पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेन्द्र सिंह के सौवें जन्मदिवस पर एक भी कार्यकारी कार्यक्रम नही रखा गया : विद्रोही

21 फरवरी 2021  – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार के मन में दक्षिणी हरियाणा व अहीरवाल के नेताओं के प्रति जरा भी सम्मान व अपनापन नही है। इसका उदाहरण देते हुए विद्रोही ने कहा कि कल 20 फरवरी को अहीरवाल के बेताज बादशाह रहे, किसानों के प्रबल समर्थक व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेन्द्र सिंह की सौवीं जन्म शताब्दी थी, पर हरियाणा के इस दिग्गज नेता के सौवें जन्मदिवस पर एक भी कार्यकारी कार्यक्रम नही रखा गया।

यह हालत तो तब है जब अक्टूबर 2014 में अहीरवाल के मतदाताओं द्वारा भाजपा को एकतरफा जनसमर्थन देने से ही मनोहरलाल खटटर दोबारा मुख्यमंत्री बने है और हरियाणा में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी है। यह स्थिति तो तब है जब राव बिरेन्द्र सिंह के ज्येष्ठ पुत्र राव इन्द्रजीत सिंह केन्द्र की मोदी सरकार में राज्यमंत्री के पद पर भी है। जो मुख्यमंत्री व पार्टी अपने को अपार जनसमर्थन देने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेन्द्र सिंह की सौंवी जन्म शताब्दी नही मना सकी, वह सरकार अहीरवाल दक्षिणी हरियाणा की कितनी हितैषी है, यह बताने की जरूरत नही। 

विद्रोही ने कहा कि राव बिरेन्द्र सिंह का आठ माह का छोटा सा मुख्यमंत्री काल हरियाणा के प्रजातांत्रिक इतिहास में किसानों के लिए सवर्णिम काल रहा है। जब वे मुख्यमंत्री पद से हटे तो पूरे हरियाणा में यह नारा गंूज गया था कि राव आया-भाव आया और राव गया-भाव गया क्योंकि राव साहब के कार्यकाल में किसानों को बाजरा व जौ का इतना ज्यादा भाव मिला था जितना आज तक भी नही मिला है। राव बिरेन्द्र सिंह ने कृषि मंत्री रहते ही 31 दिसम्बर 1981 को पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में रावी-व्यास के पानी पर त्रिपक्षीय समझौता करवाया था जो हरियाणा के लिए एक मील का पत्थर है।

इसी समझौते के आधार पर 24 जुलाई 1985 को हरियाणा के पक्ष में राजीव-लोंगेवल समझौता हुआ। श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधरानमंत्रीत्व काल में इंदिरा जी अगुवाई में कृषि मंत्री के रूप में राव साहब ने जो 31 दिसम्बर 1981 का त्रिपक्षीय समझौता करवाया था उसी को आधार मानकर सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2002 में हरियाणा के पक्ष में सतलुज-यमुना लिंक नहर का निर्माण सेना की निरागनी में केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय सीमा सडक़ संगठन से करवाने का ऐतिहासिक फैसला दिया था। यदि भविष्य में सतलुज-यमुना लिंक नहर का निर्माण होगा और हरियाणा को पंजाब से रावी-व्यास का पानी मिलेगा तो इसी फैसले के आधार पर मिलेगा। 

विद्रोही ने कहा कि ऐसे हरियाणा व किसान हितैषी अहीरवाल के बेताज बादशाह रहे राव बिरेन्द्र सिंह के साथ भाजपा खट्टर सरकार के ऐसे सौतेले व उपेक्षापूर्ण व्यवहार के बाद भी यदि दक्षिणी हरियाणा के लोगों की आंखे नही खुली और उन्होंने संघी भक्ति नही छोडी तो आने वाला समय उनके लिए और भी अधिक अपमानजनक व उपेक्षापूर्ण होगा। 

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