मोदी विरोधी और अधिक ताकत से मुखर होकर उभरेंगे एवं स्वयं भाजपा में भी एक बहुत बड़ा तबका जो कि उचित समय की इंतजार में चुप बैठा है उसे भी हो सकता है मोदी के विरुद्ध मुखर होने की शक्ति मिले ।
वैसे तो सरकार बने या ना बने मोदी की सीटें तो बंगाल में बढ़नी सुनिश्चित हैं ।अगर 200 पार आ जाती हैं तब तो कोई दिक्कत ही नहीं है , अगर सरकार बन जाती है तब भी बल्ले-बल्ले है और अगर किसी कारण से सरकार नहीं बन पाई और मोदी की सीटें बंगाल में 100 के इर्द-गिर्द सिमट गई तभी भी मोदी यह कहने के हकदार रहेंगे कि बंगाल में मोदी का डंका बजा एवं भाजपा की सीटें इतनी बढ़ कर आई ।
लेकिन सवाल यह है कि अगर सरकार नहीं बनी जैसा कि दावा तो 200 सीटों के पार का था उस स्थिति में सिक्के का दूसरा पहलू यह भी होगा कि “एक नारी यशस्वी मोदी एवं मोदी के तमाम हथियारों पर भारी!”