बड़े पैमाने पर स्कूल बंद करके बच्चों का भविष्य अंधकारमय करने वाली पहली सरकार बनी. रोजगार देने की बजाय, छिनने वाले सीएम की कैसे हो सकती है जनहितैषी सरकार

पटौदी 17/3/2021 : ‘शिक्षा के लिए एक भी स्कूल न खोलने वाली खट्टर सरकार क्या जाने शिक्षा का महत्व? ये सरकार जानती है कि नई पीढ़ी को अनपढ़ रख कर ही अंधभक्तों की फौज तैयार की जा सकती है, क्योंकि अनपढ़ व्यक्ति न तर्क करता है न हक़ मांगता है। इसलिए ये सरकार लोगों को अनपढ़ व उन्हें गुलाम बनाये रखने के मकसद से ही स्कूल खोलने की बजाए बन्द करने पर ज्यादा जोर दे रही है।’ उक्त आरोप कॉन्ग्रेस नेत्री व पार्टी की प्रदेश महिला महासचिव सुनीता वर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहे।

उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ हरियाणा की गठबंधन सरकार ने बजट में सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा के अपने चिरपरिचित जुमले का एलान किया तो वहीं दूसरी ओर हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में सरकार ने 1057 स्कूलों को बंद करने की घोषणा कर दी।

कॉन्ग्रेस नेत्री ने कहा कि इस सरकार ने जो कहा वो किया नही और जो किया वो इनसे हुआ नही। क्योंकि इस सरकार ने अपने कार्यकाल में की गई डी – ग्रुप के खेल कोटे से भर्ती किये कर्मचारियों को ही नौकरी से हटा कर घर बैठा दिया, इसी प्रकार कला अध्यापक व पीटीआई व अन्य विभागों के हजारों सरकारी कर्मचारियों व प्राइवेट सेक्टर के लाखों कर्मचारियों को भी ये सरकार हटा चुकी है। इतने कर्मचारियों को इसने अपने अब तक के कार्यकाल में भर्ती नही किये होंगें उससे कई गुना ज्यादा कर्मचारियों से ये उनकी रोजी रोटी छीन चुकी है।

वर्मा ने कहा कि इस तरहं से स्कूल खोलने की बजाए बड़े पैमाने पर इन्हें बन्द करके लाखों बच्चों का भविष्य अंधकारमय करने का काम करने वाली ये खट्टर सरकार जनहितैषी कैसे हो सकती है।

गरीब बच्चों को पढ़ाई से वंचित करके सरकार इनके मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है, सरकार स्कूलों को बंद करने के पीछे कम छात्र संख्या होने का जो कारण बता रही है उसकी जिम्मेदार भी खुद सरकार ही है क्योंकि अध्यापकों को गैर शैक्षिक कार्यों में लगा कर बच्चों की जानबूझ कर पढ़ाई प्रभावित की जाती है ताकि अभिभावकों का रुझान इन स्कूलों के प्रति कम हो, इसी प्रकार आज ज्यादातर राजनेताओं के बड़े बड़े प्राइवेट स्कूल हैं इसलिए सरकार की नीतियां सरकारी स्कूलों को कमजोर करने की रही ताकि ये स्कूल ठप्प हों और अपने चहेते लोगों के प्राइवेट स्कूल चल सकें। स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था न देने वाली सरकार निकम्मी ही होती है।

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