हरियाणा के 7 जिलों में इंटरनेट सेवा फिर बहाल, जानें क्‍यों लगी थी रोक?

किसान आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने 3 फरवरी शाम 5 बजे तक राज्‍य के सात जिलों में इंटरनेट सेवा पर बैन लगा रखा था, लेकिन अब यहां कोई रोक नहीं रहेगी.

चंडीगढ़. किसान आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने सात जिलों में 3 फरवरी शाम 5 बजे तक इंटरनेट सेवा पर बैन लगा रखा था. वहीं, मनोहर लाल खट्टर सरकार का कोई नया आदेश न आने के कारण इंटरनेट सेवा फिर से बहाल हो गई है. हरियाणा के जिन जिलों में यह रोक लगाई गई थी, उनमें कैथल, जींद, पानीपत, रोहतक, चरखी दादरी, सोनीपत और झज्जर शामिल थे.

आपको बता दें कि किसान आंदोलन की वजह से कैथल, जींद, पानीपत, रोहतक, चरखी दादरी, सोनीपत और झज्जर में वॉयस कॉल को छोड़कर इंटरनेट सेवाओं (2जी/3जी/4जी/सीडीएमए/जीपीआरएस), एसएमएस सेवाओं (केवल ब्लक एसएमएस) और मोबाइल नेटवर्क पर दी जाने वाली सभी डोंगल सेवाओं को बंद करने की अवधि 3 फरवरी, 2021 शाम 5 बजे तक के लिए बढ़ा दी गई थी, लेकिन कोई नया आदेश न आने के कारण अब यह बहाल हो गई है.

इससे पहले 17 जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी, जिसमें अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत, हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, फतेहाबाद, रेवाड़ी और सिरसा शामिल थे. इन जिलों में वॉयस कॉल को छोड़कर इंटरनेट की सभी सेवाएं 30 जनवरी, 2021 शाम 5 बजे तक के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया था.

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों की वजह से हरियाणा में भी लगातार धरना प्रदर्शन चल रहे हैं और इसी वजह से सरकार ने माहौल को शांत रखने के लिए इंटरनेट सेवा पर बैन का कदम उठाया था. इस बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने नए कृषि कानूनों को लेकर जींद महापंचायत में शामिल होने का ऐलान कर दिया था. जबकि सरकार ने सात जिलों में इंटरनेट सेवा को 3 फरवरी शाम 5 बजे तक बंद करने का आदेश जारी कर दिया था. वहीं, जींद महापंचायत होने के बाद इंटरनेट सेवा फिर बहाल हो गई है.

बहरहाल, जींद महापंचायत में राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि हमने अभी सरकार से बिल वापस की बात कही है, अगर हमने गद्दी वापसी की बात कर दी तो सरकार का क्या होगा. अभी समय है सरकार संभल जाए.

बता दें कि बीते 26 नवंबर से पंजाब-हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के किसान दिल्ली के गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. आंदोलनकारी किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को अविलंब वापस ले. सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच अब तक ग्यारह दौर की बातचीत हो चुकी है. मगर इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच गतिरोध बना हुआ है. किसान अपने आंदोलन को लेकर आठ दिसंबर को भारत बंद और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकाल चुके हैं.

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