भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में आज कांगे्रस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिरा। उस पर भी नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना कि हम अपने मकसद में सफल रहे और भाजपा तो फूली ही नहीं समा रही और यही हाल उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का है। दोनों ही कांग्रेस पर व्यंग्य बाण चला रहे हैं और प्रसन्नता के अतिरेक में हैं।

प्रजातंत्र में प्रजा का सभी अधिक महत्व होता है। किंतु यहां प्रजा है कहां? विधानसभा में सत्तारूढ़ दल अविश्वास प्रस्ताव गिरा देता है तो फूलकर कुप्पा हो जाता है। वह यह भी भूल जाता है कि इसके लिए उन्हें उनकी केंद्र सरकार से मदद लेनी पड़ी थी।

अविश्वास प्रस्ताव किसान आंदोलन के कारण लाया गया था, किसान आंदोलन तो विपक्ष के या सत्ता पक्ष के आचरण से क्या लाभ हुआ, वह हमारी समझ में तो आया नहीं। जहां भाजपा अविश्वास प्रस्ताव गिराकर जनता को अपने साथ होने का दावा कर रही है, वही भाजपा के मुख्यमंत्री वहां प्रेस वार्ता नहीं कर सके। फिर दावा यह कि जनता हमारे साथ है। मुख्यमंत्री का ब्यान आया कि मुखालफत से मेरी शख्सियत संवरती है और मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूं। शायद अपनी श्ख्सियत संवारने के लिए ही वह अपने दुश्मनों को बढ़ाते हैं। उनकी पार्टी में ही देखें तो उनकी विचारधारा के मुखालफत करने वाले अनेक नेता हैं। वर्तमान में किसान उनकी मुखालफत कर रहे हैं, कर्मचारी वर्ग मुखालफत में है और व्यापारी वर्ग भी मुखालफत में ही नजर आता है। तो यह सब मुखालफत क्या मुख्यमंत्री अपनी शख्सियत संवारने के लिए पैदा कर रहे हैं?

सौ बातों की एक बात कि सत्र समाप्त हुआ, सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया, जनता सरकार की मुखालफत में है, जिसका प्रमाण तुरंत मिल गया। इस पर भी कहा जाता है कि प्रजातंत्र जनता के लिए, जनता द्वारा और जनता की भलाई के लिए होता है। इन परिस्थितियों को देखकर इस पर संदेह होता है।

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