खट्टर सरकार एम्स जमीन का मुद्दा कभी मनेठी, कभी माजरा-भालखी, कभी मसानी, कभी खालेटा तो अब बिशनपुर में उछालकर दक्षिणी हरियाणा के लोगों को आपस में लडवाने का षडयंत्र भी रच रही है

रेवाड़ी,23 फरवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि मनेठी एम्स निर्माण को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार व प्रदेश की मनोहरलाल खट्टर सरकार दक्षिणी हरियाणा के लोगों को लगातार मूर्ख बनाती आ रही है। इसका ताजा उदाहरण इसी से मिलता है कि अब खट्टर सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन माजरा-भालखी की जमीन उपलब्ध होने के बावजूद भी बावल के गांव बिशनपुर में भी एम्स निर्माण के लिए जमीन तलाशने का खेल खेल रहा है। आश्चर्य है कि जब माजरा व भालखी गांव के ग्रामीण एम्स निर्माण के लिए अपनी जमीन सरकार को देने को तैयार है तो आखिर सरकार को जमीन लेने में अड़चन क्या है जो अब बिशनपुर में जमीन तलाशने की नौटंकी शुरू की जा रही है।

विद्रोही ने कहा कि वास्तविकता तो यह है कि सरकार किसानों की जमीन अपनी मर्जी के भाव 29 लाख रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से एम्स के नाम पर हडपना चाहती है जबकि किसान अपनी जमीन का मुआवजा 50 लाख रूपये प्रति एकड़ मांग रहे है जो बिल्कुल जायज भी है। वहीं किसान ये भी कह रहे है कि वे 50 लाख रूपये प्रति एकड़ पर नही अड़े हुए है, सरकार जायज भाव देगी तो वह भी मान्य होगा। यह तो माजरा व भालखी के किसानों का बडप्पन है जो वे अपनी जमीन का मुआवजा मात्र 50 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से मांग रहे है अन्यथा भूमि अधिग्रहण कानून 2013 अनुसार उनकी जमीन का मुआवजा बाजार भाव से 4 गुणा की दर से लगभग 2 करोड़ रूपये प्रति एकड़ बनता है।

विद्रोही ने कहा कि कमाल की बात तो यह है कि मनेठी एम्स की घोषणा मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने खुद बावल की सभा में 7 जुलाई 2015 में की थी, किन्तु आज तक यह भी तय नही हो पाया है कि यह एम्स बनेगा कहां और बनेगा भी या नही। कटु सत्य तो यह है कि एम्स के नाम पर भाजपा ने विगत लोकसभा व विधानसभा चुनावों में दक्षिणी हरियाणा के लोगों की वोट बटोरी जिसके बल पर ही आज खट्टर सरकार दोबारा से सत्तासीन है। अब खट्टर सरकार एम्स मुद्दे को लटकाये रखकर फिराक में है कि दक्षिणी हरियाणा की जनता को फिर से मूर्ख बनाकर 2024 के चुनावों में वोट हड़पी जाये। वहीं भाजपा की खट्टर सरकार एम्स जमीन का मुद्दा कभी मनेठी, कभी माजरा-भालखी, कभी मसानी, कभी खालेटा तो अब बिशनपुर में उछालकर दक्षिणी हरियाणा के लोगों को आपस में लडवाने का षडयंत्र भी रच रही है जो इलाके की एकता के लिए कतई अच्छा संकेत नही है।

विद्रोही ने कहा कि खट्टर सरकार इस तथ्य को भलीभांति समझती है कि किसी भी क्षेत्र के लोग एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को अपने क्षेत्र में ले जाने के लिए सदैव आतुर रहते है, यहीं कारण है कि सरकार बिशनपुर की जमीन को विकल्प के तौर पर दर्शाकर माजरा-भालखी के किसानों को ब्लैकमेल करना चाह रही है ताकि किसान दबाव में आकर सरकार की मर्जी अनुसार 29 लाख रूपये प्रति एकड़ में जमीन देने को मजबूर हो जाये। चिंता की बात यह है कि क्षेत्र के लोग लम्बे समय से मनेठी एम्स को लेकर संघर्षरत है और यह उन्ही के प्रयासों का नतीजा रहा है कि जब मनेठी में जमीन को लेकर अडचन आई तो माजरा-भालखी के किसान अपनी जमीन एम्स के लिए देने को आगे आ गए।

विद्रोही ने कहा कि एम्स संघर्ष समिति को केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह आश्वासन दे रहे है कि एम्स तो माजरा में ही बनेगा, पर लाख टके का सवाल यह है कि राव साहब के बोल का कोई मोल भी है? 2019 चुनाव से ठीक पहले फरवरी-मार्च में राव इन्द्रजीत सिंह स्वयं मनेठी-कुंड एम्स संघर्ष समिति धरना स्थल पर जाकर मनेठी एम्स को मंजूर करवाने व बनवाने की वाह-वाही लूटकर अपना अभिनंदन भी करवा चुके, परन्तु दो साल बाद भी एम्स तो बना नही। अब जब तक मुख्यमंत्री खट्टर जी स्वयं अपने मुंह से नही कहते कि एम्स माजरा में ही बनेगा, तब तक राव साहब का कोई भी आश्वासन बेमानी है। 

विद्रोही ने कहा कि अब सरकार द्वारा बिशनपुर में जमीन तलाशने की नौटंकी की जा रही है जिसे किसी भी तरह तर्कसंगत व न्यायसंगत नही ठहराया जा सकता है। देश के इतिहास में यह पहली ऐसी सरकार है जो एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को इसलिए किसी क्षेत्र में बनाने से भाग रही है क्योंकि सम्बन्धित किसान अपनी जमीन का उचित मुआवजा मांग रहे है और सरकार किसानों को उचित मुआवजा देना नही चाहती है। यदि लोकतंत्र में कोई चुनी हुई सरकार इसी प्रकार जनहित व विकास कार्यो में मापदंड को अपनाने लगेगी तो भविष्य में विकास कार्यो की उम्मीद ही सरकारों से बेमानी हो जायेगी। विद्रोही कहा कि भाजपा खट्टर सरकार इसी प्रकार की षडयंत्रकारी राजनीति के फेर में उलझकर दक्षिणी हरियाणा पहले भी बावल में बनने वाला मल्टी लाजिस्टिक हब परियोजना गवां चुका है।

अब यह क्षेत्र की जनता को तय करना है कि वह इसी प्रकार भाजपा की चालों में फंसकर वोट बैंक का औजार बनती रहेगा या फिर भाजपा को करारा सबक सिखाकर ऐसा कड़ा संदेश दे कि भविष्य में कोई भी पार्टी विकास कार्यो का एहसान जताकर दक्षिणी हरियाणा को वोट बैंक का औजार बनाने से पहले सौ बार साचे। 

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