-कमलेश भारतीय

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में एक निंदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया कि जो लोग गांवों के भोले भाले लोगों को उकसा रहे हैं और भाजपा जजपा नेताओं का बहिष्कार करने के लिए उकसा रहे हैं उनकी निंदा की जाए । कौन लोग ? नहीं समझे ? यानी कांग्रेस । कांग्रेस उकसा कर भाजपा जजपा नेताओं के बहिष्कार का आह्वान कर रही है । इसकी निंदा की जाए । जाहिर है कि कांग्रेस इसका सरेआम विरोध करती और किया भी दो दो बार विपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लेकिन मनोहर लाल खट्टर अड़े रहे तो एक मिनट के लिए कांग्रेस विधायकों ने बहिष्कार किया और भाजपा ने निंदा प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर लिया । है न मज़ेदार प्रक्रिया । बच्चों जैसी छू छुलाई ।

अब सवाल उठता है कि इस निंदा प्रस्ताव से क्या हासिल ? कुछ नहीं । केवल मन का भ्रम ।

अब जरा याद कीजिए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान रोहतक का कांड जिसमें करोड़ों रुपये की सम्पत्ति जल कर राख हो गयी और कुछ तो पूरी तरह लुट गये । यह कांड या इसकी चिंगारी किसने लगाई ? आज तक इसकी जांच पटल पर रखी नहीं गयी जो यूपी के उच्च पुलिस अधिकारी प्रकाश ने की थी । इस जांच पर भी लाखों रूपये खर्च हुए । यह कौन कहेगा या बताएगा कि किसके इशारे पर यह चिंगारी सुलगाई गयी और किसके नाम लगाई गयी? परिणाम भी मिला । रोहतक लोकसभा चुनाव में । पर सच्चाई आज तक सामने नहीं आई । इसका निंदा प्रस्ताव कौन लायेगा और कब लायेगा ? कुछ सवाल सदैव अनुतरित ही रहते हैं । इनके जवाब नहीं मिलते पर प्रभाव मिलते हैं ।

अब किसान आंदोलन में पहले तो पंजाब ही लीड कर रहा था । फिर हरियाणा ने बराबर का योगदान देना शुरू किया । बड़ी बड़ी महापंचायतें हरियाणा में ही हुईं । राकेश टिकैत और चढूनी ने एक माहौल बना दिया सरकार के खिलाफ । खाप पंचायतें भी हुईं । इसमें कांग्रेस कहां से आ गयी उकसाने? पर विपक्ष पर आरोप लगाना सत्ता पक्ष का काम है वैसे ही जैसे सत्ता पक्ष को घेरना विपक्ष का काम है । दोनों अटल । लोकतंत्र है तो विपक्ष मजबूत होना जरूरी है । संसद में तो विपक्ष है नहीं । जनता में तो विपक्ष बचा है । आप रसोई गैस , तेल , डीजल, पेट्रोल के भाव आसमान तक लेते जाओ और विपक्ष ताली बजाये? ऐसा तो हो नहीं सकता न । विपक्ष तो चाहे ममता बनर्जी की तरह स्कूटी चला कर या भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरह बिना पेट्रोल के ट्रैक्टर को खिंचवा कर विरोध जतायेगा ही । फिर चाहे वह आठ मार्च ही महिला दिवस क्यों न हो ?

पर आप यह मान कर चल रहे हैं कि कांग्रेस उकसा रही है तो मित्रों यह एकदम विश्वास के लायक बात नहीं बल्कि आप अपने राजहठ से कांग्रेस को संजीवनी प्रदान करते जा रहे हो दिन-प्रतिदिन । राजहठ छोड़ो और किसानों के दिल की सुनो और इनकी बात और दुख समझने की कोशिश करो , फिर ये किसी के बहकावे व उकसावे में नहीं आयेंगे । एक बार फोन काॅल तो लगाओ । क्यों इंतज़ार में बैठे हो ? किसका है इंतज़ार आपको ? किस गोदो का इंतज़ार है आपको ? राज्य जीतने में ही लगे हो , किसान का दिल जीतने की कोई फिक्र नहीं ?
आ अब लौट चलें

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