उमेश जोशी

केंद्र सरकार का 2021 का बजट काग़ज़ों में नहीं छपा। पिछले 161 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि बजट की छपाई नहीं हुई। पहला बजट 7 अप्रैल को जेम्स विल्सन ने पेश किया था। उसी समय से छपा हुआ बजट पेश करने की परंपरा चली आ रही थी। इस बार वो परम्परा टूट गई।

बजट सरकारी प्रेस में छपता है। गोपनीयता बनाए रखने के उद्देश्य से छपाई के काम से जुड़े सभी कर्मचारी 15 दिन प्रेस में ही रहते है। उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है। उनके पास ना मोबाइल होता है ना ही इंटरनेट सेवा उपलब्ध होती है। वे लगातार 15 दिन एक साथ रहते हैं। कोरोना काल में सभी कर्मचारियों को 15 दिन एक साथ रखना संभव नहीं था इसलिए बजट प्रिंट नहीं हो पाया।

  इससे पहले तीन राज्य पेपरलेस बजट पेश कर चुके हैं जिनमें हरियाणा भी शामिल है। सबसे पहले 2015 में हिमाचल प्रदेश ने पेपरलेस बजट पेश किया था। रिकॉर्ड के लिए सिर्फ 10 प्रतियाँ छापी गई थीं। पेपरलेस बजट के कारण हिमाचल प्रदेश को  15 करोड़ रुपए की बचत हुई थी। 

पेपरलेस बजट वाला दूसरा राज्य बना ओडिशा। 2020 में ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारी ने टैबलेट पर बजट पढ़ा था। राज्य को करीब 75 लाख पन्नों की छपाई के खर्च से मुक्ति मिल गई थी। यूँ कह सकते हैं कि राज्य को करोड़ों रुपए की बचत हुई। पेपरलेस बजट पेश करने वाले तीसरे राज्य के रूप में हरियाणा का नाम आता है। 2020 में ही राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने टैबलेट से बजट भाषण पढ़ा था। सभी विधायकों को बजट पढ़ने के लिए टैबलेट दिए गए थे।

वित्त मंत्रालय ने बजट के लिए ‘यूनियन बजट’ नाम का मोबाइल एप्प 6 जनवरी को लॉन्च किया था।  वित्त मंत्री के भाषण के बाद बजट से जुड़े 14 डॉक्यूमेंट इस एप्प पर अपलोड किए गए हैं जो सांसदों और आम जनता के लिए उपलब्ध हैं। पेपरलेस बजट के कारण कितनी बचत हुई है, इसके आधिकारिक आंकड़े तो अभी उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन करोड़ों रुपए की बचत के साथ पर्यावरण की रक्षा हुई है।  हालांकि 2016 में बजट छपने के बावजूद पत्रकारों को हार्डकॉपी (छपा हुआ बजट) नहीं दी गई थी। इससे पहले हर बार वित्त मंत्री का बजट भाषण पूरा होने के बाद पत्रकारों को बजट की कॉपी दी जाती थी। उस समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया गया कदम बताया था।