राव इंद्रजीत दो शहीद प्रतिमाओं का करेंगे अनावरण
शहीद जसवंत और शहीद लांस नायक जीतराम की प्रतिमा अनावरण.
लंबे अरसे के बाद अपने राजनीतिक गढ़ पटौदी पहुंचेंगे राव इंद्रजीत
फतह सिंह उजाला
पटौदी । सांसद एवं केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल के वजीर राव इंद्रजीत सिंह 20 मार्च शनिवार को अपने राजनीतिक गढ़ पटौदी में अलग-अलग गांवों में दो शहीद प्रतिमाओं का अनावरण करेंगे । पहला कार्यक्रम फर्रुख नगर ब्लाक के गांव शेखुपुर माजरी में है, जहां पर शहीद जसवंत सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। इसके बाद में राव इंद्रजीत सिंह गांव दौलताबाद कूनी में शहीद लांस नायक जीत राम की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। यह जानकारी सरपंच एकता मंच एवं विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष अजित सिंह के द्वारा दी गई है। दौलताबाद कूनी वह गांव है ,जहां के पौने 18 वर्षीय निवासी सैनिक विजेंद्र कुमार ने कारगिल युद्ध में सबसे कम उम्र में शहादत देकर अहीरवाल के जांबाजो के द्वारा देश हित में सीमा पर शहादत देने की चली आ रही परंपरा को जिंदा रखा ।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह एक लंबे अरसे के बाद अपने सबसे मजबूत राजनीतिक गढ़ पटौदी हलके के गांवों में पहुंचेंगे । ऐसे में विभिन्न ग्रामीणों के द्वारा अपनी अपनी समस्याओं को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत तक पहुंचाने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है । वैसे देखा जाए तो राव इंद्रजीत सिंह का शनिवार को पटौदी के गांव शेखुपुर माजरी से आरंभ होने वाला दौरा बेहद व्यस्त कार्यक्रम रहेगा । पटौदी हलके के गांव शेखुपुर माजरी और दौलताबाद कूणी के बाद राव इंद्रजीत सिंह को गुरुग्राम शहर में भी विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करनी है ।
इन सबके बीच में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राव इंद्रजीत सिंह शनिवार को अपने राजनीतिक गढ़ पटौदी में क्या और किस प्रकार का संबोधन अपने समर्थकों के बीच में करते हुए संदेश देने का प्रयास करेंगे । दूसरी ओर लोगों को राव इंद्रजीत सिंह से अपेक्षा के मुकाबले अधिक उम्मीदें बंधी हुई हैं कि राव इंद्रजीत सिंह कोई ना कोई बड़ी घोषणा अवश्य अपने राजनीतिक गढ़ पटौदी के लिए कर सकते हैं या फिर ऐसी समस्याओं की तरफ भी सुबे की सरकार का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं , जो राव इंद्रजीत सिंह के संज्ञान में हो । क्योंकि हाल ही में हरियाणा का बजट प्रस्तुत किया गया है और और बजट सत्र का भी समापन हुआ है । पटौदी में राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों की नजरें अब उनके आगमन और संबोधन पर ही टिकी हुई है ।