शिक्षा समाज पोषित एवं संवेदना पैदा करने वाली हो: जितेन्द्र भारद्वाज

भिवानी/मुकेश वत्स

नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। शिक्षा समाज पोषित एवं संवेदना पैदा करने वाली होनी चाहिए और यह सभी बातें नई शिक्षा नीति में शामिल हैं। यह विचार चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत अध्यक्ष जितेंद्र कुमार भारद्वाज ने नीति आयोग एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वाधान में आदर्श महिला महाविद्यालय में आयोजित सेमिनार में शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि शिक्षा से थ्री एच यानि हैंड, हार्ट और हैड का विकास होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में यह तीनों ही बातें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मैकाले की शिक्षा नीति केवल अंग्रेजी साम्राज्य को बनाए रखने और देश में बाबू बनाने तक सिमित थीं। 1947 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयोग ने भी मातृ भाषा में शिक्षा प्रदान करने की बात की थी, जो आज की नई शिक्षा नीति 2020 में भी लागू करने को मंजूरी दी गई है। जब तक शिक्षक स्वयं को ऋषि बनाकर ऋषियों द्वारा तैयार की गई नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में अपनी पूर्ण सहभागिता नहीं करेगा तब तक हम सफल नहीं हो सकतें हैं।

हमारे देश में गुरु-शिष्य परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है और भारतीय संस्कृति में गुरु का दर्जा भगवान से भी बढकऱ है। केवल भारतीय संस्कृति ही विश्व कल्याण की बात करती है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे नई शिक्षा नीति का पूर्ण अध्ययन कर अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने का काम करें।

बतौर मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल प्रांत महिला प्रमुख डाक्टर जगदंबे वर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा देशभर में नई शिक्षा नीति को लेकर वर्षों से अलख जगाई जा रही है। उन्होंने शिक्षण मंडल के प्रमुख आयाम और विभागों के कार्यों और कार्यक्रमों के संचालन की स्थिति रिपोर्ट पेश की। महाविद्यालय की प्राचार्य डाक्टर रजनी राघव ने सभी मुख्य अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। सेमिनार में मंच का संचालन सहायक कुलसचिव रेखा जांगड़ा एवं डाक्टर मंजीत मान ने किया।

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