भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम, 31 मार्च। 30 मार्च को सारे हरियाणा में बीजेपी ने अरूण नांरग को नंगा किए जाने के विरोध में कांग्रेस या अमरेंद्र का पुतला फूंकने का कार्यक्रम किया। वह गुरुग्राम में भी हुआ और कहने में गुरेज नहीं कि पिछले दिनों के बीजेपी के कार्यक्रमों को देखते हुए यह कार्यक्रम बहुत सफल दिखाई दिया। अगर यूं कहें गुरुग्राम में जो किसान आंदोलन का धरना चल रहा है, उससे अधिक जोश पुतला फूंकते समय नजर आया। इसके पीछे कारण यह भी हो सकता है कि यह तो मिनटों का काम था और धरना तीन माह से अधिक समय से चल रहा है।

इस पुतला फूंकने के बारे में बीजेपी ने या कहें जनता में चर्चा है कि इसमें बीजेपी का कोई विधायक नजर नहीं आया, जबकि गुरुग्राम के विधायक के निवास से तो कार्यक्रम स्थल की दूरी दौ सौ गज ही होगी। वर्तमान विधायकों की तो बात क्या कहें, पुराने विधायक भी नजर नहीं आए। इसी प्रकार यह भी कहा जा रहा है कि उन विधायकों के समर्थकों ने भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। चर्चा में परमिन्दर कटारिया का नाम अधिक है कि उन्होंने तो विधायक सुधीर सिंगला के कई कार्यक्रम कराए थे, वह भी नहीं गए। इसी प्रकार अनेक लोगों के नाम लिए जा सकते हैं।

यह कार्यक्रम जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में था और जिला अध्यक्ष ने अपनी कार्यकारिणी को प्रोत्साहित कर कार्यक्रम को सफल बनाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि जिन लोगों के पास कोई पद भी नहीं है, वे सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम को इस प्रकार पोस्ट करते रहे जैसे यह उन्हीं का कार्यक्रम हो। बीजेपी संगठन के ही एक पदाधिकारी ने बताया कि जिला अध्यक्ष अपनी धुन में पार्टी के कार्यक्रमों को अंजाम देती रहती हैं और जो काम करता है, उसके विरोधी हो ही जाते हैं।

इससे पूर्व भी एक नाम नवीन गोयल चर्चा में रहता है। वह प्रेस विज्ञप्ति भेजकर कहते रहते हैं कि हम उस जगह यह कार्य मैंने करा दिया, इस कार्य के लिए मैं अधिकारियों से मिला, इस कार्य के लिए मैंने मुख्यमंत्री और मंत्रियों को चिट्ठी लिखी तो चर्चा यह है कि गुरुग्राम में भाजपा का विपक्ष तो है नहीं, अत: विपक्ष का काम ऐसे लोग ही निभा रहे हैं।

इन बातों से यह संदेश जाता है कि गुरुग्राम भजपा का संगठन, विधायक और सांसद जनता से जुड़े हुए नहीं हैं और वे ही जनता से जुड़े हुए हैं। कुछ कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि शायद उनके संबंध प्रदेश अध्यक्ष व अन्य वरिष्ठ नेताओं से अच्छे हैं, जिसके कारण उन पर कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही हो नहीं रही। प्रदेश अध्यक्ष के जन्मदिवस पर वह प्रदेश अध्यक्ष को चांदी का रथ भी भेंट करके आए थे। इसी प्रकार कुछ अन्य बीजेपी के लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर इसी प्रकार से प्रचार किया गया।

चाल, चरित्र और चेहरे के नाम से जानी जाने वाली पार्टी में कितना अनुशासन दिखाई दे रहा है, यह चर्चा का विषय है। वैसे कहें तो वर्तमान में जो जिला अध्यक्ष हैं, वह हैं तो धुन की पक्की। 15-20 वर्ष पूर्व मैंने उन्हें बहुत नजदीक कार्य करते देखा था। तब वह महिलाओं के लिए विजय ज्योति संघ नाम का एनजीओ चला रही थीं। सरकार भी कांग्रेस की थी और धन का भी अभाव था लेकिन धुन में उस समय इन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किए थे। अब देखना यह है कि उनमें वह उत्साह, लग्न और लक्ष्य दृष्टि कितनी है और उसका पता एक ही बात से चलेगा कि वह संगठन को विपरीत परिस्थितियों में कैसे मजबूत कर पाएं

एक तो किसान आंदोलन, दूसरा गठबंधन की सरकार, तीसरे पार्टी के वरिष्ठ में खींचतान।  इन सब कारणों से पार्टी का कार्यकर्ता निष्क्रिय हो रहा है और परिस्थितियां यह कह रही हैं कि कोई बड़ी बात नहीं। इन स्थितियों में पार्टी के कार्यकर्ता कोई और घर ढूंढने का प्रयास करें। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष और सभी जिला अध्यक्षों के लिए परीक्षा का समय है। अब यह तो समय ही बताएगा कि कौन पास होता है?

error: Content is protected !!