-कमलेश भारतीय

ऐसा पहली बार नहीं हुआ और न शायद आखिरी बार है । एक फोटो बहुत विचलित कर रहा है । बिहार विधानसभा के स्पीकर को बंधक बनाये जाने के बाद एक विधायक बेहोश पड़े हैं फर्श पर । मार्शल ने जब फेंके तब बेहोश हो गये । ऐसे ऐसे दृश्य पहले भी नज़र आते रहे हैं । यह अलग बात है कि राज्य अलग होते हैं पर दृश्य यही होते हैं । बिहार और यूपी में तो सिर फुटोबल के दृश्य भी हम देख चुके । जब विधायक हाथ बांह तुड़वा कर विधानसभा से बाहर आए । समझ नहीं आया कि जन प्रतिनिधि विधानसभा जाते हैं या किसी अखाड़े में या कुश्ती लड़ने जाते हैं । फैसला आप ही कीजिए ।

अभी कुछ दिन पहले हिमाचल जैसी देवभूमि में भी कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल के साथ ऐसा व्यवहार किया कि कुछ विधायकों को निलम्बित करना पड़ा । आप बहिष्कार कर सकते थे जो आम हो चुका है लेकिन राज्यपाल के साथ दुर्व्यवहार किसलिए ? कोई गरिमा, कोई मर्यादा तो करोगे कि नहीं ? देवभूमि पर ऐसे दृश्य । क्या इसे भी दूसरे राज्यों की हवा लग गयी ? पंजाब के विधायकों पर भी इसी तरह की मान मर्यादा के उल्लंघन पर एफआईआर दर्ज की गयी है । दिल्ली का भी याद आ रहा है जब भाजपा विधायक मेज पर ही चढ़ गये थे । तमिलनाडु का शर्मनाक किस्सा भूल सकोगे ? जब जयललिता की साड़ी खींची गयी और उसने भी प्रण किया कि अब विधानसभा मुख्यमंत्री बन कर ही लौटेगी और लौटी । पर मर्यादा उसने भी नही रखी । जब घर फः करूणानिधि को घसीट कर लिया गया और वे चिल्लाते रह गये । महाभारत की तरह सबने मर्यादा तोड़ने में कहर नहीं छोड़ी । कितने ही वाक्यात आप सबको याद आयेंगे और सवाल एक उठेगा मन में कि मान मर्यादा ताक पर क्यों रख देते हैं ये जन प्रतिनिधि ? क्या वहां ये इस हंगामें के लिए चुन कर भेजे गये हैं ? नहीं । ये जन प्रतिनिधि जन समस्याओं की ओर ध्यान दिलाने के लिए चुने गये हैं न कि हंगामें के लिए ध्यान आकर्षित करने के और बहुत से तरीके हो सकते हैं ।
हंगामा है क्यों बरपा
थोड़ी सी जो मर्यादा तोड़ी है,,,,

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