भारत सारथी/कौशिक

नारनौल । आगामी तीन अप्रैल को आदर्श गाँव गोमला में एक आशुकवि प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है । सांस्कृतिक विरासत मंच द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में हरियाणा राजस्थान व आसपास के आशुकवि भाग लेंगे । इस बारे आज मंच की कोर कमेटी के सदस्यों ने विचार विमर्श करके कार्यक्रम का प्रारूप तैयार किया ।

 मंच के संयोजक और सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम गोमला ने बताया कि इस प्रतियोगिता में आशुकवि परमानन्द झगडोली , सन्तलाल आर्य मण्डलाना , बालमुकुन्द जाखौद, राधेश्याम पावटा ,बिहारीलाल भाबरू जयपुर , डॉ. संजय पाठक जैतपुर, सीताराम जयसिंहपुरा ,सतनाम पावटा,दुलीचन्द पाटण आदि आशुकवि हिस्सा लेंगे । इसमें मुख्य अतिथि समाजसेवी अरुण यादव होंगे व विशिष्ट अतिथि दशरथ चौहान होंगे ।

उन्होने बताया कि इस प्रतियोगिता का आयोजन आशुकाव्य-विधा को जिन्दा रखने के प्रयोजन से किया जा रहा है । उन्होने बताया कि यह विधा पूरे भारतभर में केवल हरियाणा और इस के साथ लगते राजस्थान के जयपुर, झुन्झुनु, सीकर व अलवर क्षेत्र में ही प्रचलित है । 
उन्होने इस विधा के बारे में बताते हुए कहा कि यह अति प्रतिभाशाली कवियों द्वारा जिन्दा रखी हुई एक ऐसी कला है जिसमे कवि मौके पर ही दिए गए विषय पर मात्र दस या पन्द्रह मिनट में राग रागनियोँ पर आधारित पारम्परिक सन्गीत के नियमानुसार कविता की रचना कर प्रस्तुति देता है ।

राधेश्याम गोमला स्वयम् भी एक कवि हैं । उन्होने इस बारे और विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यूँ तो कवि सैंकड़ों हजारों हैं और अक्सर होने वाले कवि-सम्मेलनों में अपनी रचनाओँ की प्रस्तुति करते रहते हैं, मगर उनकी वो रचनाएँ कार्यक्रम से पूर्व लिखी हुई होती हैं । जिन्हे याद करके या पढ़कर सुनाया जाता है । मगर इस विधा में कवि को तत्काल मौके पर ही रचना तैयार करनी होती है । इसी प्रकार की इस आशुकाव्य प्रतियोगिता में पूर्व लिखित कोई भी रचना स्वीकार्य नही होगी । इस प्रतियोगिता में केवल वही कवि हिस्सा लेंगे जो मौके पर ही दिए गए विषय पर तत्काल रचना करेंगे और वह विषय वेद पुराण उपनिषद इतिहास आदि ग्रन्थों से ही होगा ।

उन्होने बताया कि खूब तलाशने पर ही मात्र दस ग्यारह कवि ही मिले जो इस विधा को जिन्दा रखे हुए हैं । जब इस विधा के विधाधर बमुश्किल मिल रहे हैं तो जाहिर है कि यह विधा जिन्दा रखना अति आवश्यक है । उन्होने बताया कि यह प्रतियोगिता मैचों की तरह कराई जाएगी ।जिसमें शामिल प्रतिभागियों के समक्ष कुछ प्रश्न रखे जाएंगे फ़िर विषय देकर निर्धारित पन्द्र्ह मिनट में  संगीतयुक्त रचना करने की चुनौती दी जावेगी । अंकों के आधार पर निर्णय होगा । विजेता और उपविजेता का निर्णय निर्णायक मण्डल करेगा । पश्चात उन्हे नकद राशि, एक आशुकाव्य केसरी की एक ट्रोफ़ी व शोल भेंट किया जावेगा । उन्होने बताया कि गोमला में माता के जोहड़ पर होने वाली यह प्रतियोगिता सालाना (प्रतिवर्ष) की जावेगी ।

इस अवसर पर सान्गी मेघसिंह, महाशय बलवन्त, महाशय नन्दलाल ,लालाराम जैतपुर, छन्गाराम,महाशय सन्दीप कुमार, हरदेवा मान्ढण, अशोक कुमार, रविन्द्र कुमार, बुद्धराम, रामप्रताप, लक्ष्मण सिंह, विकास कड़ायला व पंकज कुमार आदि मौजूद थे ।

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