जोड़तोड़ की राजनीति को खारिज करते हुए अटल ने कहा था कि भाजपा राजनीति में, राजनीतिक दलों में, राजनेताओं में, जनता के खोए हुए विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए राजनीति करेगी।मोदी और शाह ने भाजपा के संस्थापक अटल आडवाणी को भूलाया।मुखर्जी व उपाध्याय भाजपा की विचारधारा हो सकते हैं पर संस्थापक नहीं।आपने अपने वरिष्ठ की कदर नहीं की समय आने पर आपकी कौन करेगा।7 साल से सत्ता में हैं तब भी इस्तीफा आप राहुल और सोनिया से ही मांगते हैं, आपकी कंटीन्यूटी को सलाम। बंगाल में जीएसटी, नोटबंदी, किसान बिल सब गायब।वर्षों पहले ‘स्वामीनाथन-आयोग’ की रिपोर्ट को लागू कराने के लिए ‘अध-नंगे हो कर सड़कों पर विचरण करने वाले प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ भी अब बिल्कुल ही नंगे हो गये हैं, वे अब आंदोलनरत किसानों को नसीहत पेल रहे हैं। अशोक कुमार कौशिक बीते कल भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस था ।भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था । पूर्व में जनसंघ फिर जनता पार्टी का हिस्सा रही भाजपा के अभ्युदय के बाद अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे। इसी दिन अटलजी ने महात्मा गांधी और जयप्रकाश नरायण के सपनों को पूरा करने का संकंल्प लिया था। जोड़तोड़ की राजनीति को खारिज करते हुए वाजपेयी जी ने कहा था कि भाजपा राजनीति में, राजनीतिक दलों में, राजनेताओं में, जनता के खोए हुए विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए राजनीति करेगी पर 41 वर्ष बीत जाने के बाद भी ऐसा हुआ क्या ? एक साल पहले मोदी अटलजी का वीडियो जारी करके पूरे देश से 9 बजे पूरे 9 मिनिट तक दिया जलाने की अपील करते है लेंकिन क्या वो अटलजी की राजनीति का 1 प्रतिशत भी फॉलो करते है चलिये कल्पना करते है की अगर आज इस संकट के समय अटल पीएम होते तो क्या होता। सबसे पहले वो विपक्ष के नेता को फोन लगाते और एक आल पार्टी मीटिंग बुलाते और देश के हालात डिस्कस करते। अटल ने 6 सालो के कार्यकाल में एक भी नोटंकी भरे इवेंट नही किये क्योकि वो चीजो की सवेंदनशीलता को पहचानते थे। अटल बिमारी से लड़ने के लिए कोई कविता नही गाते अपितु कलाम जैसे वैज्ञानिकों और जार्ज फर्नांडिज जैसे समाजवादियों की एक टीम बना कर पूरे बीमारी को सामुहिक नेतृत्व से लड़ते । अटलजी लगभग हर हफ्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जनता के असली सवालो का जवाब देते और दो तरफा संवाद करते। अटल लॉकडाउन से पहले यह सुनिश्चित करते कि कोई अराजकता नही फैले जिससे कोई भी गरीब मजदूर पैदल चलकर भूखा नही मरता और लाकड़ाउन का असली उद्देश्य पूरा होता। पर अफसोस है कि चिराग जलाने वाले मोदी ने ऐसा एक भी काम नही किया उल्टा उनकी लापरवाही और अदूरदर्शिता से सैकड़ों मजदूरों के घरों के चिराग बुझ गए । मोदी जी के समर्थक कह रहे है कि वो घँटी बजवा कर और दिया जलाकर लोगो को राष्ट्रीय भावना से भर कर उन्हें मोटिवेट कर रहे थे तो मोदी फिर चूक कर रहे है अगर अटल पीएम होते तो वो गाँधी औऱ शास्त्री की तरह एक समय का भोजन स्वयं छोड़कर लोगो को भी प्रेरित करते ताकि उन गरीब लोगों तक अन्न पहुँचता जिन्हे इस्की सबसे ज्यादा जरूरत थी। दोनो तरफ के मूर्खो औऱ जाहिलो की हरकत पर अटलजी उन्हें राजधर्म निभाने का कड़ा संदेश देते जैसे उन्होंने मोदी को 2002 के दंगों के दौरान दिया था। लेकिन मोदी जी ने उसका कभी पालन नही किया,अटल तमाम धर्मगुरुओं को साथ लेकर एक वीडियो अपील जारी करते ताकि लोगो की जहालत को कम करके उनके अंदर राजधर्म के लिए सम्मान पैदा होता । मोदी बहुत सिलेक्टिव नेता है वो महापुरुषों से केवल अपने हिसाब से चीजो को लेते है। वो दिनभर गाँधी का नाम जपते है लेकिन गोड़सेवादीयो को अपने बगल में रखते है वो अटल का दिया जलाने वाली कविता का उपयोग करते है लेकिन अटल के राजधर्म निभाने वाली सिख को भूल जाते है। साहिब जी व उनकी टीम ने स्थापना दिवस पर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी तथा दीनदयाल उपाध्याय को तो याद किया गया। पर भाजपा संस्थापक अटल आडवाणी तथा उनके समकालीन नेतृत्व टीम का उद्देश्य और आदर्श को दरकिनार कर दिया । मुखर्जी, उपाध्याय, गोडसे भाजपा की सोच हो सकते हैं। पर सच में भाजपा की रीड की हड्डी अटल आडवाणी की तत्कालीन भाजपा टीम ही थी। लालकृष्ण आडवाणी हृदय से उस क्षण को कोस रहे होंगे तब नरेंद्र मोदी को आगे बढ़ाने के लिए वह अटलजी के आगे अड़ गए थे। ऐसे क्षण कि उन्होंने परीकल्पना भी नहीं की होगी साहेब जी आप अपने नेताओ को कितना जानते है और उनक कितना सम्मान करते है वो केवल प्रतीकों से सिद्ध नही होता है। आप मिसाल कायम करते है जब आप उनके सिद्धान्तों का अक्षरश: पालन करते है। साहेब आप बहुत बड़ा मौका चूक गए है। आप राजनेता तो बड़े बन गए है लेकिन एक स्टेटसमैन बनने में आपको अभी बहुत लंबा सफर तय करना है। आज भारत को अटलजी जैसे स्टेट्समैन की जर्रूरत है जो हमारे अद्भुत लोकतंत्र को एक नई ऊँचाई पर ले गए थे, पर नो ग्यारंटी, नो वारंटी के इस मार्केटिंग की दौर में साहब जैसे अच्छे सेल्समैन तो मिल सकते है लेकिन स्टेट्समैन मिलना टेढ़ी खीर है। जब कोई व्यक्ति स्वाभाविक तौर पर जैसा होने का बहुत अधिक दावा करता है, तो समझ जाइए कि वह ऐसा बिल्कुल नहीं है | फिर भी उसके चरित्र की जांच करने के लिए यह तरीका आजमा सकते हैं | यदि कोई व्यक्ति जीभ के स्वाद से पूर्ण सात्विक होने का दावा करे। तो उसे स्वादिष्ट भोजन के साथ अकेला छोड़ दीजिए और बाद में वह भोजन किसी अन्य को देना है ऐसा कहिए, उसका असली चरित्र आपको दिखाई दे जाएगा। यदि कोई व्यक्ति स्वयं को धन के लालच से मुक्त होने का दावा करे तो उसका थोड़ा सा धन का नुकसान करवा कर शांत रहने के लिए कहिए, उसका भी असली चरित्र बाहर आ जाएगा। यदि कोई व्यक्ति स्वयं को जीवन की मोह-माया से मुक्त बताते हुए दयालु और वैरागी होने का दावा करे, तो उसे गुप्त दान (यानि अपनी संपत्ति बिना अपने नाम की चर्चा किए किसी अन्य को देने) के लिए कहिए, उसका भी असली चरित्र बाहर आ जाएगा। यह साहेब जी आप पर एकदम फिट बैठता है। इस पीड़ा को भला लालकृष्ण आडवाणी से ज्यादा और कौन जान सकता है। भाजपा को लेकर यह भी एक कटु सत्य है कि वह व्यक्ति पूजा को ज्यादा महत्व नहीं देते यह बात पूर्व के नेतृत्व पर लागू होती है वही आज के नेतृत्व को भी भली प्रकार से समझ लेनी चाहिए। आने वाला नेतृत्व मोदी और शाह को इसी प्रकार मक्खी की तरह निकाल सकेगा जिस प्रकार आडवाणी और उसकी टीम को निकाला गया। कल भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी। भुकुटी तान कर, नथुने फुलाकर बोलने का मंत्री रविशंकर प्रसाद का अंदाज़ निराला है। जब नथुने पूरे फूले हों तो मोदी की बुलेट ट्रेन एक साथ तीन एक तरफ से घुसकर दूसरी तरफ से पांच निकलेंगी। 2 एक्स्ट्रा कहां से ? अरे वही मोदी जी का 2 ab। क्या समझा था, बेवकूफी की बात करने का ठेका सिर्फ आपकी पार्टी के पास है? वैसे यह मानता हूं की जब आप विपक्ष में थे तब और आज जब 7 साल से सत्ता में हैं तब भी इस्तीफा आप राहुल और सोनिया से ही मांगते हैं। आपकी कंटीन्यूटी को सलाम। जब भाजपा विपक्ष में थी तो पीसी में प्रवक्ता हंसते मुस्कुराते भी थे। चुटकी भी लेते थे सत्ताधारी कांग्रेस और उसके नेताओं पर। लेकिन जबसे आप सत्ता में आए हैं, एक अजब तरह के तनाव में रहते हैं। हंसना मुस्कुराना तो छोड़िए, आप झूठ बोलने की कला भी भूल चुके हैं। इस एक कला के अलावा आपके पास और कुछ था भी नहीं। मेरी तो प्रबल इच्छा है कि आप इस्तीफा दे दें। हंसते हुए देखना चाहते हैं आपको फिर से। वैसे भी आपके मंत्रालय का सारा जिम्मा तो सर्वोच्च न्यायालय ने संभाल रखा है। तो खाली आदमी को तनाव तो होगा ही। वैसे वह जो “आतंकवादी” दिल्ली घेरे बैठे हैं उनसे बात क्यों कर रहे आप लोग अगर वह आतंकवादी हैं तो? मंत्री जी बहुत नाटक हो गया। आपका पूरा मंत्रिमंडल, मोदी समेत, यह बोल रहा है की एमएसपी मिलेगी। तो लिखकर क्यों नहीं दे देते? अब सुनिए। आपकी नियत में खोट है। पूरा मंत्रिमंडल सरासर झूठ बोल रहा है। आप सब भाजपाई, संघ समेत, उस अंबानी अडानी के हाथों बिक चुके हो। और इसमें भी आपकी काबिलियत आड़े आ रही है। क्यों नहीं एक बार में ही पूरा देश उनके नाम कर देते हो? आपको सिर्फ झूठ बोलकर, दूसरे को नीचा दिखाकर, चुनाव जीतना आता है। सिर्फ और सिर्फ यही आपकी काबिलियत है। बंगाल में जीएसटी, नोटबंदी, किसान बिल सब गायब। अगर हो सके तो साहेबजी अपने मंत्रियों के ट्वीट देखिएगा। 2014 के पहले के ट्वीट। उनको देखकर यह तो सिद्ध हो गया कि आप तब भी जोकर थे और अब भी उससे ज्यादा कुछ नहीं है। झूठ, मक्कारी और पैसे के अलावा आप सब को कुछ भी नही दिख रहा है। देश बरबाद हो गया सर। बधाई हो। आप अपने मिशन में कामयाब हो गए। एक माला मेरी तरफ से पहन लीजिएगा। अब साहिब की हरियाणा टीम की बात करते हैं। किसानों को शोषण से बचाने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती देने के लिए वर्षों पहले आई ‘स्वामीनाथन-आयोग’ की रिपोर्ट को लागू कराने के लिए ‘अध-नंगे हो कर सड़कों पर विचरण करने वाले बीजेपी के हरियाणा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ भी अब बिल्कुल ही नंगे हो गये हैं । वे अब आंदोलनरत किसानों को नसीहत पेल रहे हैं कि उन्हें (किसानों) बीजेपी शासित राज्यों की बजाए कांग्रेस शासित राज्यों में जाकर धरने प्रदर्शन करने चाहियें । उनकी निगाह में बीजेपी शासित राज्यों में आंदोलन करना पाप और देशद्रोह है जबकि कांग्रेस शासित राज्यों में आंदोलन करना पुण्य व देशभक्ति का काम है । ओमप्रकाश धनखड़ नाम का ये आदमी खुद को किसान का बेटा कहता है और सत्ता के लिए रोज किसानों के खिलाफ अंटशंट बकता रहता है । साहब जी अभी भी समय है आप सामुहिक नेतृत्व देश पर आए संकट का सामना कीजिए क्योंकि कुछ अंधकार हमे इस बीमारी ने दिए है कूछ आपकी अदूरदर्शिता ने दिए है आपके लिए मेरे मन में एक ही बात आती है। खुद अंधेरा कर मुझे जुगनू बनाने की कोशिश करते हो, तुम अंधेरों से लड़ोगे बच्चों सी बातें करते हो Post navigation नारनौल नामकरण एवं जिला बचाओ संघर्ष समिति का धरना स्थगित लाठियों से आंदोलन को दबाने की बजाय बातचीत से समाधान निकाले सरकार : राव नरेंद्र सिंह