वर्तमान समय कोरोना काल में यह सिद्ध हो गया कि मर्जी इंसान की नहीं परमात्मा की चलती है : दिनोद राधा स्वामी कँवर साहेब

हांसी    ,11  अप्रैल । मनमोहन शर्मा 

भक्ति जीवन से विलग नहीं है।भक्ति इंसान के विश्वास को आस्था को संयम को दॄढ करने का साधन है।भक्ति सर्वशक्तिमान की अधीनता है।भक्ति इंसान में यह एहसास जगाती है कि जो कुछ करने वाला है वो परमात्मा है।वर्तमान समय कोरोना काल में यह सिद्ध भी हो गया है कि मर्जी इंसान की नहीं परमात्मा की चलती है।

यह सत्संग वचन राधा स्वामी दिनोद के परमसन्त सतगुरु कँवर साहेब जी महाराज ने हाँसी के भिवानी रोड पर स्थित राधास्वामी आश्रम में प्रकट किए।कोरोना नियमो की सम्पूर्ण पालना करते हुए सीमित संख्या में ही साध संगत को आश्रम में रुकने दिया गया

 और सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन ही वर्चुअल रूप से प्रेमियों ने सत्संग का लाभ उठाया।गुरु महाराज जी ने कहा कि कभी कभी विकट समय में इंसान परमात्मा पर ही सवाल उठाना शुरू कर देता है।इन्ही सवालों का सही जवाब है सतगुरु का सत्संग।सत्संग हमें यथार्थ से रूबरू करवाता है।सन्तों के वचन जीव के कल्याण के लिए और उसके पापों का नाश करने वाले होते हैं।सन्तों का सत्संग हमारी मन की दृढ़ शक्ति को बढ़ाता है।सत्संग आपको मनमुखी से गुरुमुखी बनाता है।मन को केवल सन्तों का वचन ही बांध सकता है।उन्होंने कहा कि नेक कर्म करके ही इंसान भक्ति की और बढ़ सकता है।जिसके मन में दया धर्म प्रेम परोपकार नहीं है वो लाख भक्ति करे लेकिन उसकी भक्ति बेकार है।

हुजूर महाराज जी ने फरमाया कि समय बदल गया।पहले इंसान मुश्किल हालतों में भी भक्ति कमाता था।उन मुश्किल हालतों से उनकी परीक्षा हो जाती थी।आज साधन सहूलियत हैं लेकिन भक्ति गौण हो गई।उन्होंने कहा कि दूसरे की सहायता करके सही मायने में हम अपनी ही सहायता करते हैं।जैसा भाव आप दूसरों को दोगे बदले में वैसे ही भाव आपको वापिस मिलेंगे।गुरु महाराज जी ने कहा कि उल्टी रीत चल रही है।जो परमात्मा का भक्त है,सत्संगी है उससे तो हम मेल बढाते नहीं बल्कि संसारियों में हम अपना समय बर्बाद करते हैं।गुरु महाराज जी ने कहा कि जैसे बढई लकड़ी की कांट छांट करके उसे उत्कृष्ट रूप देता है वैसे ही गुरु भी शिष्य के कर्मो की कांट छांट करके उसके जीवन के सुधार की बात करता है।उन्होंने कहा कि आज तो इंसान गुरु के वचन पर ही संशय करता है।इंसान समाज में रहने की शिक्षा परिवार से लेता है इसलिए आप अपनी सन्तान को अच्छे संस्कार दो।

हुजूर कँवर साहेब जी ने कहा कि भक्ति दिखावे की चीज नहीं है।परमात्मा की नजर सबपर है।कितनी ही चतुराई करो लेकिन परमात्मा दूध का दूध और पानी का पानी कर देता है।गुरु महाराज जी ने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार कुछ हाजी हज यात्रा को जा रहे थे।उनमें से एक ने देखा कि एक इंसान पीड़ा से कराह रहा था।एक यात्री उसकी सेवा करने के रुक गया।बाकी सब ने हज किया लेकिन वो पीछे रह गया।जब वो हज पहुंचा तो सब वापिस आ रहे थे।रास्ते में सब चर्चा करने लगे कि किस की हज कुबूल होई है।इतनी देर में भविष्यवाणी हुई कि हज तो केवल एक का ही हुआ है जिसने घायल इंसान की सेवा की है।गुरु महाराज जी ने कहा परमात्मा को जब कोई सच्चे दिल से याद करता है वो उसी का है।हैरानी की बात यह है कि हम उस सर्वशक्तिमान के आगे भी झूठ कपट और छल दिखाते है।जो पूरी दुनिया को चलाता है हम उसको चलाने की कोशिश करते हैं।उन्होंने कहा कि छोटी से छोटी चीज भी नियम से बंधी हुई है।हम परमात्मा की अमानत में खयानत उतपन्न करते हैं।

उन्होंने कहा कि हर कोई सोचता है कि मैं ही दुखी हूं लेकिन अगर गौर करके देखोगे तो पाओगे कि रोग दुख और शोग तो घर घर में हैं।सुखी केवल वह है जिसने परमात्मा की ओट ले ली है।धर्म कर्म जप तप ना करोगे तो भी काम चल जाएगा लेकिन परमात्मा को याद किये बिना काम नहीं चलेगा।

हुजूर महाराज जी ने कहा कि जो आपको धर्म से डिगाये उसको अविलम्ब त्याग देना चाहिए।उन्होंने कहा कि बेटा यदि नालायक हो मित्र अगर स्वार्थी हो तो इनको तुरन्त त्याग दो।इसी प्रकार यदि माता निर्मोही हो और निर्लज्ज नारी हो,कामी सन्यासी को नमकहराम नौकर को भी तुरन्त ही छोड़ देना चाहिए और गुरु यदि लालची हो और चेला आलसी हो तो उनका त्याग करने में भी कोई बुराई नहीं है।हुजूर कँवर साहेब ने कहा कि गुरु नाम समझ और ज्ञान का है इसे कभी अपने माथे से ना हटने दो।घरों में प्यार प्रेम बनाये रखो।सन्तान को अच्छे संस्कार भरो।माता पिता बड़े बुजुर्गों की सेवा करो।समाज के लिए अच्छे कार्य करके जाओ।किसी का दिल ना दुखाओ।पशु पक्षियों के लिए भी दाने चुगे और पानी का प्रबंध करो।पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करो।भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध और पाप ना करो।इस जगत सराय को साफ स्वच्छ छोड़ कर जाओ ताकि इसमें आने वाला मुसाफिर आपको खुशी खुशी याद करे।परमात्मा बड़ा न्यायकारी है उसके हुक्म में चलना सीखो।जैसे हालात गुजरते हैं उसी में खुश रहना सीखो ।

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