यह है बेहद खास … मीठी और रसीली प्याज
पारम्परिक किस्मों से हट कर अन्य कंपनी पर किया भरोसा.
भरपूर मात्रा में उम्मीद से अच्छी फसल तैयार हो रही
फतह सिंह उजाला
पटौदी। गांव खेडा खुर्रमपुर के उन्नतशील किसान सुरेंद्र यादव कोरोनाकाल के दौरान मिठी व रसीली प्याज की खेती को लेकर इन दिनों इलाके में चर्चा का विषय बने हुए है। उन्होंने अपनी दो एकड़ भूमि पारम्परिक किस्मों से हट कर इस बार गाय के गोबर का खाद डाल कर एक अन्य कम्पनी का प्याज का बीज लगाया और भरपूर मात्रा में उम्मीद से अच्छी फसल तैयार हो रही है। जिसे देखने दूर दराज सें किसान भी पहुंच रहे है।
सुरेंद्र यादव ने बताया कि उनके गांव में अधिकांश किसान प्याज की परम्परागत खेती करते आ रहे है। लेकिन पैदावर व मार्किट में उपज का उचित भाव ठीक नहीं मिलने के कारण किसान अक्सर मायूस रहते है। उन्होंने इस बार परम्परागत प्याज की खेती को छोड कर प्याज की अन्य किस्म के बीज पर भरोसा जताया और कृषि वैज्ञानिकों के परामर्स के बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी दो एकड भूमि को समतल किया और उसके उपरांत दस हाईवा गाय का गोबर मंगवा कर 6 माह तक बेस्ट डी कम्पोज और सरसों की खल, गुड तथा लकड़ी का बुराद, सरसों की फूसी के खोल में उपचारित किया और एक अच्छा खाद तैयार किया। उसके बाद बैड बनवा कर प्याज उगाई ।
स्वस्थ पौध तैयार करना बहुत कठिन
उन्होंने बताया कि गर्मियों में तेज हवा, लू एवं पानी की कमी के बीच स्वस्थ पौध तैयार करना बहुत ही कठिन कार्य होता है, खेत में जल भरव के कारण विनाशकारी काला धब्बाय एन्थ्रोक्नोज रोग का प्रकोप अधिक होता है। अतः पौधों को अधिक पानी से बचाने के लिए हमेशा जमीन से उठी हुई क्यारी (10-15 सेंटीमीटर ऊंची) ही तैयार करनी चाहिए। क्यारीयों की चैड़ाई 1 मीटर व लम्बाई सुविधा के अनुसार रखी जा सकती हैं। दो क्यारियों के बीच में 30 सेंटीमीटर खाली जगह रखें, जिससे खरपतवार निकालने व अतिरिक्त पानी की निकासी में सुविधा रहती है। उन्होंने बताया कि प्याज की बुआई के शुरुआत में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बाद में भरपूर सिंचाई करनी चाहिए। प्याज के पौधों के आसपास विभिन्न प्रकार की खरपतवार पैदा हो जाती है। जो पौधों के विकास पर रोक व उसके पोषक तत्वों , नमी आदि के लिए प्रतिस्पर्धा करते है। जिसके कारण बिमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। इस लिए खरपतवार को नष्ट करना अति आवश्कत हो जाता है। अच्छी पैदावार के लिए हाथ से निराई, गुडाई की आवश्यकता होती है।
दो एकड में करीब 400 से 500 क्विंटल प्याज
उन्होंने बताया कि उनके खेत में 80 दिन प्याज की बुआई को हो गए। प्रत्येक प्याज लाल कलर व उनका वजन करीब 100 से 378 ग्राम तक तैयार है। कम्पनी के मुताबिक इनका वजन 200 ग्राम तक ही निधार्रित किया गया है। यह उनकी मेहनत, देशी खाद का कमाल है। 100 दिन के उपरांत प्याज की खुदाई का कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गत दिनों आई तेज आंधी के कारण पौध की फसल उखड़ गई थी। लेकिन सिंचाई के बाद उनमें फिर से रंगत दिखाई दे रही है। उन्हे पूरी उम्मीद है कि उनके दो एकड में करीब 400 से 500 क्विंटल प्याज हो सकती है। इन दिनों प्याज का मंडियों में अच्छी किस्म की प्याज का भाव 12 से 15 रुपए है जो नाम मात्र है। प्याज की खेती में प्रति किलों 10 से 12 रुपए दवाई, बीज, खाद, मजदूरी सहित खर्च आता है।