उमेश जोशी

कालका विधायक प्रदीप चौधरी को सेशन कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है लेकिन साथ ही काँग्रेस और बीजेपी के कई नेताओं की हवाइयां उड़ गई हैं। प्रदीप चौधरी के बिगड़े भाग्य से अपना भाग्य संवारने के दिन रात सपने देखने वाले काँग्रेस बीजेपी के नेताओं का हलक सूख गया है; धमनियों में रक्त का रक्त का संचार धीमा पड़ गया है। सारे सपने चकनाचूर हो गए, एक ही झटके में।   

पिछले चुनाव में हारे हुए या लंबे समय से बिना किसी पद के मारे मारे फिरने वाले काँग्रेस और बीजेपी के ‘बेचारे’ नेता अपना भविष्य चमकाने के लिए कालका के उपचुनाव पर नज़र गड़ाए हुए थे। सभी मान कर चल रहे थे कि प्रदीप चौधरी को निचली अदालत में तीन साल की सज़ा होने के बाद उपचुनाव निश्चित है। लिहाजा, राजनीतिक भविष्य पर मातमपुर्सी करने वाले नेताओं को इस उपचुनाव से उम्मीद की किरणें दिखाई देने लगी थीं और दोनों ही पार्टियों के कई नेता अपने राजनीतिक बनवास की समाप्ति की राह खोजने लग गए थे। लेकिन आज सेशन कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी। इसका मतलब है कि कालका के विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा की सदस्यता बरकरार रहेगी यानी अब कोई उपचुनाव नहीं होगा। इसका अर्थ यह भी है कि प्रदीप चौधरी की बर्बादी पर सपनों का महल खड़ा करने वाले नेताओं की उम्मीदों का चिराग बुझ गया है। 

 उपचुनाव के रास्ते विधानसभा में पहुंचकर मंत्री पद पाने का स्वस्प्न देखने वाले बीजेपी के नेताओं में कई नाम सामने आ रहे थे लेकिन सबसे ऊपर ऐसे नेता का नाम सामने आ रहा था जिसने कभी 2014 में मुख्यमंत्री बनने का सपना देखा था लेकिन उसे मंत्री पद पर ही संतोष करना पड़ा था। 2019 में चुनाव हारने के बाद मंत्री पद भी चला गया। उसे लग रहा था कि जीवन के इस पड़ाव पर मंत्री पद भी मिल जाए तो सम्मान वापस आ जाएगा लेकिन बिल्ली के भाग्य से हमेशा छींका नहीं टूटता है। 

काँग्रेस के एक नेता, जो कभी उपमुख्यमंत्री होते थे, अपने अंधियारे भविष्य को कालका उपचुनाव के ज़रिए रोशन करना चाह रहे थे। वो बेचारे लंबे समय से गुमनामी में जी रहे थे। अब उन्हें थोड़ी उम्मीद दिखाई दी थी लेकिन एक बार फिर प्रदीप चौधरी के भाग्य के सामने उन गुमनाम नेताजी का भाग्य माड़ा साबित हुआ। वो बेचारे नेताजी अपनी परंपरागत कालका सीट छोड़ कर पंचकूला चले गए थे। वहाँ से चुनाव हार गए। अब चाह रहे थे कि 2019 की गलती सुधार कर फिर कालका चले जाएं लेकिन प्रदीप चौधरी के भाग्य ने ऐसा नहीं होने दिया। ऐसे ही कितने नेता होंगे जिनकी उम्मीदों के चिराग आज बुझे हैं।

कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को हिमाचल प्रदेश के बद्दी की निचली अदालत ने तीन साल की सजा और 85 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। इसके बाद हरियाणा विधानसभा सचिवालय ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने का एलान किया था।     

स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि कालका सीट 30 जनवरी 2021 से खाली मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि विधायक प्रदीप चौधरी को तीन साल की सजा होने पर अयोग्य घोषित कर दिया गया है। दो साल से अधिक सजा होने पर दोषी सदस्य की संसद और विधानसभा की सदस्यता खत्म करने का प्रावधान है। प्रदीप चौधरी को एक महीने के भीतर सेशन कोर्ट में अपील करने का समय मिला था। आज उसी सेशन कोर्ट से प्रदीप चौधरी को राहत मिली है।

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