उमेश जोशी

भारतीय इतिहास में बजट 2021-22 हमेशा इसलिए याद किया जाएगा कि यह बजट पेपरलेस है यानी काग़ज़ पर छपा हुआ नहीं है। फ्रेंच भाषा से ‘बजट’ शब्द लिया गया है जिसका अर्थ है चमड़े का बैग। इस बैग में आय, प्राप्तियां और खर्च के सारे काग़ज़ात रख कर वित्त मंत्री सदन में जाता था और भावी निर्धारित समय अवधि के लिए अनुमानित आय और व्यय का ब्यौरा पेश करता था। इस पूरी प्रक्रिया को बजट कहा जाने लगा।    

हमारे यहाँ हर साल 1 फरवरी को बजट पेश होता है। इस बार कोरोना के कारण छपाई नहीं हो सकी इसलिए आज बिना काग़ज़ का बजट पेश करना पड़ा। चमड़े के बैग में कागज़ नहीं थे फिर भी यह बजट ही है। अब चमड़े का बैग और कागज़ महज सांकेतिक हैं। यह देश का पहला बजट है जो पेपरलेस है। 

 बजट के समय आम आदमी की निगाह विशेष तौर पर दो बातों पर हुआ करती है। एक, आयकर में क्या बदलाव हुआ; कोई छूट मिली या कर का बोझ बढ़ा। दो, कौन-सी वस्तु सस्ती होगी और कौन-सी महंगी।  

पहले आयकर पर चर्चा करते हैं। इस बजट में आयकर में सिर्फ एक बदलाव हुआ है। 75 वर्ष या इससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को आयकर रिटर्न दाखिल करने से छूट मिल गई है यानी वे अब आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करेंगे। ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन से आय होती है या जमा रकम पर ब्याज के रूप में आय मिलती है। इसके अलावा आय का कोई स्रोत नहीं है। इनकी आय पर बैंक टीडीएस के रूप में कटौती कर सकते हैं। आयकर की स्लैब और दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

अब देखते हैं कि बजट के कारण कौन-सी चीज सस्ती होगी और कौन-सी महंगी। एक जमाना था जब हरेक वस्तु पर उत्पाद शुल्क और बिक्री कर अलग अलग होता था। उस समय सब की निगाहें उत्पाद शुल्क की दरों और बिक्री कर की दरों में उतार-चढ़ाव पर टिकी होती थीं। जिसकी दरें बढ़ गईं, समझो वो वस्तु महंगी हो गई; दरें गिर गईं तो वस्तु सस्ती हो जाती थीं। जबसे जीएसटी लागू हुआ है तबसे सिर्फ सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) वस्तुओं के मूल्यों पर असर डालता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जो वस्तु आयात की जाती है उसी के दामों पर सीमा शुल्क का असर पड़ेगा। यही वजह है कि  पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, सीएनजी, सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स, मोबाइल फ़ोन, केमिकल, कारें, तम्बाकू से बनी चीजों पर बजट घोषणाओं का असर होता है।

 इस बजट में ऑटो पार्ट्स पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ा कर 15 प्रतिशत कर दिया; इससे गाडियाँ महंगी होंगी।  सोलर इन्वर्टर भी महंगा होगा क्योंकि इस पर भी आयात शुल्क 15 फीसदी बढ़ा दिया है। मोबाइल  फ़ोन चार्जर और हैडफ़ोन पर आयात शुल्क 2.5 फीसदी बढ़ाया है। लिहाजा, ये भी महंगे होंगे। लेकिन, इसका लाभ यह होगा कि देश में मोबाइल फ़ोन का उत्पादन बढ़ जाएगा। पिछले चार साल में मोबाइल और उससे जुड़े उपकरणों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 10 प्रतिशत तक बढ़ाई गई है। नतीजतन, स्वदेश में निर्मित फ़ोन आयातित फ़ोन के मुकाबले सस्ते हो गए हैं इसलिए इनका घरेलू उत्पादन लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है। 2016-17 तक देश में 18,900 करोड़ रुपए के मोबाइल फोन बनते थे। 2019-20 में 1.7 लाख करोड़ रुपए के फ़ोन बनने लगे।  देश में मोबाइल बनाने वाली 268 इकाइयाँ हैं जिनमें 35 करोड़ मोबाइल बनते हैं। घरेलू उत्पादन बढ़ने से मोबाइल फ़ोन का आयात जहाँ 2017 में 7.57 करोड़ यूनिट था वो 2019 में घट कर 2.69 करोड़ यूनिट रह गया। इससे रोजगार का सृजन हुआ है; साथ ही विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।

सोने-चांदी पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत कम किया गया है। ज़ाहिर है ज्वैलरी सस्ती होगी। स्टील प्रोडक्ट पर 7.5 फीसदी, तांबे पर 2.5 फीसदी इम्पोर्ट ड्यूटी घटाई गई है। स्टील और तांबे के उत्पाद सस्ते हो जाएंगे।चमड़े से बना कुछ सामान कस्टम ड्यूटी से मुक्त कर दिया गया है। वो सामान भी सस्ता हो जाएगा। 

error: Content is protected !!