-हे मेरे देश के महान सरकारी कर्मचारियों ! रोईये मत , सहयोग कीजिए, थोड़ा बलिदान दीजिये, मोदी आपके सपनो का भारत बना रहे हैं। – सबका साथ सबका विनाश”

अशोक कुमार कौशिक

बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं । किन्तु इन्होंने पूर्व में छात्र आंदोलन,caa के विरोध आंदोलन, किसान आंदोलन का समर्थन नहीं किया उल्टे विरोध ही किया ।आंदोलनकारियों को नक्सल, पाकिस्तानी, ख़ालिस्तानीआदि कह देने पर मूक समर्थन ही दिया । आज आग इनके घर तक आ पहुंची है। देर आयद दुरुस्त आयद ।

ये बैंक वाले हड़ताल पर क्यों हैं? क्या इन्हें बैंकों के निजीकरण के फायदे नहीं मालूम? क्या ये नहीं जानते कि 12 घंटे काम करने के कितने फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि ये 4 घंटे तक घर की किच किच से बचे रहेंगे। वक़्त नहीं होगा तो इधर उधर नहीं घूमेंगे। पेट्रोल बचेगा। पैसा बचेगा। बचत होगी, जिसे दूसरी जगह इन्वेस्ट कर के पैसा कमा सकेंगे। 

इन्हें निजीकरण के फायदे अभी से बताना चाहिए। वरना किसानों की तरह इन्हें भी गुमराह कर दिया जाएगा। विपक्ष विदेश से फंडिंग लेकर इन्हें आन्दोलनजीवी बना देगा। क्या बैंकर नहीं जानते  कि झुकना उनकी फितरत नहीं। जो कह दिया पत्थर की लकीर। इनके पास गोदी मीडिया है। किसानों की राह चलेंगे तो दो दिन में पाकिस्तानी, देशद्रोही, अर्बन नक्सल, एन्टी नेशनल साबित कर देंगे। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी घर घर ये बात पहुंचा देगी कि बैंक वाले देश के आत्म निर्भर बनने में रोड़ा अटका रहे हैं। ये भी हो सकता है कि इनके खुद के रिश्तेदार ही इन्हें देशद्रोही कहने लगे। बाप आन्दोलनजीवी बन जाए और बेटा सोशल मीडिया पर लिखे-I support modi 

सो, हे बैंक वालों! निजीकरण के फायदे नहीं भी हों तो कल्पना कर लो कि फायदे हैं। आप जंगल में शेर के सामने खड़े उस आदमी की तरह हैं, जो कुछ नहीं कर सकता, जो करना है, शेर को करना है। थोड़े लिखे को बहुत समझना और हां, इन एलआईसी वालों को भी समझा देना। बहुत मज़े कर लिए। अब खूड़ में आ जाओ।

ज्यादातर बैंकों में 15 या 20 से नीचे ही कर्मचारी होते हैं, कुछ बड़े ब्रांचेज में ही बैंक कर्मियों की संख्या सौ या सौ से ज्यादा होती होगी, ये बैंक हर गली मोहल्ले या कॉलोनी में नहीं होते, इनकी संख्या अन्य के मुकाबले बहुत सीमित यानी कम होती है, अब आप ये कहेंगे कि हम ये बात आपको क्यों बता रहे हैं, तो सुनिए, अगर किसानों, मजदूरों, टेलीकॉम, शिक्षा विभाग, रेलवे या स्वाथ्य कर्मियों की बात करें तो इनकी सख्यां बैंक कर्मियों से तुलनात्मक दृष्टि से ज्यादा है, बावजुद इसके बैंक कर्मियों की अच्छी खासी भीड़ हड़ताल में शामिल हुई और सरकार से टकराई, अगर इस बैंक हड़ताल को आप सबका साथ मिला होता तो सरकार आज घुटनों के बल पर आ गयी होती और आपकी जायज माँगे मान जाती।

लकड़ी का गट्ठर तोड़ना जितना मुश्किल होता उतना ही गट्ठर खोल कर एक एक लकड़ी तोड़ना उतना ही आसान होता है। मौजूदा सरकार ने यही किया एकदम,आखिर अंग्रेजों के जमाने के मुखबिर रहे हैं तो वही नीति अपनाई पहले सबको आपस में लड़वाओ और जब सब एक दूसरे के दुश्मन बन जाएं फिर सबकी हवा पानी टाइट करना शुरू कर दो। नतीजा सामने है । जब बैंक वाले अपने टाइट होने पर सड़क पे उतर कर विरोध और हड़ताल करने उतरे तो इनके अलावा कोई वर्ग इनके साथ नही खड़ा हुवा जैसे पीछे दूसरे तबके के साथ ये नही खड़े हुवे थे ।

हां पीछे जो लोग सरकार की नीतियों के खिलाफ खड़े हुये उनका साथ देश की जागरूक जनता ने सड़क पर भी दिया और सोशल मीडिया पर भी। इसके उलट बैंक कर्मचारियों की हड़ताल पर न तो इन्हें किसी जगह साथ मिला न कोई सहानभूति। उल्टे पूरे सोशल मीडिया पर इनका उपहास उड़ रहा। दो दिनों से और इस उपहास का कारण इनके ही कृत्य हैं जो इन्होंने बड़ी बेशर्मी से दूसरों के वक़्त किये थे। मोदीभक्ति में रह कर , हर किसी आंदोलन, धरना या हड़ताल पर ये उस वर्ग को तमाम तरह के सर्टिफिकेट देते हुवे कामचोर निकम्मा बतलाया करते थे किसी वक़्त।

बहूत दुःख के साथ कह रहा हूँ ज्यादातर बैंक कर्मी गोदी मीडिया द्वारा संचालित रात दिन के बकवासों को लाइक करते थे, ज्यादातर किसान और मजदूर सरकार और मीडिया द्वारा प्रायोजित कम्युनल मुद्दों पर मिस गाइडेड थे,जिस गोदी मीडिया का सामूहिक बहिष्कार करना चाहिए था उसे दिन रात हिन्दू मुस्लिम, धार्मिक और कम्युनल मुद्दों पर डिबेट करने दिया गया, मीडिया और सरकार अन कन्ट्रोलड हो गयी, आज जब बैंक कर्मियों को तथाकथित राष्ट्रवादी सरकार के खिलाफ बैंक हड़ताल पर जाना पड़ा तो गोदी मीडिया ने अपनी औकात दिखा दी, उनकी खबर उड़ा दी या डायल्यूट कर बेअसर कर दी, अब तो आप समझ गए होंगे कि किसी पार्टी का समर्थक होने से ज्यादा निष्पक्ष होना कितना ज्यादा जरूरी है?आप मेरे कहने पर नहीं, खुद से विश्लेषण कीजिये, समझने की कोशिश कीजिये कि जिस बैंक हड़ताल से सरकार की नींद हराम हो गयी थी, उसकी मीडिया में प्रभावशाली जिक्र या डिबेट क्यों नहीं है?

आज वक़्त पलटी मार गया और ये उसी सर्टिफिकेट में अपना नाम लिखा देख भौंचक से ठगे खड़े हैं सड़क पर ।खैर ! जैसे कोई दुकानदार भींड़ अपनी तरफ आकर्षित करने को डिस्काउंट या sale का बैनर लगाता है और अपने ऑफर, कुछ इस तरह से लिखता है  Upto 70% जिसमें upto छोटा और 70%खूब बड़े और बोल्ड letter में छपवाता है या Buy 2 get 6 लिख कर नीचे *लगाकर condition apply बहुत बारीक शब्दों में लिख देता है और उसके बाद अंदर आयी भींड़ का पागल अपने हिसाब से काट लेता है ।

मेरा यह बताने का सिर्फ कुछ एक कारण है

1. संख्या बल के आधार पर किसी आंदोलन या हड़तालों को मत नापिये। मुद्दे अगर जायज हैं तो पार्टी लाइन से आगे जाकर सच का साथ दीजिए 2. अगर आप दूसरे के शोषण पर आज खड़ा नहीं होंगे तो दूसरा आपके साथ खड़ा क्यों होगा? 3. अलग अलग विभाग की लड़ाई अकेले में चाहे जितनी भी बड़ी हो मगर जब तक सबका साथ नहीं मिलेगा आपके हड़ताल का निर्णायक असर नहीं होगा। 4. जो लोग किसानों के मुद्दों पर, मुसलमानों के मुद्दों पर, टेलीकॉम के मुद्दों पर महंगाई के मुद्दों पर आम जनता के साथ नहीं थे या नहीं हैं वे अपने पैर में कुल्हाड़ी मार रहे हैं 5. आप किसी भी पार्टी के क्यों न हों, एक नागरिक के रूप में सच का साथ देने और गलत का विरोध करने का नैतिक ईमानदारी आपके पास हमेशा होना चाहिए 6. आज अगर बिपक्ष की आवाज सरकार और मीडिया द्वारा दबाई जा रही है तो इसके जिम्मेदार आप और हम हैं, कभी सोंचा है कि ये बिपक्ष कौन है? कल को आप भी बीएसएनएल, LIC, किसानों और बैंक कर्मियों की तरह पीड़ित बिपक्ष हो सकते हैं, तब आपकी आवाज कौन सुनेगा? ये तथाकथित गोदी मीडिया सरकार से कभी नहीं कहेगा कि ये कर्मचारी जो कल तक भाजपाई था आज इसकी बात सुन लो। 7. इसलिए कहता हूँ, आप दूसरे की ताकत बनें, शक्ति बनें इसी में आपकी ताकत है, इसी में आपकी शक्ति और भलाई है। 8. दलाल तो किसी भी पार्टी की सरकार में अपना काम निकाल लेते हैं, आज मौका मिला तो भाजपा, कल काग्रेस, परसों कोई और पार्टी जॉइन कर सकते हैं, मगर आप कौन हैं ये फर्क आपको मालूम होना चाहिए।

हे मेरे देश के महान सरकारी कर्मचारियों ! आपने कांग्रेस मुक्त भारत के लिए वोट दिया था । जब मुट्ठी तान कर मोदी नारा बोलते थे कि आपको कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए कि नहीं चाहिए तो आप उनकी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर इतनी ज़ोर से चाहिए का नारा लगाते थे कि आसमान हिल जाता था ।

कांग्रेस मुक्त भारत की परिकल्पना मोदी की थी जिसे साकार करने के लिए आपने उन्हें दो बार प्रचंड बहुमत दिलाया है । आप याद कीजिए , अभी कुछ महीने पहले तक आप Whats app यूनिवर्सिटी के मेसेज बड़ी शान से फ़ॉर्वर्ड करते थे जिसमें राहुल गांधी को पप्पू , ममता को जिहादी दीदी , अखिलेश को अखिलेशुद्दीन , तेजस्वी को अनपढ़ लिखकर जोक्स बनाए गए थे । आपने पूरी ताक़त लगाकर कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को इतना कमज़ोर कर दिया है कि वो लोग चाहकर भी आपकी आवाज़ उठाने में सक्षम नहीं है । 

ख़ैर,  बात कांग्रेस मुक्त भारत की चल रही थी । जब तक देश में कांग्रेस के बनाए संस्थान है , कांग्रेस मुक्त भारत कैसे होगा ? कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिए इन संस्थानो को बेचना या बर्बाद करना ही पड़ेगा । रोईये मत , सहयोग कीजिए । मोदी आपके सपनो का भारत बना रहे हैं , सहयोग कीजिए । थोड़ा बलिदान दीजिए । 

आप विश्वास रखिए मोदी 2024 तक देश के सभी संस्थान बेचकर कांग्रेस मुक्त भारत बना देंगे । भरोसा कीजिए । ठीक बिल्कुल उसी तरह सरकार ने अपना बोर्ड टांग रखा है ये लिख कर बोल्ड अक्षरों में।  “हमारे यंहा सभी प्रकार के मुल्ले टाइट किये जाते हैं “और * लगा कर छोटे बारीक शब्दों में कंडीशन अप्लाई की जगह लिख रखा है । “सबका साथ सबका विनाश”

error: Content is protected !!