अविलंब रिहा नहीं किया तो गंभीर परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा.
पत्रकारो को फर्जी मामले बना गिरफ्तार करना औछी मानसिकता.
पत्रकारों पर सरकार हमला करना छोड़ उनको तुरंत रिहा करे

फतह सिंह उजाला

किसान आंदोलन के दौरान रिपोर्टिंंग करने वाले गिरफ्तार किए गए पत्रकार अब मात्र केवल पत्रकार ही नही रह गए , बल्कि किसान की आवाज हैं । निर्भिकता से किसानो की  आवाज उठाने वाले पत्रकारो को फर्जी मामले बनाकर  गिरफ्तार करना सरकार की औछी मानसिकता है । मंच सें दो टूक कहा गया कि पत्रकारों पर सरकार हमला करना छोडे और उनको तुरंत रिहा करे । लोकतंत्र के चैथे स्तंभ की आवाज जनता की आवाज हेाती है । इसे दबाने की कोशिश नहीं करे । यदि गिरफ्तार पत्रकारों को बिना शर्त तुरंत रिहा नही किया गया तो दिल्ली के चोतरफा बैठे किसान आदंोलनकारी हर मंच से पत्रकारो की रिहाई की आवाज को प्रमुखता से उठाएंगे । सरकार औैर केंदीय गृह मंत्रालय ने गिरफ्तार पत्रकारों के मामले वापिस लेते हुए अविलंब रिहा नहीं किया तो गंभीर परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा ।

दिल्ली किसान आंदोलन की कवरेज करतें पत्रकार मनदीप पूनिया की गिरफ्तारी व उनके साथ किये गए अमानवीय अत्याचारों की राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली जयपुर हाईवे के राजस्थान हरियाणा सीमा के शाहजहांपुर खेडा बोर्डर पर किसान नेताओं ने कड़ी निंदा करते बिना शर्त रिहा करने की मांग बुलंद की। इसके साथ-साथ कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून रद्द व उनकी मांगे पूरी नही होती अनिश्चतकालीन आंदोलन जारी रहेगा। विशेषरूप से दिल्ली के छात्र संगठन के पूर्व सचिव, केरल के  वरिष्ठ किसान नेता बिजू कृष्णन संयुक्त सचिव, राजस्थान के पूर्व विधायक पवन दुगगल ने दिल्ली में पुलिस व केंद्र सरकार के इशारे पर स्वतंत्र रूप से किसान आंदोलन की करवेज कर रहे पत्रकारों के साथ र्दुव्यवहार व उनको हिरासत में लिए जाने पर कड़ी निंदा की। इन्होंने कहा कि स्वतंत्र, निष्ठावान, निडर, लोक तंत्र के चैथे स्तंभ, निर्भिकता से निष्पक्ष पत्रकारिता पर बीजेपी सरकार के द्वारा हमला बोल कर किसान आंदोलन की आवाज उठाने वाले पत्रकारो के साथ किया गया र्दुव्यवहार निंदनीय है। साथ-साथ लोकतंत्र के चैथे स्तंभ को दबाने-कुचलने की कुचेष्ठा को जेल की सलाखें भी लंबे समय तक रोक नही पाएगी। इज्जत व मानसम्मान के साथ ऐसे पत्रकार  समाज में किसान आंदोलन के हीरो बनकर जल्द ही जेल से बाहर सामने आंएगे । राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली जयपुर हाईवे के राजस्थान हरियाणा सीमा के शाहजहांपुर बोर्डर पर  सोमवार को 51वें दिन भी किसान आंदोलन पडाव जारी रहा । विशेष रूप से आंध्रप्रदेश व कर्नाटक के किसानों ने पंहुचकर अपना समर्थन दिया । केरल के विख्यात बैंड उराली ने गलोबल कार्यक्रम के तहत देश की संस्कृति व किसान आंदोलन को लेकर भाईचारे को बांटने का अरोप वर्तमान सरकार पर मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से लगाया।

इसी क्रम में वक्तओं ने पुलवामा की घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश के प्रहरियों को बेवजह मौत के काल में डालकर तिरंगे में लपेटने का ड्रामा किया गया । तक इंटेलेजेंस ब्यूरो सहित अन्य सरकारी खुफिया एजेंसियां कहां चली गई थी। इसी क्रम में दिल्ली के लाल किले पर तीन लेयर की सिक्योरिटी के बीच गणतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्पात मचाने वालो ने केंद्र की नाक  तले शर्मशार करने वाली घ्औछी हरकते करके किसानों को बदनाम किया । अब जब हकीकत की सभी तस्वीरे सामने आ रही है तो स्पष्ट हो गया कि यह सब सोची समझी साजिश से हुआ । इससे स्पष्ट है कि हिटलरशाही राज अब मात्र कमेरे वर्ग को कुचलने उनको दर-दर की ठोकरे खिलाने , भारी मतो से वियजी बनाना, केंद्र में इसलिए बैठाया गया था कि राजासाहब उनकी कद्र करेंगे उनको जमीन से ऊंचा उठाकर  उनको ऊंचा उठाएगी ।

इसी अवसर पर यह भी कहा गया कि ईस्ट इण्डिया का बिगड़ा हुआ स्परूप अब वेस्ट इण्डिया के रूप में देश को दिखाई दे रहा है , जो उनके बर्दास्त से बाहर है ।  केरल व आंध्रप्रदेश से खेडा बोर्डर पर पंहुचे किसानो का, किसान एकता जिंदाबाद के नारो के साथ स्वागत किया गया । केरल की सास्कृतिक पार्टी उराली ने देश में जगह जगह बेरिकेटस-बोर्डरो की संख्या पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज भारत वर्ष में ही अनेंको बोर्डर भाईचारे को खत्म करके किसान भाई-भाई को लड़ाने, आपस में जहर फैलाने वाली नीति पर काम किया जा रहा है। सरकार को यदि जनता बना सकती है , तो उसे उखाड फेंकने का भी मादा रखती है । किसानों की मागों को पूरा करने पर कितना ही समय क्यों ना लग जांए , वे दिल्ली के चोतरफा बोडरों से डिगने वाले नही है ।

विभिन्न वक्ताओं छगन लाल चैधरी, पूर्व विधायक पवन दुगगल, पूर्व विधायक पैमाराम, कालू थोरी, बावल-84 के प्रधान सुमेर जेलदार, दयानंद पुनिया, प्रदेश सचिव हरियाणा मास्टर रघुबीर सिंह, भैरा तोशाम, ईश्वर सिंह महलावत, बच्चू सिंह शाहपुर, अत्तर सिंह नैहरा प्राणपुरा, समय सिंह चिढूणी, प्रियंका महला लोहारू, श्रीमति मीन प्रधान उडीसा ने  केंद्र सरकार को खूब कोसा । लेकिन अब आने वाली पीढी के दर दर की ठोकरे खाने , उनको बेरोजगारी के साथ भिखारी बनाने, धनाढ्य लोगों को उनके सर पर बैठाने से अच्छा है कि वे सड़क पर ही आंदोलन करते प्राण को ही त्याग दें । वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक तीनों कानून व उनकी मागें पूरी नही हो जाती आंदोलन खत्म हेाने वाला नही है न ही वे अपने घर को वापस लौटने वाले है । राजीव जेलदार, महेंद्र ककरावत, छाजू राम शाहपुर, कृष्ण जेलदार, रणधीर बनीपुर, भजनलाल आसलवास, रामेश्वर दयाल कृष्ण जेलदार, जुगलाल, शमशेर बनीपुर, पूर्व सरपंच सुमेर सिंह ढिल्लो, रामेश्वर दयाल भगोडिया, अत्तर सिंह नैहरा प्राणपुरा,सुबेदार प्रभूदयाल प्राणपुरा जिला रेवाडी नैहरा खांप के प्रधान,  रामकंवार किशनपुर, मास्टर रघुबीर सिंह ढेरा भिवानी, हित राजस्थान, केरल, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश सहित 26 राज्यों के किसान संयुक्त मोर्चा खेडा बोर्डर पर डटे रहे ।

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