पानीपत, फरीदाबाद, सिरसा, गुरुग्राम, रेवाड़ी तथा हिसार में ऑक्सीजन की कमी से मौत?
नेता व अधिकारियो के साथ लोगो को भी “आपदा में अवसर” की तलाश।
25 अप्रैल तक कुल 3767 मरीजों की मौत ।
सरकार ने जितनी चुस्ती टैक्स चुनने में बरती,  कल्याणकारी मद में खर्चने में उतनी ही फिसड्डी।
आज बस बेबसी और लाचारी ।
 केंद्र और राज्य के अधिकारियों के बीच आर्थिक हितों का टकराव, ऑक्सीजन पर भारी कमीशन?

अशोक कुमार कौशिक

 मन के भीतर इतना क्षोभ है कि मर्यादित शब्दों में इतनी ताकत ही नहीं कि वे कुछ भी जता सकें। आज सुबह- सुबह हिसार से 5 लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत, रविवार को रेवाड़ी से 4, गुरुग्राम से 4 की मौत ने अंदर से सबको झंझकोर कर रख दिया। इससे पूर्व भी फरीदाबाद, पानीपत, गुड़गांव, सिरसा सहित प्रदेश के कई जिलों में मौतें हो चुकी हैं। प्रदेश में अब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश जैसे हालात बनते दिखाई दे रहे हैं। आखिर केंद्र, प्रदेश सरकार के साथ प्रशासन की “चुस्ती” धरातल पर क्यों नहीं दिखाई दे रही? रेवाड़ी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने तो सीधा कहा है कि जिले का ऑक्सीजन का कोटा कम कर दिया गया इसलिए कमी हो गई। चाहे नेता हो या अधिकारी या धन लोलूप व्यक्ति सभी लोग “आपदा में अवसर” को तलाश रहे है। यह लोग ऑक्सीजन, जीवन रक्षक दवाओं की जमकर जमाखोरी तथा ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं। ऑक्सीजन के प्लांट ना लगने के कारण यह भी बताया जा रहा है कि इसके पीछे केंद्र और राज्य के अधिकारियों के बीच आर्थिक हितों का टकराव (कमीशन खोरी) है।

हरियाणा में गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों पर कोरोना काल बनकर टूट रहा है। अध्ययन में सामने आया है कि अब तक कोरोना से मरने वाले कुल लोगों में से 85 प्रतिशत गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। वहीं 15 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त नहीं थे पर कोरोना ने उनकी जान ले ली। मरने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से लगभग दोगुना अधिक है। अब तक 2490 पुरुषों की कोरोना से मौत हो चुकी है, वहीं 1276 महिलाओं की जान गई है। खास बात ये है कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, हिसार, करनाल, पानीपत और रेवाड़ी जिलों में ऐसे मरीजों की संख्या अधिक है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 25 अप्रैल तक कुल 3767 मरीजों की मौत हो चुकी है। अब तो प्रदेश के पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के ट्रामा कोविड-19 अस्पताल में फिलहाल नए मरीजों की भर्ती कुछ समय के लिए रोक दी गई है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ पुष्पा दहिया ने बताया कि ट्रामा सेंटर में कोविड-19 मरीजों के लिए करीब 120 बेड है और वहां पर ऑक्सीजन की सप्लाई की मांग काफी अधिक बढ़ गई है जिसके चलते जो मरीज फिलहाल एडमिट है उन्हें ही मुश्किल से ऑक्सीजन की सप्लाई हो पा रही है, क्योंकि ट्रामा सेंटर के लिए बनाए गए ऑक्सीजन टैंक में हर 2 दिन में ऑक्सीजन डालना जरूरी है होता है लेकिन किन्ही कारणों से ऑक्सीजन न मिलने के चलते आक्सीजन नहीं डली इसलिए फिलहाल नए मरीजों को ऑक्सीजन की कमी दूर होने तक भर्ती नहीं किया जाएगा ताकि पुराने भर्ती मरीजों की जान को बचाया जा सके। वैसे आज मुख्यमंत्री स्वयं ऑक्सीजन कारखानों का दौरा कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
हर तरफ से बस मनहूस खबर आ रही है। सिस्टम जैसे पीपे के पुल जैसे चरर मरर पहले ही था पर अब ढहने को है। जिन पर दारोमदार था इस सिस्टम को बेहतरीन बनाने का, वे सरकारी तंत्र की जगह एक प्रचारतंत्र बन रह गए हैं। भावी नेता जगह जगह टीकाकरण कैंप आयोजित करके अपनी नेतागिरी को चमका रहे हैं। जबकि टीकाकरण अभियान केंद्र व प्रदेश सरकार चला रही है। सरकार ने जितनी चुस्ती टैक्स चुनने में बरती है, उसे कल्याणकारी मद में खर्चने में उतनी ही फिसड्डी। ना नीयत दिखती है और न ही इच्छाशक्ति। दावे हैं, वादे हैं, गाजे और बाजे हैं लेकिन जमीन पर सब नदारद।

नागरिक समाज अपनी बची खुची ताकत बटोर इस महामारी में खुद की मदद कर रहा। ज्यादातर कोशिश कामयाब हो रही लेकिन जहाँ असफलता मिल रही, दिल दिमाग सुन्न हो जा रहा। हालत कत्तई बेहतर हो सकते थे, कत्तई बेहतर। लेकिन नागरिक समाज के तौर पर हम फेल हो रहे लगातार जब प्रतिनिधियों को चुनने की बारी आती है तो जाति धर्म आदि आदि के नाम पर कुछ भी चुन लेते हैं हम। सुनने, कहने, लिखने में यह बात जैसी भी लगे लेकिन हल वहीं है। और कोई तरीका नहीं है। लेकिन आज तो बस बेबसी और लाचारी ही है।

ऑक्सीजन को लेकर के हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आर दावे धराशाई होते दिखाई दे रहे हैं। इस मामले में गुरुग्राम के सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह तथा हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत की, उससे भी कोई समाधान होता दिखाई नहीं दे रहा। गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने केंद्रीय नेतृत्व के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री को इस आपात स्थिति को लेकर अपनी “वेदना” को प्रकट किया और अधिकारियों की “मनमानी” पर नाराजगी जाहिर की है।

सिंगला पहले विधायक हैं जिनके मुख से विरोध झलका है। अब यहां सवाल यह खड़ा हो रहा है कि केंद्र व हरियाणा में भाजपा की सरकारें फिर प्रदेश में ऑक्सीजन को लेकर मौतें क्यों हो रही है? क्या सिस्टम सही ढंग से काम नहीं कर रहा या सरकार की अफसरशाही पर पकड़ नहीं। यह भी हो सकता है कि प्रदेश की सरकारी और निजी अस्पतालों में आर्थिक हितों का टकराव हो रहा हो।

अब यहां देखने वाली बात यह है एक तरफ हरियाणा के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री के दावे हैं तो दूसरी ओर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री गुरुग्राम के सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री गुरुग्राम के विधायक के साथ कुछ और अन्य नेता भी हैं जो केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क कर सहायता की गुहार कर रहे हैं। कोरोना महामारी में ऑक्सीजन,जरूरी दवाइयों तथा आवश्यक वस्तुओं की पूरी उपलब्धता के लिए हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को देश व प्रदेश में ऑक्सीजन, जरूरी दवाइयों तथा आवश्यक वस्तुओं के संकट के बारे में बताते हुए इन आवश्यक वस्तुओं को जल्द से जल्द छह महीने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आवश्यक वस्तुओं की सूची में डालने की मांग की हैं।

उपमुख्यमंत्री पत्र के जरिये केंद्रीय मंत्री को ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर, टॉकीलिजम्ब आदि जरूरी दवाइयों की बाजार में भारी कमी हो गई है। उन्होंने बताया कि आम आदमी तक यह जरूरी वस्तुएं उन्हें जायज दाम पर उपलब्ध नहीं हो रही है और इससे लोगों के स्वास्थ्य व जीवन पर भारी संकट पैदा हो गया है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि ऐसे हालात में इन सभी आवश्यक वस्तुओं, जीवन बचाने वाली दवाइयों की मांग काफी बढ़ रही है और इन वस्तुओं की खुले बाजार में भारी कमी है।

इससे पूर्व केंद्रीय योजना एवं सांख्यिकी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम व आसपास के जिलों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से 20 अप्रैल को दूरभाष पर बातचीत की थी। राव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को गुरुग्राम व एनसीआर के अन्य जिले रेवाड़ी व मेवात में लगातार बढ़ रहे कोविड-19 मरीजों की जानकारी देते हुए बताया कि गुरुग्राम जिले मैं लगातार कॉविड मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को अवगत करवाते हुए राव ने उन्हें जानकारी दी थी कि गुरुग्राम में स्थित प्राइवेट अस्पतालों में ही कोविड-19 मरीजों के लिए बेड उपलब्ध है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि गुरुग्राम व आसपास के रेवाड़ी जिले में अस्पतालों में लगातार ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ती जा रही है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया कि हरियाणा में गुरुग्राम में सबसे अधिक कोविड-19 मरीज है इसलिए गुरुग्राम को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की उपलब्धता सुलभ करवाई जाए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राव को आश्वासन दिया था कि वह हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री व अधिकारियों के लगातार संपर्क में है और आवश्यकता के अनुसार गुरुग्राम सहित अन्य जिलों को ऑक्सीजन व अन्य सुविधाएं केंद्र की ओर से उपलब्ध करवाई जाएंगी। सारे दावे और प्रयास हवा हवाई हो गये। गुरुग्राम व रेवाड़ी में लोगों की मौत इसका उदाहरण है।

अब आते हैं गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला की पीड़ा पर। उन्होंने अपनी पीड़ा का इजहार एक ट्वीट के द्वारा करके किया। उन्होंने अपनी वेदना को लेकर एक पत्र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी लिखा। एक विधायक और एक सांसद की की पीड़ा और प्रयास के बावजूद हालात नहीं सुधर रहे तो इसके लिए आखिर कौन जिम्मेवार है? गुरुग्राम तथा रेवाड़ी में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई  मौतों के लिए आखिर किस को जिम्मेवार ठहराया जाए केन्द्र, प्रदेश सरकार को या अधिकारियों को? 

“आपदा में अवसर” की तलाश में रहने वाले लोग मौके का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। इसमें नेता, अधिकारी और जनता के वह लोग हैं जिन्हें पैसे की हवस लगी हुई है। यह लोग ऑक्सीजन के साथ-साथ जीवन रक्षक दवाओं की जमकर जमाखोरी करके ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं। इन लोगों को इस बात का भी भय नहीं है कि आज दूसरे लोग मर रहे हैं कल तुम्हारा नंबर भी हो सकता है।

ऑक्सीजन पर भारी कमीशन ?

पीएम केयर्स फंड के 162 ऑक्सीजन प्लांट चालू ना हो पाने के पीछे एक बड़ा कारण केंद्र और राज्य के अधिकारियों के बीच आर्थिक हितों का टकराव भी माना जा रहा है। पीएम केयर्स फंड से लगभग प्रथम चरण में 200 करोड रुपए जारी तो हुए लेकिन सीधे राज्यों को नहीं। बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त  संस्था सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी को। इस 200 करोड़ में प्लांट मशीनरी और उसके मेंटेनेंस का खर्च शामिल था। दितीय चरण में 500 से ज्यादा ऐसे और प्लांट लगाए जाने थे। यानी मामला लगभग 1000 करोड रुपए से ज्यादा खरीदी का था। जाहिर है इतनी बड़ी राशि का नियंत्रण, केंद्र सरकार के अधिकारी अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। संभवतः इसी कारण के चलते टेंडर का जिम्मा राज्यों पर छोड़ने के बजाय केंद्रीय संस्था “सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी” को सौंपा गया। सरकारी अस्पतालों मेडिकल कॉलेजों को सिर्फ पाइपलाइन और इलेक्ट्रिक, सिविल वर्क का काम सौंपा गया। जोकि औसतन एक से दो करोड़ के प्लांट के आगे बहुत छोटा काम था। जाहिर है राज्य के अधिकारियों के पास एडजस्टमेंट का स्कोप भी लगभग ना के बराबर। 

नतीजा यह निकला कि राज्य सरकारों ने ज्यादा रुचि ही नहीं ली। कई ने जगह की कमी बताई तो कई ने समय पर प्लान ही नहीं भेजा। नतीजा यह कि 162 में से अभी तक सिर्फ 33 प्लांट ही लग पाए हैं। उसमें से कितने चालू हुए यह बताने को कोई तैयार नहीं।  तो सारी कथा का लब्बो लुआब यह है कि राज्य सरकारों के अस्पतालों ने इसलिए रुचि नहीं ली क्योंकि अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन खरीदी और कमीशन बाजी का एक अपना अर्थशास्त्र है। यह प्लांट लग जाने से उस पर सीधी चोट होती । और केंद्र हजारों करोड़ की खरीदी अपने हाथ से कैसे जाने दे?

ऊपरी तौर से आप को इसमें किसी भ्रष्टाचार की बू नजर नहीं आएगी लेकिन “अपराध शास्त्र” के नजरिए से देखेंगे तो साफ समझ में आएगा की अफसरों का तथाकथित आर्थिक हित आम जनता की सांसो पर भारी पड़ गया। क्योंकि केंद्र यह अच्छी तरह जानता है कि उसके पास अपना गोदी मीडिया है, आईटी सेल है। मूर्ख अंध भक्तों की लंबी चौड़ी फौज है। उसे यह सिद्ध करने में कतई मुश्किल नहीं होगी कि उसने तो 6 महीने पहले अक्टूबर 2020 ही पीएम केयर्स फंड से करोड़ों रुपए जारी कर दिए थे। और यह राज्यों की( गोदी मीडिया के हिसाब से राज्य मतलब दिल्ली महाराष्ट्र) नाकामी है कि प्लांट चालू नहीं हो पाए। यूपी में एक भी नहीं चालू हो पाया यह किसी मीडिया में नजर नहीं आएगा। शायद वह भारतीय राज्य नहीं किसी दूसरे ग्रह नक्षत्र में है। जैसे देश की कमान बड़े “देवदूत” के हाथ में है ठीक उसी तरह प्रदेश में यह छोटे “देवदूत” के हाथ में है।

तो जनाब ऑक्सीजन भले ही ना मिले, आपके अपने पंचतत्व में विलीन होते रहे। फिर भी सुकून की सांस लीजिए। पुराने भले ही ना लगे हो 550 प्लांट खरीदी का नया टेंडर जारी हो रहा है। आपकी सांसो की कीमत पर आपके सांसो के नाम पर।

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