चंडीगढ़, 14 अप्रैल – हरियाणा के राज्यपाल श्री सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा कि डा. भीम राव अम्बेडकर का मानना था कि सुशासन ही सामाजिक-आर्थिक न्याय की सर्वोच्च उपलब्धि होता है। डा. बी. आर. अम्बेडकर के इसी दर्शन को मूर्तरूप देने के लिए वर्तमान केन्द्र व राज्य सरकारें प्रभावी ढंग से कार्य कर रही हैं।

यह बात उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा बाबा साहेब की 130 वीं जयन्ती पर आयोजित ‘‘डा. भीम राव अम्बेडकर जी के सामाजिक-आर्थिक न्याय एवं सुशासन दर्शन’’ वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कही। इससे पहले उन्होंने बुधवार को राजभवन में महान समाज सुधारक संविधान निर्माता डा. बी. आर. अम्बेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर नमन किया।

बाबा साहेब की 130 वीं जयन्ती पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने देश में सुशासन स्थापित करने के उद्देश्य से संविधान में नीति निर्देशक सिद्धान्तों को शामिल किया। उन्होंने कहा कि वे सुशासन और सामाजिक-आर्थिक न्याय के पक्षधर थे।

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने व्यक्तिगत स्तर पर प्रतिदिन 21-21 घंटे कार्य कर 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में संविधान का प्रारूप तैयार किया। इसीलिए बाबा साहेब को संविधान का मुख्य निर्माता माना जाता है।  

श्री आर्य ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक विकृतियों को दूर करने के लिए बाबा साहेब ने लोकसभा व विधानसभाओं के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में गरीब व दबे-कुचले लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया। इसी आरक्षण की बदौलत आज समाज में दलित समाज को पहचान मिली है। उन्होंने देश के दबे-कुचले और गरीब लोगों को तीन सूत्र दिये:-शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो। देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बाबा साहेब के सम्मान में जो कार्य किए हैं उनसे गरीब समाज के लोगों को सम्मान मिला है।

श्री आर्य ने कहा कि बाबा साहेब समाज में महिलाओं की दशा सुधारने में के लिए प्रयासरत रहे। उन्होंने कहा कि आज गरीब वर्ग के लोगों, युवाओं तथा विशेष रूप से छात्रों को डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी के बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि बाबा साहेब के बताये तीन सिद्धान्तों को अमल में लाएं तभी बाबा साहेब का सपना साकार होगा।

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