रेवाड़ी – तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में लगातार चल रहे आन्दोलन को  ऐलनाबाद से इनेलो विधायक रहे चौ अभय चौटाला के इस्तीफे के बाद मजबूती मिली। जिसका बड़ा उदाहरण दो बड़े नेताओं पूर्व सीपीएस रामपाल माजरा व पूर्व विधायक बलवानसिंह दौलतपुरिया द्वारा बीजेपी को छोड़ना है जो कही न कही अभय चौटाला के इस्तीफा देने के कदम से प्रेरित है ।

  इंडियन नेशनल लोकदल प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट रजवन्त डहीनवाल ने कहा कि भले ही बीजेपी सरकार अपने आप को मजबूत दिखा रही है लेकिन अंदर से पार्टी में कमजोर जो चुकी है इसके नेता पहले से ही सरकार की कार्यशैली से नाखुश नजर आ रहे थे अब किसान आंदोलन के बहाने पार्टी को छोड़ने का मन बनाये हुए है। इनेलो प्रवक्ता ने कहा कि 67 दिन से चल रहे आंदोलन को सरकार व उसके नेताओं ने किसी न किसी प्रकार खराब करने की कोशिश की जिससे देश प्रदेश के हालात ऐसे किये गए की किसान और आमजन को आमने सामने खड़ा कर दिया ओर हर समय वो टकराव की स्तिथि में रहते हैं। जहाँ पर भी आंदोलनकारी किसान धरने पर बैठे है वहाँ बीजेपी कार्यकर्ता गाँव के लोगो के साथ मिलकर धरने में व्यवधान डालने की कोशिश करते है।

दीप सिधू जैसे व्यक्ति इस बड़ा उदाहरण है। जिसमें आपस मे भाईचारा तो खराब हो ही रह है बल्कि आंदोलन में हिंसा होने के अंदेशा लगातार बन रहा है। ये सब बीजेपी की सोची समझी चाल है। एडवोकेट रजवन्त डहीनवाल ने कहा कि इतना लंबा आंदोलन चलाने में सरकार की भागीदारी से इंकार नही किया जा सकता क्योकि सरकार व किसानों के बीच 11 दौर वार्ता के हुई और हर वार्ता के दौरान लम्बा समय दिया गया अगर सरकार चाहती तो वार्ता लगातार चलाकर किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकती थी।

प्रधानमंत्री जी के मन की बात पर बोलते हुए इनेलो प्रवक्ता ने कहा कि 67 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों की मन की बात अगर एक बार भी देश के प्रधानमंत्री जी सुन लेते तो आज तक न तो  सैकड़ों आन्दोलनकारी किसानों की मौत होती न ही देश प्रदेश की जनता को किसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता। क्योंकि जिस प्रधानमंत्री की एक अपील कोरोना काल मे घर घर मे थाली ताली बजाकर, दीए जलाए जा सकते है क्या वो प्रधानमंत्री किसानों से मिलकर बात करें तो क्या वो अपना आंदोलन खत्म नही कर देते ।

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