अमित और पीसी मीणा

हरियाणा में आईएएस अफसरों के हालिया तबादलों में पीसी मीणा को सूचना व जनसम्पर्क विभाग के निदेशक से बदल दिया गया है। उनके स्थान पर खास तौर पर छांट कर लाए गए अमित अग्रवाल निश्चित तौर पर एक बेहतरीन और शानदार पंसद हैं। विनम्र स्वभाव के अमित अग्रवाल के इस पद पर आने से हरियाणा में अफसरशाही की उस परंपरा का भी निर्वहन हुआ है जिसमें मुख्यमंत्री सचिवालय के आईएएस अफसर को ही डीपीआर का चार्ज दिया जाता रहा है। उम्मीद की जाती है कि व्यवहार कुशल अधिकारी अमित अग्रवाल इस विभाग को बुलंदी पर ले जाने के लिए कुछ नया और बड़ा करेंगे। कुछ रचनात्मक करेंगे।

इस पद को पाने के बाद अमित अग्रवाल भी दीपेंद्र ढेसी, केके खंडेलवाल, संजीव कौशल, राजेश खुल्लर जैसे दिग्गज अधिकारियों की श्रेणी में आ गए हैं, जो उनसे पहले एक साथ इन दोनों पदों पर सेवाएं दे चुके हैं। इत्तफाक से ये सभी अधिकारी इस पद रहने के उपरांत मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के पद कोे भी शोभायमान कर चुके हैं। अमित के पूर्ववर्त्ती निदेशक पीसी मीणा ने अपने डेढ बरस के कार्यकाल में उम्दा काम किया। प्रचार माध्यमों को सरकारी विज्ञापनों की समयबद्ध आनलाइन बीलिंग का भुगतान सुनिश्चत करने की मुख्यमंत्री मनोहरलाल की सोच को साकार करने में मीणा की अहम भूमिका रही। अब विभाग में आमतौर पर एक महीने भीतर ही न केवल बिलों का भुगतान भी हो जाता है, बल्कि देरी होने पर ब्याज भी दिए जाने का प्रावधान है। पहले ये काम काफी समय तक लटका रहता था। इस काम को सिरे चढवाने में उनको विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव राजेश खुल्लर का भरपूर समर्थन मिला।

आईटी फ्रैंडली मीणा को सोशल मीडिया की अहमियत का बखूबी अंदाजा है। इसीलिए जनसम्पर्क विभाग को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय करने में पीणा की अहम भूमिका रही है। फेसबुक, टवीटर, इंस्टाग्राम आदि पर उन्होंने हरियाणा सरकार की उपलब्धियों का जमकर प्रचार-प्रसार किया और करवाया। सोशल मीडिया पर विभाग के वैरीफाइड एकाउंटस बनाए और बनवाए। एक उम्दा फोटोग्राफर मीणा बहुत दफा तो मुख्यमंत्री की मीटिंग की फोटो खुद ही खींच कर मीटिंग के दौरान ही झट से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर डाल दिया करते थे। उन्होंने ये भी सुनिश्चित किया कि सरकारी प्रैसनोट मीडिया वालों को पहुंचने में देरी न हो। कोरोना काल में हुई तालाबंदी के दौरान मीणा ने ये सुनिश्चित किया कि मीडिया वालों को न केवल समय पर सूचनाएं-कंटैंट मिलें, बल्कि विज्ञापनों की भी भरमार बनाए रक्खी ताकि अखबारों-टीवी वालों की वित्तीय स्थिति पर तालबंदी की चपेट में आने से प्रतिकूल असर न आए। कोरोना काल में मीणा और विभागीय अधिकारी- कर्मचारी देर रात तक आफिस में जमे रहकर काम में जुटे रहते थे। मेहनती स्वभाव के मीणा ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा रहते हुए शिक्षकों की आनलाइन तबादला नीति को भी सिरे चढवाया था। यंू तो इस तबादला नीति का आधार तो डा.केके खंडेलवाल जैसे होनहार अधिकारी बहोत पहले ही हुडडा सरकार में ही तैयार कर गए थे। वो काम था शिक्षकों और स्कूलों को यूनिक आईडी नंबर देना-पहचान देना।

इसके बाद कई अधिकारियों ने इस नेक काम में आहुति डाली, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहरलाल की ये महत्वकांक्षी योजना परिपूर्ण हुई मीणा के ही कार्यकाल में। अब हरियाणा सरकार ने मीणा को डायरेक्टर स्किल डवलपेंट,आईटीआई, वित्त विभाग में एक साथ कई चार्ज से लैस कर दिया है। हालांकि वे इस से कुछ ज्यादा अच्छे के हकदार थे। सूचना व जनसम्पर्क निदेशक रहते हुए एक सज्जन मीणा को कह रहे थे कि वो अपनी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी की प्रदर्शनी भी लगाएं। सरल व सपाट स्वभाव के मीणा ने जवाब दिया कि इस पद पर रहते हुए मेरा काम हरियाणा सरकार की पब्लिसिटी करने का है, न की खुद की।

मीणा सच मायने में एक टीम प्लेयर हैं। विभाग के लोगों और पत्रकारों को वो आसानी से सुलभ थे। उनके दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले रहते थे। वो सबकी मदद के लिए सदैव तत्पर रहते थे। इसीलिए मीणा की विभाग से विदाई होने से बहोत से अधिकारी और कर्मचारी उनके साथ बिताए गए अच्छे दिनों की याद कर के काफी भावुक हो गए थे। अमित अग्रवाल और पीसी मीणा के बारे में यही कहा जा सकता है:

लोग रास्ते रोक सकते हैं,हमें नहीं
हम इरादों से सफर करते हैं,कदमों से नहीं

अपराध का मनोविज्ञान

कुछ साथियों का आग्रह रहता है कि कभी कभी व्यक्तित्व विकास और व्यवहार मनोविज्ञान पर भी लिखा जाए। जैसा कि आप को विदित है कि एक पहलवानी कोच रोहतक में पांच हत्याएं करने के आरोप में धर दबोचा गया। इधर, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के भाई के साथ कहासुनी के मामले में एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ न केवल अपराधिक मामला दर्ज किया गया है,बल्कि उनको निलंबित होना पड़ा है। हाल ही में घटित ये दो घटनाएं ऐसी हैं जिनसे बचा जा सकता था। इनके मूल में गुस्सा-आवेश-पुरानी खुंदक-तथाकथित अपमान होना कारण बताए गए हैं। जैसा कि कहा जाता है कि इज्जत और बेइज्जती जिस किसी की भी की जाए, वो ब्याज समेत वापस मिलती है। हम जाने अंजाने में बहोत दफा ऐसा कुछ कह-कर जाते हैं, जिसकी हमें बाद में ब्याज समेत भरपाई करनी पड़ती है। बहोत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। गुस्सा विवेक को हर लेता है। अच्छे और बुरे में फर्क करने की समझ को ले लेता है। ऐसे में इस तरह के विकट हालात का हल क्या है?

एक तो सिंपल सा फार्मूला यही है कि कभी भी किसी को कभी चुभती बात ना करें। किसी पर कटाक्ष न करें। किसी का अपमान न करें। सामने वाला चाहे किसी भी हालत में हो-कितना ही दीन हीन क्यों न हो-कितना ही लाचार क्यों न हो,कितना ही आपके रहमो करम पर क्यों न हो,लेकिन उसका उपहास नहीं उड़ाना है। ये पाप कभी नहीं करना है। कहते हैं कि द्रोपदी के दुर्योधन का उपहास उड़ाने-तंज कसने से ही महाभारत जैसे युद्ध की बुनियाद रक्खी गई थी। कहा भी जाता है कि तलवार का घाव भर जाता है,लेकिन जुबान का नहीं। हमें उस मनोविज्ञान को समझना पड़ेगा जब हम किसी को अपमानित करते हैं तो सामने वाला उसे किस रूप में ले जाएगा, वो उस पर कैसे प्रतिक्रिया कर जाएगा, इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। बहोत से ऐसे किस्से हैं, जब किसी ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए लाशों के ढेर लगा दिए। वो भी तब जब उसकी कोई अपराधिक पृष्ठभूमि भी नहीं थी। कहते हैं कि क्रोध अत्यंत समझदार होता है। हमेशा ही अपने से कमजोर पर गुस्सा आता है। जो लोग ताकतवार होते हैं-सक्षम होते हैं,उन पर उनसे कमजोर लोग कम ही यदा कदा ही आंख दिखा पाते हैं। ऐसे में किसी भी दृष्टि से पावरफुल लोगों को ये समझ लेना चाहिए-ये गांठ बांध लेनी चाहिए कि उनको अपने पद-धन-स्थिति की बदौलत अपने से अधीनस्थों की बेइज्जती करने का लाईसैंस नहीं मिला है।

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिग्मैन फ्रायैड ने कहा है कि किसी के बारे में खुद की बुरी भावनाएं जब हम अभिव्यक्त नहीं कर पाते वो बाद में अत्यंत कुत्सित और भददे तरीके से प्रकट होती हैं। ये कोई भी कल्पना नहीं कर सकता-कोई भी ये भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि अवचेतन मन में दबी हुई ये भावनाएं बाद में किस ढंग और किस रूप में प्रकट हो जाएंगी। कब ये छोटे-बड़े का फर्क मिटा जाएंगी। सामने वाले को मिट्टी में मिला जाएंगी। जिस्म से रूह को जुदा कर जाएंगी। हमेशा याद रखना चाहिए कि सबसे ताकतवर आदमी सबसे कमजोर ही होता है। उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता। वो जब अपनी आई पर आएगा तो सैलाब ही आएगा। तबाह कर जाएगा। इस हालात से निपटने का मशवरा देता जोश मलिहाबादी का एक शेर है:

एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आपके
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है

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