आय बढ़ाने और स्मृद्धि के लिए उद्यमशीलता अपनाएं किसान: जयप्रकाश दलालकिसानों से केवल फसल उत्पादन तक सीमित न रहकर फूड प्रोसेसिंग अपनाने की अपील चंडीगढ़, 19 अप्रैल। किसान को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए न केवल अनाज उत्पादन तक सीमित रहना होगा, बल्कि फूड प्रोसेसिंग भी अपनाना होगा। फूड प्रोसेसिंग अपनाकर किसान बड़ी-बड़ी कंपनियों की भांति ही अच्छी-खासी आमदनी कर सकते हैं। किसानों को प्रगतिशील सोच बनाकर आगे बढऩा होगा। यह कहना है प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल का। श्री दलाल का कहना है कि पंजाब व हरियाणा के 75 फीसदी किसानों के पास पांच एकड़ से कम जमीन है और उनमेंं भी 70 फीसदी से अधिक किसान गेहूं व धान के परंपरागत फसली चक्र में फंसे हैं। इस चक्र के विपरित सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा की भावांतर योजना के तहत सरकार किसानों को सब्जियों के भाव बाजार से कम होने पर भाव के अंतर की भरपाई कर रही है। धान जैसी पानी की अधिक खपत वाली परंपरागत फसल के चक्र से किसानों को मक्का की ओर बढ़ाने के लिए 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के ऐसे नए प्रयोगों को बढ़ावा देना चाहती है जिससे किसान की आय वृद्धि के नए तरीके और नए मॉडल विकसित हो सकें। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और तेजी से शहरीकरण-औद्योगिकीकरण के बीच यह खेती की जमीन घटना भी एक चुनौति है। उन्होंने कहा कि छोटी जोत के किसानों के लिए मधुमक्खी पालन वरदान है। हरियाणा किसान आयोग की 2017 की एक रिपोर्ट मुताबिक राज्य के करीब 5000 गांवों के किसान सालाना 4000 टन शहद उत्पादन कर रहे हैं। सालाना 50 लाख रुपए के शहद का कारोबार करने वाले यमुनानगर के एक छोटे से किसान का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 28 मार्च को 75-वीं ‘मन की बात’ में जिक्र कर देश के किसानों को उद्यमशीलता की ओर बढाने का संदेश दिया है। किसानों को शहद उत्पादन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग की ट्रेनिंग और उपकरणों की खरीद के लिए 50 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। हरियाणा सरकार यमुनानगर में जल्द ही शहद मंडी भी शुरु करेगी। कृषि मंत्री का कहना है कि खेत से खाने की थाली तक………….. कृषि मंत्री का कहना है कि खेत से खाने की थाली तक एक किसान और आखिरी उपभोक्ता के बीच खाद, बीज, कीट नाशक, कृषि उपकरण कंपनियां समेत प्रोसेसर, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टर्स, होल-सेलर्स, रिटेलर्स और रेहड़ी-फड़ी वालों मिलाकर करोड़ों उद्यमी आगे बढ़ रहे हैं तो धरती पुत्र किसान आगे क्यों नहीं बढ़ सकता? उपज के बदले में किसान को लागत पर कुछ कमाई होती है पर प्रोसेसिंग कंपनियां और उनके डीलर्स आखिर उपभोक्ता को बेच अधिक मुनाफे में हैं। आलू, टमाटर, मक्का से किसान को लागत पर 30 फीसदी तक कमाई हो सकती है जबकि इन्हीं उपज की चिप्स, चटनी और पॉपकॉर्न के रुप में प्रोसेसिंग करने वाले उद्यमियों का मुनाफा 300 फीसदी तक है। किसानों से 10 रुपए प्रति किलो खरीदा गया आलू चिप्स बनकर आखिरी उपभोक्ता तक 300 रुपए किलो बिक रहा है। उत्पादक (किसान)और उपभोक्ता के बीच की खाई में जो मुनाफा बिचौलिए उद्यमी पा रहे हैं, वह किसान भी कमा सकता है, यदि वह खुद को प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिग के लिए भी तैयार कर ले। श्री दलाल का कहना है कि वे भी एक किसान हैं, बड़े पैमाने पर उन्नत खेती उद्यमशीलता से कर रहे हैं। उन्होंनें किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए उद्यमशीलता को अपनाएं। किसान की उपज पर फैले कारोबार से जब सैंकड़ों उद्यमी खासा मुनाफा कमा रहे हैं तो किसान भी परपंरागत खेती से आगे निकल उद्यमी बनने की सोचें। हरियाणा सरकार कृषि उत्पादों पर आधारित ग्रामीण इलाकों में गोदाम, खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग जैसे उद्यमों को विकसित करने पर जोर दे रही है। खाद्य प्रसंस्करण के ट्रेनिंग सेंटर कुरुक्षेत्र,जींद और सिरसा में स्थापित किए गए हैं’। Post navigation प्रदीप बने रहेंगे कालका के चौधरी; कइयों की उम्मीदों के चिराग बुझे डिजिटल वॉलेट प्लेटफॉर्म ’फोन-पे’ ऐप के माध्यम फ्रॉड करने वाले स्कैमर्स काबू