13  अप्रैल 2021 – जलियावाला बाग के शहीदों के 102वें शहीदी दिवस पर आज अपने कार्यालय में स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही नेे उन्हे भावभीनी श्रद्घाजंली दी। इस अवसर पर कपिल यादव, अमन कुमार, प्रदीप यादव, अजय कुमार व कुमारी वर्षा ने भी अपने श्रद्घासुमन इन शहीदों को अर्पित किए। इस मौके पर विद्रोही ने कहा कि आज से 102 वर्ष पूर्व 1919 में बैशाखी के अवसर पर जलियावाला बाग में शांतिपूर्ण ढंग से कांग्रेस के बैनर तले इक्कठा हुए नागरिकों द्वारा देश की आजादी की मांग उठाने पर उस समय की अंग्रेजी सरकार के अधिकारी जरनल डायर इस कदर बौखलाएं कि उन्होंने अंग्रेजी पुलिस को जलियावाला बाग को चारो ओर से घेरने के आदेश दिया। चारदिवारी से घिरे मात्र एक रास्ते वाले व निहत्थे आजादी की मांग करने वाले सामान्य नागरिकों पर बिना किसी चेतावनी के अंधाधुंध गोलिया चलवाई। जरनल डायर व अंग्रेजी पुलिस की इस बर्बर व कार्यरतापूर्ण हमले से सैकड़ों निर्दोष नागरिक देश की आजादी की बलिवेदी पर शहीद हो गए। जरनल डायर ने उन्हे जलियावाला बाग से बहार निकलने व बचने का कोई अवसर नही दिया।            

विद्रोही ने कहा कि जरनल डायर द्वारा 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग में किया गया यह बर्बर नरंसहार दुनिया के इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज है। पूरी दुनिया इस बर्बर हत्याकांड से शतब्द रह गई थी। पूरे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के प्रति रोष की लहर दौड़ गया थाा व पूरी दुनिया को पता चला कि किस हद तक गिरकर बर्बरता करके अंग्रेज अपनी हुकुमत भारत में कायम किये हुए थे। जलियावाला बाग में कांग्रेस के बैनर तले एकत्रित हुए देश के सामान्य नागरिकों ने देश की आजादी की लड़ाई में अपनी शहादत देकर अपने अमूल्य जीवन को देश के लिए बलिदान किया, वह देशभक्ति का अभूतपूर्व जज्बा था। वह देश के प्रति ऐसा अनूठा बलिदान था जिस पर 102 वर्ष बाद भी हर भारतवासी को गर्व है।                

विद्रोही ने कहा कि हालांकि जलियावाला बाग के नरंसहार के लिए जिम्मेदार जरनल डायर को 21 वर्ष बाद 13 मार्च 1940 को मां भारती के महान सपूत शहीद उद्यम सिंह ने लंदन में गोली से उड़ाकर इस बर्बर हत्यारे को दंडित करके भारत वर्ष का गौरव बढ़ाया। लेकिन अंग्रेजी हुकुमत ने इतने बड़े नरसंहार के लिए जिम्मेदार कायर जरनल डायर को अपनी ओर से सजा नही दी। आज देश अंग्रेजी हुकूमत के पंजे से मुक्त होकर 74 वर्षो से आजाद है, लेकिन आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान करने वाले महान शहीदों के सपने का भारत बनाने के लिए हमे बहुत कुछ करना है। जलियावाला बाग के शहीदों को श्रद्घाजंली देते समय शहीदों के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लेना ही इन महान शहीदों की शहादत के प्रति सच्चा आभार होगा।

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