भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

हरियाणा भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का खास महत्व है, क्योंकि वह जब भाजपा बंसीलाल के साथ राज में आई थी तो उस समय हरियाणा के प्रभारी नरेंद्र मोदी ही थे। वैसे तो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के लिए हरियाणा बड़ा सौभाग्यशाली रहा है। जो-जो हरियाणा के प्रभारी निकले, उन सभी ने अच्छा मुकाम पाया है। जिनमें कुछ नाम मुझे याद हैं: शिवराज सिंह चौहान, जगदीश मुखी, आदि। लेकिन आज हम बात नरेंद्र मोदी की ही करेंगे।

हरियाणा में मोदी के साथ आत्मीयता से बात करने वाले अनेक भाजपाई हैं। हरियाणा क्या गुरुग्राम में भी मोदी के साथ काम करने वाले अनेक भाजपाई हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी जब वह यहां के प्रभारी थे तो संगठन मंत्री हुआ करते थे। इसी प्रकार अनिल विज, ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, रामबिलास शर्मा, कृष्णपाल गुर्जर आदि अनेक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने हरियाणा में वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम किया है। जिस समय यहां भाजपा की बंसीलाल के साथ सरकार थी, उस समय दिल्ली में अटल बिहारी वाजपाई की सरकार हुआ करती थी। हरियाणा से ही सीधे जाकर नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए थे। 

इधर, हरियाणा में वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल को संगठन सचिव पद से न जाने क्यों त्याग पत्र देना पड़ा था और उसके पश्चात प्रथम बार नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मनोहर लाल चुनाव लड़े और मुख्यमंत्री पर सुशोभित हुए। इसी प्रकार वर्तमान में कहा जाता है कि ओमप्रकाश धनखड़ प्रदेश अध्यक्ष भी इन्हीं की कृपा से बने हैं, क्योंकि उन्होंने भी मोदी जी के साथ हरियाणा में काम किया था।

ये तो हुई मोदी जी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने की बात। अब प्रधानमंत्री बनने की बात करें तो भी मोदी जी का भाग्योदय हरियाणा से ही हुआ है। जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो उसके पश्चात प्रथम रैली सैनिक रैली के नाम से 2013 में रेवाड़ी में हुई थी। इसमें जनरल वीके सिंह भी उपस्थित थे। अत: कह सकते हैं कि नरेंद्र मोदी को हरियाणा बहुत रास आया है। मुख्यमंत्री भी हरियाणा से जाकर सीधे बने और प्रधानमंत्री बनने की शुरुआत भी हरियाणा से ही हुई।

वर्तमान में भारतीय राजनीति में किसान आंदोलन छाया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पद संभालने के बाद उनके विरोध में हुआ इतना बड़ा यह प्रथम आंदोलन है और संयोग देखिए कि इस आंदोलन में भी हरियाणा की विशेष भूमिका है। पंजाब से इस आंदोलन की शुरुआत हुई और जब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पंजाब से दिल्ली जा रहे किसानों को हर तरीके से रोकने का प्रयास किया तो यह आंदोलन सारे देश में सुर्खियों में आ गया, क्योंकि वर्तमान में सोशल मीडिया छाया हुआ है और सोशल मीडिया पर इसकी गूंज लगातार गूंजने लगी। कह सकते हैं कि उसी के चलते इस आंदोलन ने बड़ा रूप लिया।

हरियाणा के किसान आरंभ में इस आंदोलन में इतनी रूचि नहीं ले रहे थे। एक तो पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोकने पर और दूसरे हरियाणा के मंत्रियों के यह कहने पर कि हरियाणा का किसान इन कानूनों के विरोध में नहीं है। शायद हरियाणा के किसानों को इसमें शामिल करने में सहयोग किया और वर्तमान में हरियाणा का किसान भी संपूर्ण हरियाणा में आंदोलनरत किसानों के साथ है। माना हमारे दक्षिणी हरियाणा में आंदोलन में वह उग्रता नहीं है, जो तराई वाले क्षेत्र में है परंतु आंदोलन तो यहां भी है और समय के साथ तथा सरकार के बर्ताव के साथ किसान आंदोलन से किसानों के साथ-साथ आम जनता भी जुडऩे लगी है और यह जन आंदोलन बनने की ओर अग्रसर है।

इस आंदोलन से पूर्व सोशल मीडिया पर भाजपा का सोशल मीडिया छाया रहता था। परंतु अब भाजपा की सोशल मीडिया की पोस्ट तो एकाध नजर आती है और किसानों के समर्थन में यू-ट्यूबर, फेसबुक लाइव आदि छाये हुए हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि भाजपा सरकार के साथ-साथ भाजपा का सोशल मीडिया भी बैकफुट पर चला गया है।

इस आंदोलन से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरूद्ध कोई बातें सुनने के लिए तैयार नहीं था। यदि कोई प्रधानमंत्री मोदी के विरूद्ध पोस्ट डालता था तो उसका बहुत विरोध होता था परंतु वर्तमान में सोशल मीडिया पर मोदी का ही विरोध चल रहा है और किसान आंदोलन से भी आगे मोदी के पूर्व के कृत्यों पर भी टिप्पणियां होने लगी हैं चाहे वह जीएसटी हो, नोटबंदी हो, तीन तलाक, एनआरसी, निजीकरण आदि-आदि।

अभी हाल में हरियाणा में एक उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा की हार हुई। स्थानीय निकाय चुनावों में भी भाजपा को आशातीत सफलता नहीं मिली और वर्तमान में जो पंजाब के परिणाम आए हैं, उनको देखते हुए कहा जा सकता है कि हरियाणा में पंचायतों के चुनाव में भाजपा सिंबल पर नहीं लड़ेगी। इन सब बातों का सीधा सा अर्थ यह निकल रहा है कि किसान आंदोलन के चलते हरियाणा में भाजपा का जनाधार घट रहा है और यह बात भाजपा का दिल्ली में बैठा हाईकमान भी जान रहा है। 

यह बात इससे भी सत्य प्रतीत होती है कि गृहमंत्री अमित शाह जो इस समय पश्चिम बंगाल में ममता दीदी से दो-दो हाथ करने में जुटे हुए हैं और वहां भाजपा ने बड़े-बड़े दावे कर रखे हैं, ऐसे महत्वपूर्ण समय में अमित शाह समय निकाल हरियाणा पर नजर रखे हुए हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से भी मिल रहे हैं।

अत: यह तो प्रमाणित है कि भाजपा हाइकमान भी यह समझ चुका है कि हरियाणा से उनका जनाधार खिसकता जा रहा है।अब बात नरेंद्र मोदी की करें, जहां से हमने आरंभ किया था कि जिस प्रकार नरेंद्र मोदी की प्रगति की राहें हरियाणा से आरंभ हुई थीं, चाहे मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री। उसी प्रकार कहीं हरियाणा से ही उनके पतन की राहें आरंभ न हो जाएं।

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