कमलेश भारतीय

दादा लखमीचंद फिल्म के निर्माण से हरियाणवी सिनेमा की आशाएं पूरी करने की कोशिश की है । हालांकि इसे दो दो लाॅकडाउन का सामना करना पड़ा। पिछले वर्ष मुश्किल से इसका काम और एडिटिंग पूरी की और इस वर्ष जब रिलीज का समय आया तब एक बार फिर कोरोना ने सिर उठा लिया । यह कहना है हिसार के मुम्बई में बसे एक्टर यशपाल शर्मा का । लगान , गंगाजल , अपहरण , राउडी राठौर व सिंह इज किग, सतरंगी , पगड़ी-ध ऑनर जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से धाक जमा चुके यशपाल शर्मा ने हरियाणवी होने का कर्ज उतारते हुए दादा लखमीचंद फिल्म बनाने का निश्चय किया । खुद दादा लखमीचंद का रोल ही नहीं किया बल्कि निर्देशन का जिम्मा भी संभाला। यानी अपना अब तक का तजुर्बा और पैसा इस स्वप्नीले प्रोजेक्ट पर लगा दिया । इस बीच बाहर की फिल्मों के ऑफर भी ठुकरा दिये । अब जब रिलीज की तैयारियों में यशपाल व्यस्त थे कि कोरोना की लहर फिर तेज हो उठी ।

यशपाल का कहना है कि मैं अपनी क्या कहूं , सारे देशवासियों की किस्मत खराब है, जो कोरोना फैल रहा है । मेरे अकेले की फिल्म नहीं फंसी बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री ही संकट में है । इसी के चलते मैंने जिम्मी शेरगिल की वेबसीरीज के दूसरे भाग में , दक्षिण और बंगाल से मिले फ़िल्मों के ऑफर भी अभी तक स्वीकार नहीं किये । बड़ी समस्या यही है कि लोगो को ऐसे माहौल में सिनेमा हाॅल तक कैसे लेकर जायें ?
-कोरोना के चलते कलाकारों के बारे में क्या कहोगे ?

सरकार को इनका ध्यान करना चाहिए । खासतौर पर जो कल्चरल कोऑर्डिनेटर्ज बनाये हैं , उन्हें कलाकारों की मदद के लिए आगे आना चाहिए । अब तो कर्मचारी , कलाकार , संगीतकार और छोटे-छोटे दुकानदार तक प्रभावित हो रहे हैं। सरकार कलाकारों के बारे में सोचे । कोऑडिर्नेटर्ज को मुख्यमंत्री के ध्यान में इनकी स्थिति लानी चाहिए।

वैसे कल सिर्फ एक दिन कुछ घंटों के लिए यशपाल शर्मा हिसार आयेंगे क्योंकि उनकी भतीजी आशी शर्मा की कल शादी है लेकिन कोरोना के चलते वे अकेले ही आयेंगे और शाम को ही लौट जायेंगे।

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