सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में न तो प्रिंसीपल है और हाई स्कूलों, प्राथमिक रूकूलों में मुख्याध्यापक नही है। जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी व उपजिला शिक्षा अधिकारी व ऐलीमेंट्री खंड शिक्षा अधिकारी नही। चंडीगढ़-पंचकूला शिक्षा निदेशालय में क्लास वन अधिकारी नही तो स्कूल व शिक्षा विभाग कैसे चलेगा। रेवाड़ी, 24 फरवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते वर्ष 2020-21 का हरियाणा स्कूलों का शिक्षा सत्र छात्रों की पढ़ाई के लिए अत्यंत खराब रहा क्योंकि इस संकट काल में अधिकांश समय स्कूलों को बंद रखना पडा। वहीं ऑनलाईन पढाई तो हुई, पर जिन गरीब बच्चों के पास एंडरायड मोबाईल फोन नही थे, वेे चाहकर भी इस सुविधा का लाभ नही उठा सके और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाईल सिग्नल की समस्या अलग रही। विद्रोही ने कहा कि एक ओर कोरोना ने स्कूली शिक्षा को चौपट कर दिया है, वहीं हरियाणा भाजपा सरकार की शिक्षा व्यवस्था में कुशासन, अध्यापकों की कमी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। जब से भाजपा राज प्रदेश में आया है, तब से शिक्षा व्यवस्था लगातार लडखडाती जा रही है। पिछले 6 सालों से सरकारी स्कूल प्रिंसीपल, मुख्य अध्यापकों, प्राध्यापकों, अध्यापकों, शिक्षा अधिकारियों व गैरशिक्षक कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का बुनियादी ढांचा नही है और यदि है तो बहुत लचर है। विद्रोही ने बताया कि हरियाणा में शिक्षा व्यवस्था कितनी बदहाल-खस्ताहाल है, यह इसी से पता चलता है कि प्रदेश में बाहरवीं स्कूलों के लिए 2207 प्रिंसीपल पद स्वीकृत है जबकि प्रदेश में हालत यह है कि 924 सीनियर सकेंडरी स्कूलों में प्रिंसीपल है ही नही अर्थात खाली पड़े है। वहीं हाई स्कूलों मेें 1137 मुख्याध्यापक पद स्वीकृत है जिसमें 676 पद रिक्त पड़े हैै। प्राईमरी स्कूलों में मुख्यापकों के 5622 पद है जिनमें 2265 खाली पड़े है। विद्रोही ने कहा कि इसी तरह चंडीगढ़-पंचकुला सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय में क्लास वन अधिकारियों के 156 पद है जिसमें 56 पद रिक्त है। प्रदेश में उपजिला शिक्षा अधिकारी के 64 पद है जिमें 14 खाली है। सहायक निदेशकों के 17 पदों में 13 पद खाली है। हरियाणा में खंड शिक्षा अधिकारियों के 119 पद है जिनमें 41 पद खाली है। ऐलीमेंट्री खंड शिक्षा अधिकारियों केे 119 पद है जिसमें 114 पद खाली है। विद्रोही ने कहा कि जब प्रदेश के सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में न तो प्रिंसीपल है और हाई स्कूलों, प्राथमिक रूकूलों में मुख्याध्यापक नही है। जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी व उपजिला शिक्षा अधिकारी व ऐलीमेंट्री खंड शिक्षा अधिकारी नही। चंडीगढ़-पंचकूला शिक्षा निदेशालय में क्लास वन अधिकारी नही तो स्कूल व शिक्षा विभाग कैसे चलेगा। यही स्थिति विभिन्न स्कूलों में प्राध्यापकों व अध्यापकों व गैरशिक्षक कर्मचारियों की है। भाजपा खट्टर राज में प्रदेश में न तो शिक्षा का आधारभूत ढांचा है, न प्रिंसीपल, न मुख्यापक, न प्राध्यापक, न ही अध्यापक है और न ही शिक्षा जिला अधिकारी, न ही उपजिला शिक्षा अधिकारी, न ही खंड शिक्षा अधिकारी है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में कैसी सरकारी शिक्षा व्यवस्था है, इस पर टिप्पणी बेमानी है। Post navigation राव इन्द्रजीत सिंह अपना अभिनंदन भी करवा चुके, एम्स तो बना नही सरदार पटेल की बजाय मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम का नाम नरेन्द्र मोदी स्टेडियम करने की आलोचना : विद्रोही