चालकों के फैंसले को वापिस ले सरकार वरना होगा बङा आन्दोलन : दोदवा

रोङवेज के चालकों को दुसरे विभागों में समायोजित करने के फैंसले को वापिस ले सरकार, वरना होगा बङा आन्दोलन। दोदवा

चण्डीगढ, 7मार्च:-हरियाणा रोङवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा,वरिष्ठ राज्य उप-प्रधान बलवान सिंह दोदवा,राज्य महासचिव आजाद गिल,उप-महा- सचिव जगदीप लाठर,कैशियर सुभाष विश्नोई, आडिटर विमल शर्मा ग्योंग, चेयरमैन सुरेश लाठर,मिडिया प्रभारी सुधीर अहलावत व प्रैस सचिव चन्द्रभान सोलंकी ने संयुक्त ब्यान जारी करते हुए बताया है कि सरकार किसी न किसी बहाने से कर्मचारियों को सरप्लस दिखाकर परिवहन विभाग को सिकोङने का काम कर रही है। जबकि विभाग में एक भी कर्मचारी सरप्लस नहीं है बल्कि सभी कैटिगरी के काफी पद बगैर नियुक्ति के खाली पङे हुए हैं। आज जो कर्मचारी सरप्लस दिखाए जा रहे हैं वो सब सरकार की गलत नीतियों का परिणाम है। अगर सरकार समय पर सरकारी बसें विभाग में शामिल करती तो सरप्लस जैसी नौबत नहीं आती। अगर सरकार का यही रवैया रहा तो कुछ दिनों में रोङवेज के सभी कर्मचारी सरप्लस हो जायेंगे।

उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग में सरकारी बसों का नोरम 4500 बसों का है तथा वर्ष 2015 में जब पहली बार भाजपा सरकार सत्ता में आई तो विभाग में 4200 बसों का बेङा था। रोङवेज युनियनों के साथ हुई पहली बैठक में खुद माननीय मुख्यमंत्री जी ने विश्वास दिलाया था कि वर्ष 2016 तक परिवहन विभाग में 4500 बसों का बेङा कर दिया जायेगा। लेकिन बङे दुर्भाग्य की बात है माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बावजूद भी 6साल के कार्यकाल में एक भी साधारण सरकारी बस विभाग में शामिल नहीं हुई। कन्डम होने के कारण बसों की संख्या लगातार कम होती रही जो घटकर आज 3 हजार से भी कम रह गई है। निवर्तमान परिवहन मन्त्री जी 6 साल तक लगातार 867 बसें जल्द विभाग में लाने का ब्यान देते-देते चुनाव हार गये लेकिन एक भी बस विभाग में नहीं आई। अब श्री मूलचंद शर्मा जी भी उसी पद्धति पर चलते हुए एक
लम्बे समय से 800 बसें जल्द विभाग शामिल करने का राग अलाप रहे हैं लेकिन प्रदेश की जनता व रोङवेज कर्मचारियों को विश्वास नहीं हो पा रहा कि ये बसें विभाग में आयेंगी या नहीं क्योंकि अगर सरकार की नियत साफ होती तो रोङवेज के 1000 चालकों को सरप्लस दिखाकर अन्य विभागों में समायोजित करने करने के आदेश पारित नहीं करती ?

अगर 800 बसें विभाग में शामिल होती हैं तो एक भी चालक रोङवेज में सरप्लस नहीं है। सरकार की नियत में खोट है तथा सरकार किसी न किसी बहाने से इस जनहित के विभाग का पूर्ण रूप से निजीकरण करके अपने निजी चहेते पूंजीपतियों के हाथों में सौंपना चाहती है। सरकार के तुगलकी फरमान से रोङवेज कर्मचारियों में भारी रोष है तथा इसका डटकर विरोध किया जायेगा।

किरमारा, दोदवा व गिल ने बताया कि सरकार सिर्फ अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इस जनहितैषी विभाग को बर्बाद करने का काम कर रही है। सरकार ने वर्ष 2018 में 700 बसें किलोमीटर स्कीम पर लेकर निजीकरण की शुरूआत की थी जिसका विरोध करते हुए रोङवेज कर्मचारियों ने 18 दिनों की एक लम्बी हङताल की थी लेकिन सरकार ने इससे सबक नहीं लिया तथा सरकार जानबूझकर एक बार फिर से टकराव लेकर रोङवेज कर्मचारियों को आन्दोलन करने के लिए मजबूर कर रही है। रोङवेज कर्मचारियों को आशंका है कि सरकार आगे भी सरकारी बसें न खरीदकर किलोमीटर स्कीम की बसों को ही विभाग में लाने का प्रयास कर रही है। इसलिए सरकार से अपील है कि अपना तानाशाही रवैया छोड़कर सरप्लस के बहाने रोङवेज चालकों को दुसरे विभागों में भेजे जाने वाले आदेशों को तुरंत वापिस ले तथा विभाग में 800 बसों को शामिल करें।

अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो राज्य कमेटी की बैठक बुलाकर आन्दोलन की घोषणा की जाएगी। अगर जरूरत पङी तो रोङवेज का कर्मचारी हङताल पर जाने से भी पीछे नहीं हटेगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व परिवहन के उच्च अधिकारियों की होगी।

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