आखिर कब तक झूठा श्रेय लेगी नारनौल पुलिस

नारनौल, (रामचंद्र सैनी): पिछले एक पखवाड़े में नारनौल से दो बच्चों के गायब और एक किडनैप मामले में अब तक पुलिस की कार्रवाई खास नहीं रही है। इन तीनों मामले में से दो की पटकथा पुलिस कुछ हो बता रही है जबकि सच्चाई अलग ही है। सबसे पहले चांदुवाडा से गायब हुआ बच्चा उसी रात को मिला लेकिन पुलिस ने इस बच्चे को एक पेड के नीचे सोता हुआ बरामद दिखाकर श्रेय ले लिया। जबकि सच्चाई यह है कि बस स्टैंड के सामने वाले एक सब्जी वाले को यह बच्चा रेवाडी रोड से रोते हुए आता मिला तो उसने एक टैक्सी वाले के मोबाइल से पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दी थी। इसके बाद पुलिस की जिप्सी इस बच्चे को लेकर चली गई और पटकथा कुछ और ही लिखी गई। इस बच्चे के लिए पुलिस को सूचना देने वाले को उत्साहित करना तक पुलिस ने मुनासिब नहीं समझा।

इसके बाद 16 फरवरी को किडनैप हुए 12वीं कक्षा के छात्र के बारे में पहले तो पुलिस इसे किडनैप ही मानने को तैयार नहीं थी। कभी आपसी रंजिश तो कभी पुराना बिजनेस मैटर बताकर प्रेस नोट तक जारी किए जा रहे थे। इस मामले की सच्चाई भी किडनैप होने वाला बच्चा अपने परिजनों को अलावा अन्य लोगों से सांझा कर चुका है कि वह किस तरह किडनैपरों से बचकर खुद ही पुलिस के पास पहुंचा था, लेकिन इस मामले में नारनौल पुलिस श्रेय लेने के लिए कुछ और ही पटकथा लिख चुकी है।

 पुरानी सराय के मोहित मामले में सामने आये सीसीटीवी फुटेज से यह तो पहले ही क्लीयर हो चुका था कि यह अपहरण नहीं था। डीएसपी अमरजीत सिंह कल प्रेस कांफ्रेंस में यह कह चुके हैं कि सैनी धर्म कांटा के बाद से बच्चे का नांगल चौधरी रोड पर लगे टोल पर भी सुराग नहीं लग पाया है। आज बच्चा जयपुर की एक संस्था के माध्यम से नारनौल आ चुका है अब देखना यह है कि पुलिस इसकी क्या पटकथा लिखती है।

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