तमाम पीएसयू बेचकर सरकार नोकरियां समाप्त करने जा रही है पुख़्ता खबर के अनुसार सभी पब्लिक सेक्टर उपक्रम या संस्थानों का निजीकरण करके रोजगार समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने से पहले मनोहर सरकार सम्पत्ति क्षतिपूर्ति जैसा एक और काला कानून लेकर आई है ताकि बारी बार से सभी विभागों का निजीकरण आसानी से कर सके और कोई सरकार का विरोध करने की हिम्मत न कर सके इसलिए ! क्योंकि अघोषित आपातकाल जैसा वातावरण बना चुकी भाजपा सरकार ने किसी भी विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए स्वतः ही घोषित कर दिया है कि यदि किसी भी विभाग के कर्मचारियों, संगठनों, समूहों तथा राजनैतिक दलों के नेता और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए आंदोलन को रोकने और लट्ठ मारने और उसके लिए जो फोर्स तैनात करनी पड़ेगी उसका खर्चा भी उन्हीं लोगों से वसूला जाएगा जो सरकार की निगाह में आन्दोलनजीवी की औकात रखते हैं ! सरकार की तैयारियों का अनुमान लगाना जरूरी हो गया है जिसके तहत वह किसी भी प्रदर्शन को बदनाम कर उसे तबाह करने का काम कर सकती है ठीक किसान आंदोलन की तर्ज पर , गड्ढे खुदवा सकती है ,वाटर कैनन का प्रयोग ,लाठीचार्ज, लंबी चौड़ी बैरिकेडिंग महीनों के लिए करा सकती है ,इंटरनेट बंद करा सकती है आपके पक्ष में बोलने वाले पत्रकारों तक को जेल में डाल सकती है , पानी ,बिजली, सीवर जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसा सकती है और यदि ईस सब के बावजूद भी टिक गए तो तुम्हारे बीच के नेताओं को खरीद कर तुम्हारे ही विरुद्ध कर सकती है , ईडी, सीबीआई, विजिलेंस जांच में डाल सकती है , तुम्हे प्रदर्शनकारी नहीं आतंकवादी संगठनों और विदेशों से आ रही फंडिंग का नेटवर्क से जुड़ा हुआ बता सकती है ,टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बता सकती है और तो और पाकिस्तानी ,खालिस्तानी, देशद्रोही और गद्दार तक ठहरा सकती है अन्य क़ई योजनाओं से आपको घेर सकती है , शोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा तुम्हें गोदी मीडिया के माध्यम से बदनाम कर सकती है और याद रखना यह सब सुविधाएं सरकार के पास उपलब्ध हैं – यह अहंकारी और निरंकुश सरकार हिटलरशाही से काम कर रही है दोस्तों , इन्होंने जो कहा वही सही वाली नीति अपना रखी है – इनका आदेश पत्थर की लकीर के समान है इसलिए नमो-मनो की जोड़ी का विरोध नहीं समर्थन ही करते रहो मौन रहकर ,गांधी जी के तीन बंदरों की तरह अन्यथा परिणाम संभावनाओं के अनुरूप ही सामने आ सकते हैं । बकौल तरविंदर सैनी (माईकल ) समाजसेवी गुरुग्राम अनुसार कम लिखे को ही अधिक समझें बाकि आपकी अपनी सोच है हमारा काम हमने कर अपना धर्म निभाया ,देखना यह है कि आपके कितना समझ आया , लेकिन यह जरूर याद रखना कि बारी सबकी आएगी इसलिए अलग-अलग भुगतान करने से अच्छा है कि मजबूत हो मजबूत करें ,सभी साथ में उठ खड़े हों एक बार , आगे फिर आपकी मर्जी ; धन्यवाद । और रही हमारी बात तो भाई हम तो किसान आंदोलन के चार माह पूरे होने पर 26 मार्च को किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का समर्थन करने जा रहे हैं – जय जवान जय किसान जय मजदूर जय हिंद का नारा लगाकर । Post navigation मुख्यमंत्री रविवार को गुरूग्राम को देंगे 7272.57 लाख रूपए की 5 परियोजनाओं की सौगात डॉ शिवसिंह रावत को जल प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्ठता पुरस्कार