मंत्री और ठेकेदार आप को अक्सर नेता लोग जनसेवा करने के लिए व्याकुल होते हुए दिख जाएंगे। मिल जाएंगे। लगभग हर नेता का जनसेवा करने का तरीका-नुस्खा अलग अलग होता है। हालांकि मकसद एक ही होता है। एक नेता जी के जनसेवा जज्बे से जुड़ा एक किस्सा फरीदाबाद से सामने आया है। इंजीनियरिंग विभाग के एक ठेकेदार को विभाग के एक अफसर ने फोन कर के उनको टैंडर अलाट के एवज में पांच परसेंट ऊपर पहुंचाने का आदेश दिया। ये सुन कर ठेकेदार बिदक गया। कहने लगा कि उसको इस ठेके में कुछ खास कमाई नहीं है। वो पांच परसेंट कमीशन देने में सक्षम नहीं है। ठेकेदार की ये दुविधा विभाग के मंत्री तक पहुंचाई गई। मंत्री जी तो जनसेवा के लिए व्याकुल हुए जा रहे थे। उनको पहले दिन से बखूबी पता है कि ऐसा मौका बार बार नहीं आता। बड़ी मुश्किल से दांव लगा है सरकार में आने का। सो मंत्री जी ने दो टूक कह दिया कि सरकार को ऐसे वाहियात ठेकेदारों की जरूरत ही नहीं जो जनसेवा के काम में बाधा उत्पन्न करें। लिहाजा मंत्री जी ने विभाग के अधिकारियों को आदेश दे दिए कि इस ठेकेदार के नाम अलाट काम को रदद किया जाए। इस काम के टैंडर दोबारा से निकाले जाएं। वो ठेकेदार चीखता चिल्लाता रह गया कि मैंने तो आनलाइन ये टैंडर हासिल किया था। पूरी पारदर्शिता और मैरिट पर ये टैंडर हासिल किया था। उसके बावजूद अब कमीशन न देने पर ये टैंडर रदद किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि ये ठेकेदार सरकार के लोगों की ओर से आए दिन दनादन फेंके जाने वाले जुमलों का सच समझने की गलती कर बैठा। उस ठेकेदार ने सरकार में यहां वहां सारे जहां में चक्कर काटे। अपने साथ हो रही ज्यादती को बताया-सुनाया। अब अगर सरकार के ताकतवर मंत्री नाराज हैं तो फिर उसकी सुनवाई कौन करता? कैसे करता? इधर मंत्री जी ने भी दो टूक कह दिया कि वो जनसेवा से किसी किस्म का समझौता नहीं करेंगे। अर्थात कमीशन पूरे पांच परसेंट ही वसूलेंगे। अब विभाग के लोगों ने ठेकेदारों को कह दिया कि आप तयशुदा काम का टैंडर बेशक बीस परसेंट ऊंचे पर ले लो,लेकिन मंत्री जी के जनसेवा के जज्बे की कद्र करो। इस हालात पर दाग देहलवी का एक शेर है: उनकी फरमाईश नई दिन रात हैऔर थोड़ी सी मेरी औकात है बंसीलाल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल का व्यक्तित्व हम सबको ये बताता-जताता-सिखाता है कि नाम में लाल लगने-लिखने मात्र से कोई लाल नहीं हो जाता। लाल होने के लिए तो दृढ इच्छा शक्ति,दूरदर्शिता,साफ नीयत,कठोर प्रशासक और कड़ा परिश्रमी होना अनिवार्य है। आज के ही दिन यानी 28 मार्च,2006 को बंसीलाल का निधन हो गया था। 26 अगस्त,1927 को भिवानी के गोलागढ गांव में जन्मे बंसीलाल न केवल हरियाणा के कई दफा सीएम रहे, बल्कि केंद्र में उन्होंने रक्षा मंत्री और रेल मंत्री के तौर पर देश भर में अपनी कड़क कार्यशैली से धाक जमाई। सीएम रहते बंसीलाल ने जिस तरह से हरियाणा के गांव गांव में बिजली-पानी-सड़क पहुंचाई,प्यासे खेतों के लिए सिंचाई का प्रबंध किया और दसों दिशाओं में विकास की गंगा बहाई, उस कारण से उनको प्रदेश का निर्माता भी कहा जाता है। वे जमीन से जुड़े हुए आदमी होने के साथ साथ उच्च शिक्षा प्राप्त थे। वकील भी थे। गांव की मिटटी से जुड़े होने के कारण उनको जनता की समस्याओं-समाधान की गहरी समझ थी। उनको आदमी की गजब परख थी। इसीलिए अफसर उनको बेवकूफ बनाने का जोखिम नहीं ले पाते थे। वो उन राजनेताओं में से नहीं थे जिनके राज में अफसरों का कहा-किया ही लागू होता था,बल्कि वो खुद तय करते थे कि कहां, कौन सा काम, कैसे,कब होना-करना है। काबिल अफसरों की निश्चित तौर पर वो कद्र करते थे,लेकिन नाकारा को बिल्कुल नहीं बख्शते थे। वो एक उम्दा प्रशासक थे और ऐसा कहा जाता है कि अफसर उनसे थर्र थर्र कांपते थे। अपने सियासी वारिस मंत्री बेटे सुरेंद्र सिंह की हैलीकाप्टर हादसे में निधन होने से वो टूट गए थे और एक साल के भीतर, वर्ष 2006 में उनका निधन हो गया था। उनकी पुण्य तिथि पर उनको नमन करते हुए स्व.हरध्यान चौधरी का 70 के दशक में उनके विकास पुरूष व्यक्तित्व पर लिखे हुए एक गीत के कुछ अंश यहां दिए जा रहे हैं: देखो अचंभा खंबे पर खंबा बम्बा खोल दिया जल कातोशाम, भिवानी, माहू की ढाणी पीवैं पाणी सब नल काआज मुरझाए चेहरे दोबारा आप ने आ के खिला दिएखारे पाणी नै जो तरसे थे वो नलकयां नीचे नहला लिएसारे हरियाणा में तैने बिजली के कनैक्शन दिला दिएटयूबवैल लोहारू सतनाली की खलियां ऊपर चला दिएजुग जुग जीओ बंसीलाल सदा आगै आगै चलते रहोहरध्यान सिंह भगवान करै तेरे हार गले में घलते रहो सुलहनामा एक आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार की गृहमंत्री अनिल विज के भाई से कुछ समय पहले अंबाला में कहा सुनी हो गई थी। इसके बाद इन आईपीएस अधिकारी के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज हो गया था। अब इन अधिकारी और मंत्री के भाई के बीच सुलह हो गई है। सुलह कराने में घरौंडा के विधायक हरविंद्र कल्याण और पुंडरी के विधायक रणधीर गोलन की भूमिका भी बताई गई है। सरकारी घोषणा भिवानी में बनने वाले मैडीकल कालेज के नामकरण के मुददे पर हरियाणा विधानसभा में चर्चा पर हो रही थी। कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने भिवानी में जाकर ये घोषणा की थी कि ये मैडीकल कालेज प्रसिद्ध स्वतत्रंता सेनानी पंडित नेकीराम शर्मा के नाम पर होगा। रोचक तथ्य ये है कि मुख्यमंत्री ने इस दफा अपने बजट स्पीच में सदन को जानकारी दी कि ये कालेज भाजपा नेता और पूर्व डिप्टी सीएम स्व.मंगलसेन के नाम पर होगा। अब अचानक से इस कालेज का नाम परिवर्तन कैसे हुआ? किसने किया? मुख्यमंत्री ने भी माना कि इसमें चूक हो गई है। जैसा कि सरकारों में होता है कि इसकी गहनता से पड़ताल की गई। सबंधित विभाग,जिला प्रशासन,मुख्यमंत्री सचिवालय आदि की भूमिका को जांचा गया। किसी अधिकारी को बलि का बकरा बनाने की खातिर सस्पैंड करने के लिए भी सोचा गया। पड़ताल में ये साफ हुआ कि सीएम की भिवानी में हुई इस घोषणा की न तो सबंधित विभाग को जानकारी थी न ही सीएम आफिस को। फिर सीएम आफिस ने अपने स्तर पर ही इस कालेज का नाम मंगल सेन कर दिया। विभाग ने भी इस आशय की फाइल में अपनी तरफ से कोई नाम नहीं सुझाया था। सीएम कोई घोषणा करें और सरकार में खबर ही न हो तो फिर सरकार कैसे चलेगी? ये दायित्व और जवाबदेही किसकी है? इस सारी जांच-पड़ताल के बाद यही तय हुआ कि भिवानी के तत्कालीन डीसी से ही इस बारे में जवाबतलबी की जाएगी। उनको नोटिस दिया जाएगा। सरकारों में ऐसा होता रहता है। मैसेज जाना चाहिए कि सीएम के कहे को गंभीरता से लेना ही पड़ेगा। लेना ही चाहिए। इस हालात पर कहा जा सकता है: आईना देख के कहते हैं संवरने वालेआज बे-मौत मरेंगे मरने वाले करोना करोना को लेकर पंजाब और हरियाणा की सरकारों की सोच व उनका काम करने का तरीका काफी जुदा है। पंजाब विधानसभा का बजट सैशन हुआ तो वहां मीडिया गैलरी में पत्रकारों के आने पर प्रतिबंध नहीं था। इसी दौरान हरियाणा का बजट सत्र हुआ तो मीडिया को मीडिया गैलरी में आने की इजाजत नहीं थी। इस कारण से नेताओं को भी इस सैशन में अपनी बात कहने वो आनंद नहीं आया जो मीडिया के होते हुए उनको प्राप्त होता था। अब उनका सदन में वो अंदाज गायब था जब वो सत्ता-विपक्ष पर तंज करते हुए रह रह कर पत्रकारों से इशारों इशारों में संवाद कर के पूछा करते थे कि कैसी रही? ऐसा लगता है कि पंजाब सरकार की नजर में पत्रकार करोना प्रूफ हैं और हरियाणा सरकार को लगता है कि पत्रकार करोना के लिए हाई रिस्क जोन में हैं,इसीलिए मीडिया गैलरी विधानसभा परिसर से हरियाणा निवास में तबदील कर दी गई थी। Post navigation मौसम: मार्च में बरसात कम, अप्रैल से लू चलने के आसार लोकायुक्त में शिकायत का असर : अधिकारियों से 2.27 करोड़ जुर्माना वसूली के लिए मॉनिटरिंग कमेटी गठित